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याद आती हैं दिल्ली की गलियां: अभिलाष कुमार

धारावाहिक 'लौट आओ तृषा' में बॉबी का दमदार रोल अदा कर अभिलाष ने जल्दी ही छोटे पर्दे से बी टाउन में एंट्री कर ली। हाल में उनकी फिल्म 'घायल वन्स अगेन' रिलीज़ हुई है। फिल्म में नेगेटिव रोल कर अभिलाष ने बॉलीवुड में अपनी अलग छाप छोड़ी है।

By Edited By: Published: Tue, 05 Apr 2016 02:57 PM (IST)Updated: Tue, 05 Apr 2016 02:57 PM (IST)
याद आती हैं दिल्ली की गलियां: अभिलाष कुमार

धारावाहिक 'लौट आओ तृषा' में बॉबी का दमदार रोल अदा कर अभिलाष ने जल्दी ही छोटे पर्दे से बी टाउन में एंट्री कर ली। हाल में उनकी फिल्म 'घायल वन्स अगेन' रिलीज हुई है। फिल्म में नेगेटिव रोल कर अभिलाष ने बॉलीवुड में अपनी अलग छाप छोडी है।

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फिल्म 'घायल वन्स अगेन' में अपने नेगेटिव किरदार से दर्शकों की वाहवाही लूटने वाले विलेन अभिलाष कुमार दिल्ली के हैं। आमतौर पर विलेन के किरदार को ऐसी तारीफें कम ही मिलती हैं, जो इन्हें मिलीं। सपनों की नगरी मुंबई में कडी मेहनत और संघर्ष के बाद उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है। उनके सफर और भावी योजनाओं के बारे में उनसे 10 सवाल।

पहली ही मूवी में विलेन क्यों? वैसे आपको कौन सा विलेन किरदार अच्छा लगता है?

मैंने ऐसी कोई प्लैनिंग नहीं की थी। मैं शुरू से चॉकलेटी और मासूम लडका समझा जाता था, मगर सनी देओल को मुझ पर विश्वास था कि मैं नकारात्मक भूमिका कर सकता हूं। मुझे शाहरुख खान की मूवी 'डर में उनका किरदार बेहद पसंद है।

दर्शकों का क्या रिएक्शन था?

मुझे शानदार रिस्पॉन्स मिला। रील लाइफ में मैं जो दिखता हूं, वैसा मैं रीअल जिंदगी में बिलकुल नहीं हूं।

क्या भविष्य में भी नेगेटिव रोल करेंगे?

मुझे विलेन के रोल से कोई दिक्कत नहीं है मगर भविष्य में मैं कुछ रोमैंटिक कॉमेडी रोल करना भी पसंद करूंगा।

बी टाउन में कितना स्ट्रगल है?

देखिए, हर फील्ड में स्ट्रगल करना पडता है। अभी तो सिर्फ शुरुआत है। मैंने शुरू में स्टेज शोज किए और फिर मॉडलिंग में कदम बढाया और उसके बाद ऐक्टिंग में आया। मेरे मेंटर प्रवीण भट्ट हैं। उन्होंने मेरा पहला फोटो शूट किया था, जिससे यह सिलसिला जारी है।

नॉन फिल्मी बैकग्राउंड से आने के कारण कोई मुश्किल हुई?

अगर आपको पता है कि आपका लक्ष्य क्या है तो कामयाबी मिल ही जाती है। वैसे नए शहर में थोडी बहुत दिक्कतें तो होती ही हैं।

क्या नेगेटिव रोल से जल्दी पहचान मिलती है?

अगर आप रोल के साथ इंसाफ करते हैं तो वह लोगों को याद रह जाता है। लोग चाहते थे कि मैं इस फिल्म के अंत में मर जाऊं, उनकी ये प्रतिक्रियाएं जानकर अच्छा लगा।

सीरियल्स से मूवी तक का सफर?

'लौट आओ तृषा की शूटिंग के वक्त कास्टिंग डायरेक्टर हैरी ने इस फिल्म का ऑफर दिया तो पहले यकीन नहीं हुआ। कुछ दिन बाद सनी विला से कॉल आया तो यकीन हुआ।

घर व रिश्तेदारों की इस पर क्या प्रतिक्रिया थी?

पेरेंट्स खुश हुए और भावुक भी। दोस्त बहुत एक्साइटेड थे। पापा ने मुझे बहुत सपोर्ट किया।

रोल की तैयारी कैसे की?

मैं कबीर के किरदार से बिलकुल उलट हूं। अतुल माथुर ने ट्रेनिंग दी तो सब कुछ आसानी से होता गया।

गीतांजलि


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