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अच्छे काम से ही होता है नाम

बोल्ड, ब्यूटिफुल और बिंदास बिपाशा बसु की बॉडी लैंग्वेज का लोहा पूरी इंडस्ट्री मानती है। मॉडलिंग की दुनिया से फिल्मों में ़कदम रखने वाली बिपाशा का अब तक का स़फर कैसा रहा, जानिए सखी के साथ।

By Edited By: Published: Fri, 01 Feb 2013 12:32 AM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2013 12:32 AM (IST)
अच्छे काम से ही होता है नाम

बिपाशा  बसु हिंदी सिनेमा में मॉडलिंग की दुनिया से आई उन चंद अभिनेत्रियों में से हैं जिनका करियर  फिल्मों में भी उतना सफल रहा जितना मॉडलिंग में। फिल्मों से लेकर निजी िजंदगी में बिपाशा विवादों में भी रहीं, लेकिन उनके करियर  पर कोई भी चीज हावी नहीं हुई। िफलहाल वे साल 2005  की सुपरहिट  फिल्म नो एंट्री में एंट्री और आत्मा में काम कर रही हैं। हाल ही में उन्होंने डांस की शैली पर आधारित एक फिटनेस  डीवीडी  ब्रेक फ्री भी लॉन्च की है।

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सेल्फ कॉन्फिडेंस ने बनाया सेल्फमेड

बिपाशा पढाई में शुरू से ही एक बेहतरीन स्टूडेंट रही हैं। ख्ाुद बिपाशा  कहती हैं कि अगर वह मॉडलिंग  में नहीं आतीं तो एक बेहतरीन एक्मेडिशियन  होती। हालांकि, उनका कद छोटा था और वह सांवली थी। यह उनका आत्मविश्वास ही था जिसके दम पर उन्होंने मॉडलिंग  की दुनिया में आने की सोची। लेकिन आज जब बिपाशा  अपने करियर  की पडताल करती हैं तो उन्हें कहीं न कहीं पढाई पूरी न कर पाने का मलाल है। उन्हें लगता है कि महज 16  साल की उम्र में मॉडलिंग में नहीं आना चाहिए था। पर उन्होंने मॉडलिंग  में आने के बाद सब कुछ कन्विक्शन  के साथ किया।

अच्छे दोस्त हैं विक्रम

बिपाशा  कहती हैं कि उस व्यक्ति को जीवन में आगे बढने में बहुत तकलीफ होती है, जो अपने आप से प्यार नहीं करता है। ख्ासकर लडकियों के लिए तो हमारे समाज में ख्ाुद की फेवरिट होना और भी जरूरी होता है। हम जिस दौर में जीते आ रहे हैं उसमें आपका ख्ाुद से बडा मददगार कोई नहीं हो सकता। जीवन जीने के दो ही तरीके हैं या तो जैसा हो रहा है उसे होने दें या फिर अपने हिसाब से फैसले लेकर जीवन को अपने अनुकूल बना लें। मैं जब भी भट्ट परिवार के करीब होती हूं, सकारात्मक ऊर्जा से भर जाती हूं। विक्रम मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं और उन्होंने मुश्किल वक्त में मेरा साथ दिया है। राज 3 का भी ऑफर  उन्होंने मुझे एक मुश्किल समय में दिया और मैंने अपना बेस्ट दिया। अब फिल्म का रिस्पॉन्स  आप सबके सामने है।

सफलता-असफलता की चकाचौंध

करियर के शुरूआती दौर में मुझे सफलता की बडी भूख थी पर अब इतने सालों तक ग्लैमर इंडस्ट्री में बिताने के बाद समझ में आ गया है कि कुछ शाश्वत नहीं है, सिवाय आपके अच्छे काम के। आप चाहे तो सैकडों  ख्ाराब फिल्में करके पैसे कमा लें, लेकिन आपकी एक बेहतरीन फिल्म सब पर भारी रहेगी। हिंदी सिनेमा में ऐसे कई नाम हैं जो चमकने के बाद तेजी से अंधेरे में गुम हो गए। अभिनेत्रियों के लिए तो हालत और ख्ाराब है। इतने सालों बाद भी उनके लिए अच्छे किरदार नहीं लिखे जा रहे हैं।

शॉर्टकट से नहीं बनती सेहत

फिटनेस  के लिए कडी मेहनत जरूरी है। अगर कोई कहे कि उसे बिपाशा  जैसी बॉडी  बिना मेहनत के चाहिए तो यह संभव नहीं। योग में भी आत्मनियंत्रण  को सफल होने की सबसे प्राथमिक और अहम कडी बताया गया है। मेरी हालिया डीवीडी  ब्रेक फ्री भी हिंदुस्तान में लोगों को फिट रखने की मुहिम का एक हिस्सा है। इस डीवीडी  में साठ दिनों का एक विशेष डाइट प्लान बताया गया है जिसके आधार पर आप एक्सरसाइज करते हुए दो महीने में मनचाही फिटनेस  पा सकेंगे।


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