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शुभारंभ : कुछ नए वादों से

सखी के साथ नए साल का शुभारंभ करें जीवन के प्रति नई सोच के साथ।

By Edited By: Published: Tue, 24 Jan 2017 04:34 PM (IST)Updated: Tue, 24 Jan 2017 04:34 PM (IST)
शुभारंभ : कुछ नए वादों से
नए साल पर जिंदगी को सुखमय बनाने के लिए सखी ले आई है रचनाओं की अनूठी सौगात। इसमें हर उम्र में स्वस्थ और फिट रहने के नुस्खे हैं तो हेल्थ अलर्ट चार्ट भी, मन को सकारात्मक बनाने की बातें हैं तो रिश्तों को संवारने के मंत्र भी, क्राइसिस मैनेजमेंट के टिप्स हैं तो आत्मिक शांति के सूत्र भी...। वर्ष का पहला दिन ज्यादातर लोगों के लिए संकल्पों का दिन होता है, जिन्हें पूरा करना हमेशा मुमकिन नहीं होता है। बेहतर है कि बहुत बडे संकल्प लेने के बजाय छोटे-छोटे ऐसे वादे किए जाएं, जिन्हें पूरा करना आपके लिए तो संभव हो ही, वे दूसरों के हित में भी हों। नई हो शुरुआत नया साल नई शुरुआत का सूचक होता है। पूजन व विभिन्न आयोजनों से लोग इस खास दिन का स्वागत कर उसे यादगार बनाते हैं। जब साल की शुरुआत इतने विशेष तरीके से की जाती है तो एक जिम्मेदारी यह भी बनती है कि पूरे वर्ष को ही वैसा बना दिया जाए। इसके लिए जरूरत है तो बस थोडा दृढ निश्चयी होकर संकल्प लेने की, खुद से एक वादा करने की कि अपने मन और विचारों को शांत व स्वच्छ रखेंगे। स्वस्थ मन, स्वस्थ शरीर सकारात्मक जीवन व नई शुरुआत के लिए विचारों का शुद्ध होना जरूरी होता है। जब तक मन में किसी प्रकार का द्वेष, किसी के प्रति दुर्भावना या तनाव रहेगा तो उसका नकारात्मक प्रभाव आपके स्वास्थ्य पर भी नजर आएगा। बेहतर रहेगा कि हर ऐसी आदत को इस साल खुद से दूर कर दिया जाए, जिसका गलत प्रभाव आप पर पड सकता हो। ऐसी चीजें पढऩे और देखने की आदत डालें, जिनसे विचारों में सकारात्मकता आए। रिश्तों के प्रति ईमानदार बनें। अपनी भावनाओं को जाहिर जरूर करें। अगर आप किसी से प्रेम करते हैं या नाराज हैं तो यह बात मन में रखे रहने के बजाय उस व्यक्ति को बताएं। कोई परेशान दिखे तो उसकी सहायता करने से पीछे न हटें। भले ही उस समय समाधान न निकल सके पर आप बेहद रिलैक्स महसूस करेंगे। अपने अंदर के गुस्से को बाहर निकालने से भी शांति मिलती है। बदलें अपना व्यवहार रोजमर्रा की अपनी उन गलत आदतों में बदलाव लाएं, जिनसे दूसरे भी जुडे हों। सार्वजनिक समारोहों या संवाद के समय हमें अपने मैनर्स का खास खयाल रखना चाहिए। इसका अंदाजा होना चाहिए कि किसके साथ, किस समय और कैसा व्यवहार करना है। ये बातें व्यक्ति को अपना आकलन कर खुद ही समझनी चाहिए। फोन पर बात करते समय इस बात का ध्यान रखें कि सामने वाला आपके चेहरे के भावों को नहीं देख पा रहा है। वह सिर्फ आपके शब्दों और टोन से ही बात की गंभीरता को समझ सकता है। बहुत जरूरी संवाद फोन या मेसेज से करने के बजाय आमने-सामने बैठ कर करने चाहिए। इससे गलतफहमी होने की आशंका कम रहती है। बेहद फॉर्मल पार्टी में किसी करीबी के साथ भी इनफॉर्मल व्यवहार न करें। पार्टी की मर्यादा को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। सामाजिक आयोजनों में हर तरह के लोग आते हैं, कुछ ऐसे भी जिन्हें आप पसंद न करते हों। कोशिश करें कि उनके साथ भी आपका व्यवहार सामान्य हो। हर किसी से एक ही तरह से बातचीत न करें। हो सकता है कि किसी को आपका मस्तमौला व्यवहार पसंद हो तो किसी को आपकी गंभीरता। लोगों को समझते हुए उनसे संवाद करें। जिएं ऑफलाइन जिंदगी भी आज के डिजिटल युग में जहां लोगों को एक-दूसरे की खबर सोशल नेटवर्किंग साइट्स के माध्यम से मिलती हो, वहां ऑफलाइन होना जरा कठिन है। अगर पूरी तरह से ऑफलाइन न हो पा रहे हों तो अपने ऑनलाइन रूटीन में कुछ बदलाव कर लेना भी बेहतर होगा। इससे परिवार व दोस्तों को उनका समय भी दे पाएंगे। अपनी ऑनलाइन जिंदगी को कुछ नियंत्रित करने का प्रयास जरूर करें। इंटरनेट जानकारी का खजाना है, वहां समय बर्बाद करने के बजाय उसका सही उपयोग करना सीखें। ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखना तो ठीक है मगर उनकी वजह से परेशान न हों। किसने कमेंट किया या नहीं किया, ऐसी बातों का रिकॉर्ड रखना समय की बर्बादी है। ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होने पर बात को छिपाने के बजाय उसकी पडताल करें और दूसरों को भी उससे अवगत करवाएं। कई बार समाज में कुछ ऐसे बदलाव होते हैं, जिनका दुष्प्रभाव लगभग हर किसी पर पडता है। ऐसे समय पर कोई नकारात्मक संदेश प्रसारित करने से बचना चाहिए। इंटीरियर से बदलें माहौल पूरा दिन घर में रहने से कई बार एक सा इंटीरियर देखकर मन ऊबने लगता है। ऑफिस से थक कर आया व्यक्ति भी तभी सुकून महसूस करता है, जब घर साफ-सुथरा हो। समय-समय पर कमरों और अलमारियों को रीअरेंज करने से भी मन शांत रहता है। थीम के अनुसार घरों को नया रूप दिया जाता है और इसके लिए अब किसी इंटीरियर डिजाइनर की भी जरूरत नहीं पडती। जानकारी जुटा कर आप खुद ही घर को अपने हिसाब से सजा सकते हैं। पुराने कपडों से मोह न रख उन्हें बांटना सीखें। इससे नए कपडों के लिए जगह तो बनेगी ही, किसी की जरूरत भी पूरी हो सकेगी। अगर घर में अभी पेंट नहीं करवाना चाहते तो पसंदीदा वॉलपेपर्स से सजा कर कमरों में बदलाव ला सकते हैं। आजकल मार्केट में कई तरह के वॉलपेपर्स मौजूद हैं। फर्नीचर बदलना बडा निर्णय होता है, हर साल उसे नहीं बदला जा सकता। घर के परदों, सोफा कवर्स, कालीन आदि को चेंज किया जा सकता है। फैमिली फोटोग्राफ्स को कोलाज के रूप में सजा कर भी घर में सकारात्मक माहौल बनाया जा सकता है। फिटनेस का जलवा बात जब फिटनेस की हो तो क्रेजी होना स्वाभाविक है। अकसर लोग नए साल की शुरुआत में डाइट के प्रति कुछ ज्यादा ही कॉन्शियस रहते हैं। जो काम वे साल भर भले न कर पाते हों, जनवरी के प्रथम सप्ताह में उसे करने के लिए उत्साहित रहते हैं। फिट रहना है तो क्यों न फिटनेस के कुछ आसान नियम तय कर लिए जाएं। एक्सरसाइज करना चाहते हैं तो जिम जॉइन करने से पहले घर पर ही कुछ आसान एक्सरसाइज करने की कोशिश करें। परिवार के साथ ज्यादा समय न बिता पाते हों तो व्यायाम या सुबह-शाम टहलने के बहाने उनके साथ समय व्यतीत करें। संतुलित डाइट लेने की आदत डालें। खाने में भरपूर मात्रा में हरी सब्जियां और फल शामिल करें। एक बार में बहुत ज्यादा खाने के बजाय थोडी-थोडी देर में खाएं। नववर्ष में सिर्फ वही प्रतिज्ञा लें, जिसे पूरा कर पाने में आप सक्षम हों। खुश रहें व दूसरों को भी खुश रखने के लिए प्रयासरत रहें। दीपाली पोरवाल

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