बेस्ट फ्रेंड बन गया जीवनसाथी
दिल्ली की रिद्धि डोगरा और पुणे के राकेश बापट पहली बार एक टीवी सेट पर मिले। पहली मुलाकात में ही दोनों के बीच ऐसा कनेक्शन बना कि वह सात जन्मों के बंधन में बंध गए।
रिद्धि और राकेश बापट रिद्धि और राकेश अब किसी पहचान के मोहताज नहीं है। फिल्म 'तुम बिन का राकेश किसी को भुलाए नहीं भूलता, वहीं' मर्यादा - लेकिन कब तक में रिद्धि द्वारा निभाया गया सशक्त किरदार आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है। दोनों की शादी की नींव भी इसी धारावाहिक के सेट पर पडी थी। कैसा रहा उनका दोस्ती से शादी तक का सफर, बता रहे हैं रिद्धि और राकेश।
पहली मुलाकात रिद्धि : हमारी पहली मुलाकात यशराज बैनर के तले बन रहे एक शो 'सेवन के सेट पर हुई थी। हालांकि इस सीरियल में हमने साथ काम नहींकिया था। हम इस सीरियल की रैपअप पार्टी में मिले थे लेकिन तब तक यह तय हो चुका था कि हम 'मर्यादा- लेकिन कब तक में साथ काम करने वाले हैं। इस सीरियल के सेट पर ही हम दोनों की दोस्ती हुई। राकेश : रिद्धि को मैंने टीवी सर्फिंग के दौरान देखा था। वैसे तो मैं ज्य़ादा टीवी नहीं देखता लेकिन रिद्धि को देखते ही अचानक मेरी नजर उन पर ठहर गई। उनकी अदाकारी देख कर मैं हैरान था। वह बेहद नैचरल थीं। हम जब मिले तो मैंने उन्हें कहा भी था कि वह टीवी की स्मिता पाटिल हैं।
एक-दूजे के लिए रिद्धि : राकेश से जब मैं पहली बार मिली तो वह 'तुम बिन फिल्म के कारण बहुत बडे स्टार बन चुके थे लेकिन उनसे मिलकर ऐसा लगा नहीं कि मैं किसी फेमस सलेब्रिटी से मिल रही हूं। वह बहुत नॉर्मल थे, मिलनसार और नर्म स्वभाव वाले। शायद यही कारण था कि मैं उनकी कंपनी में सहज महसूस करती थी। हमारी दोस्ती हुई और फिर उस दोस्ती को हमने शादी का नाम दिया। राकेश : रिद्धि और मैं काफी हद तक एक जैसे हैं। इसी कारण हम एक-दूसरे के नजदीक आए लेकिन मुझे उनसे मुहब्बत है और मुझे उनसे शादी करनी चाहिए, इस बात का एहसास मेरी बहन ने मुझे कराया। एक दिन बातों ही बातों में मेरी बहन ने मुझसे कहा कि जब तुम्हारी रिद्धि के साथ इतनी अच्छी बनती है तो तुम लोग शादी क्यों नहीं कर लेते? पहले तो मुझे थोडा अजीब लगा लेकिन फिर मैंने यह बात रिद्धि को बताई। इसके बाद हम शादी को लेकर थोडा गंभीर हुए।
रोमैंटिक अदा रिद्धि : मैं बहुत रोमैंटिक नहीं हूं। मैं अपनी फीलिंग लिखकर एक्सप्रेस करती हूं, जबकि इस मामले में राकेश का कोई सानी नहींहै। राकेश जो सरप्राइज मुझे देते हैं, मैं हैरान रह जाती हूं कि इतने आइडियाज राकेश के पास आते कहां से हैं। जैसे एक एनिर्वसरी पर उन्होंने मेरी पसंद का खाना बनाया। सी-लिंक पर गाडी रोककर उन्होंने मुझे सॉलिटेयर इयररिंग दिए। ऐसे ही एक दिन जब मैं काम से लौटी तो राकेश ने सरप्राइज के रूप में मेरा बेहद खूबसूरत स्केच, जो स्वयं उन्होने बनाया था, मुझे गिफ्ट किया। इस मामले में उन्हें मैच करना बेहद मुश्किल है। राकेश : मैं रोमैंटिक हूं लेकिन यह पर्सनल फीलिंग है। रिद्धि ने हमारी सगाई के दिन मेरी इस पर्सनल फीलिंग को सार्वजनिक करने पर मजबूर कर दिया। हुआ यह कि शादी के लिए मैंने कभी रिद्धि को ऑफिशियली प्रपोज नहीं किया था। सगाई के दिन वह जिद पर अड गईं कि तब तक रिंग नहीं पहनेंगी, जब तक कि मैं उन्हें सबके सामने प्रपोज न करूं। मैं घरवालों और रिश्तेदारों के बीच ऐसा करने में थोडा झिझक रहा था लेकिन रिद्धि की जिद के आगे आखिरकार मुझे झुकना पडा। मैंने सबके सामने उन्हें प्रपोज किया।
भा गई वो अदा रिद्धि : राकेश बहुत पैशनेट हैं। वह हर काम में अपना जी-जान लगा देते हैं। मैं ऐसी नहीं हूं। मैं हार्डवर्क करती हूं लेकिन उतना ही जितनी जरूरत हो। राकेश कोई काम हाथ में लेते हैं तो उसमें अपना सौ प्रतिशत देते हैं। मुझे उनकी यह बात हैरान करती है। मैं काम के साथ अपने लिए भी समय निकालती हूं। राकेश : रिद्धि में इतनी एनर्जी है कि उनकी संगत में कोई भी सुस्त इंसान एनर्जी से भर जाए। वह खुशमिजाज हैं। वह जहां जाती हैं, खुशियां बिखेर देती हैं। वह अपने काम के प्रति समर्पित हैं, साथ ही अनुशासित हैं। मुझे उनकी ये बातें बेहद अच्छी लगती हैं।
काश बदल जाए वह आदत रिद्धि : राकेश असमय सोते हैं। वह रात भर जागते हैं और दिन भर सोते रहते हैं। मुझे उनकी यह आदत बेहद खराब लगती है। उनका असमय सोना और खाना मुझे अच्छा नहीं लगता। हालांकि वह अपनी सेहत का बेहद खयाल रखते हैं, फिर भी मैं चाहती हूं कि वह अपनी सोने की आदत सुधार लें। राकेश : रिद्धि परफेक्ट हैं। उनमें कोई भी ऐसी बुरी आदत नहीं है, जो मैं बदलना चाहूं।
लोकप्रियता से डर रिद्धि : मैंने राकेश से इसलिए शादी की क्योंकि वह सिर्फ एक ऐक्टर नहीं, एक आम आदमी थे, जिन पर शोहरत का नशा कभी चढ ही नहीं सकता था। वह जानते हैं कि शोहरत एक धुंध की तरह है और उसके आने-जाने से जीवन नहीं बदलता। इसी कारण हमें एक-दूसरे की लोकप्रियता से असर नहीं पडता। राकेश : मुझे स्टारडम कभी छू नहींपाया और इसीलिए मैं नॉर्मल हूं। ऐसा होने में मेरे घरवालों की अहम भूमिका है। उन्होंने कभी मेरी बढ-चढकर तारीफ नहीं की और मुझे हमेशा डाउन टु अर्थ रहने की सलाह दी। शायद इस कारण लोकप्रियता से रिश्तों पर प्रभाव नहीं पडा।