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कहने में क्या हर्ज है

बातचीत के दौरान हम अकसर कुछ वाक्य बार-बार दोहराते हैं,जिन्हें सुनकर दूसरों को हंसी आ जाती है पर आदत के मुताबिक यह तकियाकलाम नहीं छोड़ पाते।आप भी गौर फरमाएं कुछ ऐसे ही जुमलों पर ।

By Edited By: Published: Tue, 05 Jul 2016 01:06 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jul 2016 01:06 PM (IST)
कहने में क्या हर्ज है
जरा सा... जरा अपना पेन देना...जरा आप मुझे अपनी किताब देंगे, जरा सा आप इधर आएंगे। बातचीत के दौरान कुछ लोग बार-बार इन दो शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। दरअसल जरा सा...शब्द अंग्रेजी के एक्सक्यूज मी जैसा भाव प्रकट करता है और अतिशय विनम्र लोगों की बोलचाल की शैली में आदतन शुमार हो जाता है। और सुनाओ... जब दो पुराने परिचित, दोस्त या रिश्तेदार बहुत दिनों बाद मिलते हैं और उनमें से कोई एक कम बोलने वाला हो तो वह संक्षिप्त ढंग से अपना हाल बता कर चुप हो जाता है। वहीं दूसरा व्यक्ति जो ज्य़ादा बातूनी और उत्सुक प्रवृत्ति का होता है, वह सामने वाले से बार-बार यही पूछता है, 'और सुनाओ, और सुनाओ...? ' दरअसल ऐसे लोग मिलने वाले से उसकी पर्सनल लाइफ की कुछ ऐसी बातें भी जानने की कोशिश करते हैं, जिन्हें वह दूसरों के साथ शेयर नहीं करना चाहता। दम लेने की फुर्सत नहीं... अति व्यस्तता के शिकार लोगों के मुंह से अकसर यह जुमला निकल जाता है। खास तौर पर किसी एक कार्य में व्यस्त रहने वाले इंसान से अगर बीच में कोई दूसरा काम करने को कहा जाता है तो वह यही जुमला दोहराता है। जब घर मेहमानों से भरा हो तो किचन में व्यस्त गृहिणी के मुंह से अकसर यही वाक्य निकलता है। देखते हैं... यह आश्वासन भरा जुमला ज्य़ादातर बडे और पावरफुल लोग इस्तेमाल करते हैं। वह भी तब, जब कोई छोटा उनके सामने अपनी समस्या लेकर जाता है या उनसे किसी चीज की मांग करता है। कई बार जब लोग अपने किसी निर्णय को लेकर अनिश्चित होते हैं या दूसरे व्यक्ति की बात को टालना चाहते हैं, तब भी वे ऐसे जुमले का इस्तेमाल करते हैं। मसलन, जब टीनएजर बेटा अपने पिता से बाइक दिलाने का आग्रह करता है तो अमूमन उनका यही जवाब होता है, 'देखते हैं...।' वाह क्या बात है! जब हम ज्य़ादा गर्मजोशी से दूसरों की तारीफ करते हैं तो हमारे मुंह से सबसे पहले यही वाक्य निकलता है। ज्य़ादातर दूसरों की फिजिकल अपियरेंस मसलन, नए कपडे, मेकअप, गैजेट्स या हेयर स्टाइल में कोई बदलाव देखकर प्राय: लोग ऐसे जुमले का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा कई बार जब लोगों की तारीफ में हलका सा व्यंग्य का भी पुट होता है, तब भी लोगों के मुंह से बेसाख्ता यही जुमला निकलता है, 'वाह क्या बात है!' मैं डाइटिंग पर हूं कुछ लोग अपने बढते वजन को लेकर चिंतित तो जरूर होते हैं पर उसे घटाने की जरा भी कोशिश नहीं करते। ऐसे लोगों में ज्य़ादातर वैसी स्थूलकाय स्त्रियां शुमार होती हैं, जो विवाह समारोह या पार्टी जैसे अवसरों पर अपनी प्लेट में हर दूसरी सर्विंग लेने के बाद हमेशा यही वाक्य दोहराती हैं, 'बहुत हो गया, अब और कुछ भी नहीं लूंगी, आजकल मैं डाइटिंग पर हूं।' इस घोषणा के बाद वे जी भरकर स्वादिष्ट भोजन का लुत्फ उठाती हैं। आज तो दिन ही खराब है मोबाइल घर पर छूट जाना, रास्ते में ठोकर लगना या बस में कंडक्टर से झडप होना...पहले से ही परेशानहाल लोगों के सामने जब कभी कुछ ऐसी ही समस्याएं आ खडी होती हैं तो ऐसे में बरबस उनके मुंह से यही वाक्य निकलता है। हालांकि, कुछ निराशावादी प्रवृत्ति के लोग भी छोटी-छोटी बातों से परेशान होकर हमेशा यही कहते हैं, 'आज तो मेरा दिन ही खराब है।' आलेख : विनीत, इलस्ट्रेशन : श्याम जगोता

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