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इम्तेहान है जि़ंदगी

फेमिना मिस इंडिया इंटरनेशनल 2011 की विजेता अंकिता शौरी के लिए मेहनत सब कुछ है। पूरी तैयारी के बिना कोई काम अपने जिम्मे नहीं लेतीं। अंकिता से एक बेबाक बातचीत।

By Edited By: Published: Tue, 29 Mar 2016 02:45 PM (IST)Updated: Tue, 29 Mar 2016 02:45 PM (IST)
इम्तेहान है जि़ंदगी
फेमिना मिस इंडिया इंटरनेशनल 2011 की विजेता अंकिता शौरी के लिए मेहनत सब कुछ है। पूरी तैयारी के बिना कोई काम अपने जिम्मे नहीं लेतीं। अंकिता से एक बेबाक बातचीत।

हनत से न घबराने वाली अंकिता शौरी •िांदगी में सकारात्मक सोच को बहुत •ारूरी मानती हैं। उन्होंने हाल ही में तीन फिल्में साइन की हैं। दिल्ली की इस खूबसूरत मॉडल-ऐक्ट्रेस से एक बातचीत।

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मॉडलिंग में कैसे आईं?

मेरा फोकस हमेशा से पढाई पर ही था। किसी इवेंट में एक मॉडलिंग एजेंसी की ओनर ने मुझे मॉडलिंग करने का सुझाव दिया। तभी से ग्लैमर इंडस्ट्री में आ गई।

अमूमन ब्यूटी कॉन्टेस्ट जीतने के बाद विनर्स मूवीज में नजर आने लगती हैं। आपने यहां एंट्री करने में इतना समय क्यों लिया?

मैं जो भी करती हूं, पूरी मेहनत और लगन से करती हूं। हर काम में अपना 100 प्रतिशत देने में विश्वास रखती हूं। टाइटल जीतने के बाद मुझे मूवी ऑफर्स मिलने लगे थे। मगर मैं पूरी तैयारी के साथ ही इंडस्ट्री में कदम रखना चाहती थी। जब मैं मॉडलिंग करियर के पीक पर थी, कई फेमस ब्रैंड्स की एंबेसेडर थी, उसी समय सब छोडकर ऐक्टिंग कोर्स करने दिल्ली चली गई थी। अब मैं ख्ाुद को इंडस्ट्री के लिए तैयार मानती हूं, इसलिए मूवीज साइन कर रही हूं।

मॉडल-ऐक्ट्रेस न होतीं तो आप क्या होतीं?

...शायद आर्कियोलॉजिस्ट होती, ईजिप्ट जाकर पिरमिड्स पर रिसर्च कर रही होती। मैंने हिस्ट्री ऑनर्स किया है। नॉलेज के बलबूते मिस इंडिया इंटरनेशनल का ख्िाताब जीता था।

आपकी हॉबीज का आपकी लाइफ में क्या महत्व है?

मेरा पेंटिंग, क्राफ्टिंग और डिजाइनिंग में बहुत इंट्रेस्ट रहा है। मेरे घर के ज्यादातर डेकोरेटिव आइटम्स मेरे बनाए हुए हैं। अपनी ड्रेसेज और इयररिंग्स भी मैं ख्ाुद ही डिजाइन करती हूं्र। मुझे अपना सिग्नेचर स्टेटमेंट बनाना पसंद है।

अपनी स्ट्रेंथ और वीकनेस किसे मानती हैं? करियर में उनका फायदा मिलता है?

मैं जो भी करती हूं, पूरी शिद्दत से करती हूं। मेरा मानना है कि आधी जंग तो हार्ड वर्क से जीती जा सकती है। ख्ाुद पर विश्वास जरूरी होता है। मैं जो ठान लेती हूं, उसे पूरा करने के लिए दिलोजान से मेहनत करती हूं, इसी को अपनी ताकत मानती हूं। हो सकता है कि मेरी कमजोरी मेरा ज्यादा इमोशनल होना हो। पर उसी की वजह से मैं परफॉर्मर भी हूं। अपने इमोशंस को सही चैनल में लगाना जरूरी होता है।

अकसर ऐक्ट्रेसेज शादी देर से करती हैं। आपकी राय क्या है?

मैं एक फैमिली पर्सन हूं और शादी की संस्था पर मेरा पूरा विश्वास है। पर िफलहाल मेरा फोकस सिर्फ करियर पर है। मैं करियर की तरह ही अपने रिश्ते में भी पूरा कमिटमेंट रखूंगी। मैं ख्ाुद को एक आत्मा मानती हूं जिसे शरीर मिला हुआ है, न कि एक शरीर जिसमें आत्मा का वास हो। जिंदगी लगातार चलने वाले एग्जैम की तरह है। हर दिन को एक टास्क मानना चाहिए, जिसे सही ढंग से पूरा करना आपकी जिम्मेदारी होती है। लाइफ एक स्कूल है, जहां आप गिरते हैं, सीखते हैं और फिर एक बेहतर इंसान बन जाते हैं। हर एक पल को ख्ाुशी और उम्मीद के साथ जिएं। उसे हमेशा सकारात्मक उम्मीदों और यादों से संवारें।

दीपाली पोरवाल


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