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अच्छा है भूल जाना

हर रिश्ते में कई बार दुखद मोड़ आते हैं। उन यादों को भूल पाना नामुमकिन सा लगता है, पर मन के सुकून के लिए उन्हें भुला देना ही अच्छा रहता है।

By Edited By: Published: Sat, 01 Dec 2012 11:05 AM (IST)Updated: Sat, 01 Dec 2012 11:05 AM (IST)
अच्छा है भूल जाना

बचपन से ही हम यह सुनते आ रहे हैं कि एक रिश्ते को संवारने में बरसों लग जाते हैं, पर उसे बिगाडने में एक पल भी नहीं लगता। अगर किसी रिश्ते में कोई दरार आ जाए तो उसके टूटने की कसक मन में हमेशा बनी रहती है। वक्त बीतने के साथ जब गुस्सा ठंडा हो जाता है तो गलत व्यवहार करने वाले इंसान के मन में कहीं न कहीं पश्चात्ताप की भावना जरूर रहती है। ऐसे में अगर कोई माफी मांगे या न मांगे तो भी उसके बुरे बर्ताव को भूल जाने से अपना मन तनावमुक्त हो जाता है।

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भुला दें कडवाहट

अब तो इस घटना को पांच वर्ष बीत चुके हैं, पर वह मेरे जीवन का बेहद मुश्किल दौर था। मेरी छोटी बहन देखने में मुझसे ज्यादा  सुंदर है। जब मेरी शादी की बात चल रही थी, तब मेरे माता-पिता ने उसे लडके वालों के सामने न आने की हिदायत दी थी, फिर भी वह उनके सामने चली आई, लिहाजा उन लोगों ने उसे पसंद कर लिया। वह उम्र कुछ ऐसी थी कि मैं मन ही मन उस लडके को चाहने लगी थी। ख्ौर,  उसकी शादी वहां हो गई। आज मैं भी अपने परिवार में ख्ाुश  हूं, पर उस घटना के बाद से हम दोनों बहनों के आपसी रिश्ते में ऐसी दरार पड गई थी कि उसका भर पाना नामुमकिन लग रहा था। मैंने उससे बातचीत बंद कर दी थी क्योंकि उसकी ऐसी हरकत की वजह से मैं ख्ाुद को अपमानित महसूस कर रही थी। मैं जब भी उसे देखती तो मुझे वही सारी बातें याद आने लगतीं और मेरा मन विचलित हो उठता। शादी के बाद जब मेरे पति को यह सब मालूम हुआ तो उन्होंने मुझे समझाया कि इतने लंबे समय तक कडवी यादों को दिल में संजोकर रखना अच्छा नहीं है। इसकी वजह से तुम मानसिक तनाव में रहोगी और अपनी बहन के साथ तुम्हारा नाता टूट जाएगा।  इससे पहले मेरी बहन ने मुझसे कई बार माफी मांगने की कोशिश की थी, पर मैं हमेशा उसके साथ बेरुखी से पेश आती थी। इसलिए उसने भी मुझसे बातचीत बंद कर दी। लिहाजा अब संबंध सुधारने की पहल मुझे ही करनी थी। उसकी बर्थ डे वाले दिन जब मैं अचानक उसके घर पहुंची तो मुझे देखकर वह ख्ाुशी  के मारे रो पडी। अब मेरे मन में उसके प्रति कोई कडवाहट नहीं है। यह कहना है कि दिल्ली की 29  वर्षीया होममेकर  संगीता (परिवर्तित नाम ) का। इस संबंध में मनोवैज्ञानिक सलाहकार डॉ. अनु गोयल कहती हैं, अगर कोई इंसान अपने भीतर क्रोध और नफरत की भावना को ज्यादा  लंबे समय तक पलने दे तो इससे उसे हाइपरटेंशन,  हाई ब्लडप्रेशर और डिप्रेशन  जैसी समस्याएं हो सकती हैं। जितनी जल्दी हो सके दूसरों के बुरे बर्ताव को भूलने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसी बातें इंसान की सोच को नकारात्मक बनाती हैं। ऐसी सोच के साथ कोई भी व्यक्ति जीवन में आगे नहीं बढ सकता।

अपनी बेहतरी के लिए

जीवन का एक-एक पल बहुत कीमती होता है। हम दूसरों से जितनी नाराजगी रखेंगे ख्ाुशियां  हमसे उतनी ही दूर होती चली जाएंगी। सरला जैन (परिवर्तित नाम) एक कॉलेज  की अवकाश प्राप्त प्राध्यापिका हैं। वह बताती हैं, मेरी बेटी ने आज से दस साल पहले हमारी मर्जी के ख्िालाफ प्रेम विवाह किया था। तब हम मध्य प्रदेश के छोटे से शहर में रहते थे। उसकी ससुराल वाले दूसरे धर्म को मानते थे। इस घटना से मुझे बहुत गहरा सदमा लगा। वहां समाज का इतना दबाव था कि हम चाहकर भी बेटी को अपना नहीं सकते थे। जिस बेटी को मैंने इतने प्यार से पाला था, उसने मुझे इतना दुख क्यों दिया, यह सोचकर मैं अकसर रोती रहती थी। मुझे डिप्रेशन  हो गया था। इस घटना के बाद मैं अपने बेटे-बहू के साथ दिल्ली आ गई। दो साल पहले क्षमा पर्व के दौरान उसने पत्र लिखकर मुझसे माफी मांगी। जैन समाज में इस अवसर पर सभी अपनी गलतियों के लिए एक-दूसरे से क्षमा मांगते है। ऐसी मान्यता है कि इससे क्षमा मांगने और देने वाले दोनों कीआत्मा की शुद्धि हो जाती है। इसलिए मैंने भी उसे माफ कर दिया। इसके बाद मैंने उसे सपरिवार मिलने के लिए बुलाया तो उसके मासूम बच्चों और नेकदिल पति को देखकर मेरा सारा गुस्सा दूर हो गया। अगर मैं उसे क्षमा नहीं करती तो ख्ाुद को भी माफ न कर पाती। मुझे ऐसा लगता है कि माफ कर देना केवल दूसरों के लिए ही नहीं, बल्कि अपने लिए भी अच्छा रहता है।

ना•ाुक है रिश्तों की डोर

अपने सामाजिक जीवन में हमें कई ऐसे लोगों साथ भी संबंध निभाना पडता है, जिन्हें हम नापसंद करते हैं। इस संबंध में मनोवैज्ञानिक सलाहकार डॉ. सुरभि सोनी कहती हैं, यह संभव नहीं है कि हमारे आसपास के सभी लोगों का व्यवहार और विचार हमारे मन मुताबिक हो। अगर कोई इंसान बुरे व्यवहार के आधार पर एक-एक करके लोगों से अपने रिश्ते खत्म  करता रहेगा तो अंतत: उसके जीवन में एक ऐसी स्थिति आएगी, जब वह बिलकुल अकेला पड जाएगा। इसका मतलब यह नहीं है कि आप हर गलत व्यवहार को चुपचाप सहन करते रहें। किसी का कोई व्यवहार आपको गलत लगता है तो उसे उसी वक्त  टोकना चाहिए। अगर कभी आपको यह मालूम हो कि आपके किसी करीबी दोस्त या रिश्तेदार ने आपको धोखा दिया है तो उसके सामने अपनी नाराजगी का इजहार जरूर करें। चाहें तो अपने रिश्ते में थोडी दूरी भी बना लें, लेकिन उसके साथ हमेशा के लिए दुश्मनी का रिश्ता न बनाएं। उसके बारे में लोगों से चर्चा करना बंद कर दें तो आपके लिए उस कटु अनुभव को भूलना आसान हो जाएगा। रिश्तों की कडवाहट भुलाने के लिए हमें सही समय का इंतजार करना चाहिए। वक्त  के साथ बुरी यादों की तसवीर अपने आप धुंधली हो जाती है।

माफ करें, मस्त रहें

अंग्रेजी में एक कहावत है- फॉरगेट  एंड फॉरगिव। हमें भी इस पर अमल करने की कोशिश करनी चाहिए। एक बार इस ओर कदम बढाकर तो देखें आपको ख्ाुद  बहुत अच्छा महसूस होगा :

-अगर किसी ने आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई हो तो उसके बुरे बर्ताव को याद करके अपना मन दुखी करने के बजाय वहां से ध्यान हटाने की कोशिश करें।

-अगर आपके साथ बुरा बर्ताव करने या आपको नुकसान पहुंचाने वाला व्यक्ति आपसे माफी मांगना चाहता है और उस वक्त आपका मूड ज्यादा  ख्ाराब  हो तो भी अपने गुस्से पर नियंत्रण रखते हुए चुप रहें। विनम्रतापूर्वक उससे बाद में बात करने का आग्रह करें।

-अगर दूसरों के व्यवहार से हमें कष्ट भी पहुंचता है तो हमें अपनी ओर से कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहिए, जिससे हमारा कष्ट और बढ जाए।

- ख्ाुद को अपनी रुचि से जुडे कार्यो जैसे-पेंटिग, म्यूजिक या बागवानी में व्यस्त रखने की कोशिश करें।  

-नकारात्मक बातों को पीछे छोडकर उत्साह के साथ आगे बढने का ही नाम जिंदगी है। इसलिए हमें अपने आप से यह वादा करना करना चाहिए कि वैसी बातों के लिए हमारे मन में कोई जगह नहीं होगी, जिनसे हमें दुख पहुंचता है।


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