कमर्शियल मसाला फिल्में भाती हैं: करीना कपूर
उनकी फिल्में चलें या न चलें, वह चलती रहती हैं। अपनी लापरवाहियों और गलत फैसलों के बावजूद करीना कपूर की मांग बनी हुई है। एक नजर करीना के करियर ग्राफ पर।
पिछले दिनों ऐसी कई फिल्मों का उल्लेख किया गया, जिन्हें किसी न किसी वजह से करीना ने स्वीकार करने से मना कर दिया। उनकी समकालीन दूसरी अभिनेत्रियों को वे फिल्में मिलीं और आज वे करीना से आगे निकलती नजर आ रही हैं। हाल ही में उन्होंने जोया अख्तर की फिल्म दिल धडकने दो छोडी। वह कहती हैं, एक साथ तीन महीने का समय निकालना मेरे लिए मुश्किल था। कुछ छूटने का मझे दुख तो होता है, लेकिन यह मेरा फैसला है। मैं अपने फैसलों से खुश रहती हूं। मैं पछतावे में यकीन नहीं करती। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में आगे रहने की होड चलती रहती है। सभी अभिनेता-अभिनेत्री यही चाहते हैं कि वे आगे रहें। करीना को इस भेडचाल से फर्क नहीं पडता। वह अपनी पसंद और चुनाव से खुश रहती हैं।
फैन हूं रोहित की
करीना की फिल्म सिंघम रिटर्न्स आने वाली है। अजय देवगन और रोहित शेट्टी के साथ यह उनकी तीसरी फिल्म होगी। गोलमाल रिटर्न्स और गोलमाल 3 के बाद वह एक बार फिर हिट जोडी के साथ आ रही हैं। करीना खुद को रोहित शेट्टी का फैन कहती हैं। रोहित के बारे में उनकी धारणा है, रोहित आज के समय के मनमोहन देसाई हैं। पूरे परिवार के साथ उनकी फिल्में देखी जा सकती हैं। उन्होंने तो मुझे दो हिट फिल्में भी दी हैं। रोहित का ऑफर हो तो स्क्रिप्ट देखने-पढने की जरूरत नहीं रहती। मुझे उम्मीद है कि उनके साथ सिंघम रिटर्न्स भी खूब चलेगी।
नाकामी की चिंता नहीं
प्रकाश झा की सत्याग्रह में भी वह अजय देवगन के साथ थीं, लेकिन उस फिल्म को दर्शकों ने नापसंद कर दिया था। करीना ऐसी असफलताओं को काउंट नहीं करतीं। उनके लिए लगातार काम करते रहना व घर-परिवार पर ध्यान देना जरूरी है। वह स्पष्ट शब्दों में कहती हैं, करियर के इस मकाम पर मैं हिट और फ्लॉप की चिंताओं से निकल चुकी हूं। फिल्म न चलने का अफसोस जरूर होता है, लेकिन सभी की तो फिल्में फ्लॉप होती हैं। मेरे बारे में ज्यादा चर्चा होती है। मुझे लगता है कि मेरे शुभचिंतकों की संख्या ज्यादा है।
करीना व उनकी समकालीन अभिनेत्रियों से यह बराबर पूछा जाता है कि मसाला एंटरटेंमेंट फिल्मों में डायरेक्टर का सारा ध्यान तो हीरो पर रहता है। पर करीना को ऐसी फिल्मों के लिए हां कहने में दिक्कत नहीं होती। वह कहती हैं, इन फिल्मों में भी हीरोइन का काम रहता है। मुझे क मर्शियल मसाला फिल्में करने में मजा आता है। मेरी ऐसी फिल्में चली भी हैं। इन फिल्मों में रोना-धोना नहीं रहता, कॉमेडी रहती है, लेकिन कॉमेडी करना आसान तो नहीं है।
देती हूं अपना बेस्ट
करीना ने करियर के आरंभ में ही चमेली, देव व ओमकारा जैसी फिल्मों में अपनी प्रतिभा का परिचय दे दिया था। वह आगे भी ऐसी फिल्में करना चाहती हैं। सभी को उम्मीद थी कि उनकी फिल्म हीरोइन आर्ट व कमर्शियल सिनेमा के बीच का मजबूत उदाहरण बनेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। क्यों? दार्शनिक अंदाज में जवाब होता है, हम मेहनत ही कर सकते हैं। फिल्मों का चलना और नहीं चलना अन्य कई बातों पर निर्भर करता है।
अजय ब्रह्मात्मज