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समय के साथ चलें

आजकल पेरेंटल काउंसलिंग को भी काफी अहमियत दी जाती है। यह क्यों ज़रूरी है, आइए जानते हैं सखी के साथ।

By Edited By: Published: Sat, 15 Apr 2017 04:38 PM (IST)Updated: Sat, 15 Apr 2017 04:38 PM (IST)
समय के साथ चलें

जब भी स्टूडेंट्स के लिए करियरके चुनाव का समय आता है तो उनके साथ पेरेंट्सभी चिंतित हो जाते हैं। इसीलिए आजकल पेरेंटलकाउंसलिंगको भी काफी अहमियत दी जाती है। यह क्यों जरूरी है, आइए जानते हैं सखी के साथ।

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अच्छी बात है कि आज के पेरेंट्स अपने बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए उन्हें सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने की कोशिश में जुटे रहते हैं। फिर भी अनजाने में उनसे कुछ ऐसी गलतियां हो जाती हैं, जिनसे उन्हें बचने की कोशिश करनी चाहिए।

अपने अधूरे सपने थोपना ज्य़ादातरपेरेंट्सअपने अधूरे सपने बच्चों के माध्यम से पूरा करना चाहते हैं। इसके लिए वे छोटी उम्र से ही उन पर कई तरह के दबाव डालना शुरू कर देते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि बच्चे को स्पेशल ट्रेनिंग देकर उसे किसी भी फील्ड के लिए तैयार किया जा सकता है। ...लेकिन ट्रेनिंग भी उसी स्थिति में फायदेमंद साबित होगी, जब करियर का चुनावबच्चे की रुचि के अनुकूल हो। इसी तरह कुछ पेरेंट्स बच्चे की रुचियों की परवाह किए बगैर उसे अपने ही प्रोफेशन में आगे बढऩे के लिए प्रेरित करते हैं। ऐसा करना अनुचित है। ऐसी स्थिति में वे केवल अपने पेरेंट्स की बात मानने के लिए बेमन से उस फील्ड में चले जाते हैं, जिसमें उनकी कोई दिलचस्पी नहीं होती। इसलिए बच्चों पर अपनी इच्छाओं का बोझ न डालें, बल्कि उन्हें उनकी रुचि से जुडे क्षेत्र में आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित करें।

दूर रहें पीयरप्रेशर से टीनएजर्स पर दोस्तों का बहुत ज्य़ादाप्रभाव रहता है। पढाई के दौरान वे बिना सोचे-समझे अपने लिए उसी स्ट्रीमका चुनाव कर लेते हैं, जहां उनके दोस्त जा रहे होते हैं। अकसर ऐसा देखने को मिलता है कि भले ही बच्चे को साइंस में कम माक्र्समिले हों पर अपने दोस्तों के साथवक्त बिताने के लिए वह फिजिक्स, केमिस्ट्रीऔर मैथ्सजैसे कठिन सब्जेक्ट्सका चुनाव कर लेता है, जिसमें उसकी कोई दिलचस्पी नहीं होती। इस उम्र में बच्चे दोस्ती को लेकर बहुत इमोशनलहोते हैं। इसलिए आठवीं-नौवीं क्लास से ही बच्चों को इस बात के लिए मानसिक रूप से तैयार करना चाहिए कि पीयरप्रेशर में आकर वे अपने लिए किसी ऐसी स्ट्रीमका चुनाव न करें, जिसमें उनकी दिलचस्पी न हो। उन्हें शुरू से ही यह बात समझानी चाहिए कि दोस्तों से मिलना-बिछडऩा जीवन का स्वाभाविक हिस्सा है। केवल दोस्ती के आधार पर करियरका चुनाव करना गलत है। आने वाले समय में तुम्हारे कई नए दोस्त बनेंगे और कुछ दिनों बाद जब तुम उच्च शिक्षा के लिए दूसरे शहर में जाओगे तो वहां भी तुम्हें कई नए दोस्त मिलेंगे। वैसे भी आजकल स्कूल-कॉलेज छोडऩे के बाद फोन और सोशल मीडिया के जरिये पुराने दोस्तों से भी संपर्क बना रहता है।

स्टेटससिंंबल नहीं हैं बच्चे पेरेंटलकाउंसलिंगके दौरान आजकल अभिभावकोंको सबसे पहले यह समझाया जाता है कि वे दोस्तों, रिश्तेदारों और पडोसियों से अपने बच्चे की तुलना न करें। ज्य़ादातरपेरेंट्सको ऐसा लगता है कि अगर आसपास के बच्चे इंजीनियरिंग में जाने के लिए कोचिंग ले रहे हैं तो हमारे बच्चे को भी यही करना चाहिए क्योंकि इससे अच्छी जॉब मिलती है। ऐसा सोचना गलत है। पेरेंट्सको यह समझना चाहिए कि हर बच्चा अपने आप में खासहोता है। उसकी रुचियों को पहचान कर उसे हमेशा उसी दिशा में आगे बढऩे के लिए प्रेरित करें। पेरेंट्सके लिए इस सोच से बाहर निकलना बहुत जरूरी है कि सिर्फ साइंस या कॉमर्सपढऩे वाले बच्चों को ही अच्छी जॉब मिलती है। आजकल आट्र्स पढऩे वाले बच्चों के लिए भी करियरके कई बेहतर विकल्प मौजूद हैं। अगर पेरेंट्सबिना धैर्य खोए, अपने बच्चे की क्षमता और रुचि के अनुकूल करियरके बेहतर विकल्प तलाशने की कोशिश करें तो उन्हें कामयाबी जरूर मिलेगी।

पहचानें उसकी रुचियों को केवल पढाई के मामले में ही नहीं बल्कि रोजमर्रा के जीवन में भी बच्चों की सभी गतिविधियों को गौर से देखें और रुचियों को बारीकी से समझने की कोशिश करें। महीने भर तक बहुत ध्यान से बच्चे की आदतों को समझने के बाद उन्हें किसी डायरी में भी नोट करें। फिर अंत में उसकी सारी खूबियों की तुलना करके इस संभावना पर विचार करें कि भविष्य में उसके लिए कौन सा करियरअच्छा होगा। मिसाल के तौर पर अगर कोई बच्चा परीक्षा में भले ही अच्छे अंक हासिल न करता हो लेकिन अगर वह हर संडेकिचन में जाकर कुछ नया बनाने की कोशिश करता है तो यह संभव है कि उसमें अच्छा शेफबनने का हुनर छिपा हो। अपने बच्चे में छिपे ऐसे हुनर को पहचानने की कला हर पेरेंटमें होनी चाहिए।

कोर्स को दें अहमियत बारहवीं का रिजल्ट आते ही कॉलेजमें एडमिशनकी भागदौड शुरू हो जाती है। कुछ स्टूडेंट कॉलेजकैंपस के माहौल से इतने प्रभावित होते हैं कि किसी खासकॉलेजमें एडमिशनलेना ही उनका एकमात्र सपना होता है। इसके लिए वे अपना मनचाहा सब्जेक्ट छोडकर किसी दूसरी फैकल्टीका चुनाव कर लेते हैं। यह उनके करियरकी दृष्टि से बहुत नुकसानदेह साबित होता है। यहां पेरेंट्सकी यह जिम्मेदारी बनती है कि अपने बच्चों को समझाएं कि सीवीमें किसी बडे कॉलेज का नाम दर्ज कराने का मोह छोडकर उन्हें अपने लिए किसी ऐसे कॉलेजका चुनाव करना चाहिए, जहां उनके सब्जेक्ट्स के अच्छे टीचर मौजूद हों। कुछ पेरेंट्सअपने बच्चों के प्रति ओवर प्रोटेक्टिवहोते हैं और वे उन्हें आगे की पढाई के लिए दूसरे शहर में भेजने को तैयार नहीं होते। इसी तरह कुछ छात्रों को भी होम सिकनेसकी समस्या होती है और पढाई के लिए अपना शहर छोडऩे को तैयार नहीं होते।

बढाएं बच्चे का आत्मविश्वास ऐसी समस्या से बचने के लिए बच्चों को शुरू से ही इतना कॉन्फिडेंटबनाएं कि वे हर तरह के माहौल में आसानी से एडजस्टकर सकें। उन्हें हमेशा ऐसे दोस्त बनाने के लिए प्रेरित करें, जो करियर के चुनाव में उनके लिए मददगार साबित हों। अगर आपके बच्चे करियरसिलेक्शन के अहम मोड पर हों तो रोजाना उनके साथ क्वॉलिटीटाइम बिताएं, उनकी सारी बातें ध्यान से सुनें। हर समस्या का समाधान ढूंढने में उनकी मदद करें। बच्चों के करियरको लेकर तनावग्रस्त न हों क्योंकि पेरेंट्सकी मन:स्थिति को वे बहुत जल्दी समझ जाते हैं। माता-पिता को चिंतित देखकर उनका आत्मविश्वास डगमगाने लगता है। इसलिए जहां तक संभव हो, अपने परिवार का माहौल सहज और खुशनुमाबनाए रखें।


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