Move to Jagran APP

आइने से डरना क्यों

टीनएजर्स अपने रंग-रूप को लेकर बहुत ज्य़ादा सजग हो जाते हैं। कई बार अपनी बॉडी इमेज को लेकर उनके मन में हीन भावना पनपने लगती है। ऐसे में पेरेंट्स की यह जि़म्मेदारी बनती है कि वे अपने बच्चों को ऐसी मनोदशा से बाहर निकालें।

By Edited By: Published: Tue, 02 Feb 2016 02:25 PM (IST)Updated: Tue, 02 Feb 2016 02:25 PM (IST)
आइने से डरना क्यों

टीनएजर्स अपने रंग-रूप को लेकर बहुत ज्य़ादा सजग हो जाते हैं। कई बार अपनी बॉडी इमेज को लेकर उनके मन में हीन भावना पनपने लगती है। ऐसे में पेरेंट्स की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने बच्चों को ऐसी मनोदशा से बाहर निकालें।

loksabha election banner

आईने के सामने खडे होकर हर एंगल से ख्ाुद को निहारना, पिंपल्स दूर करने के लिए इंटरनेट पर होम रेमेडीज ढूंढना, वजन बढऩे के डर से खाना-पीना छोड देना...टीनएज में पहुंचते ही ज्य़ादातर बच्चों के व्यवहार में ऐसे बदलाव नजर आते हैं। उन्हें हरदम ऐसा महसूस होता है कि अपने दोस्तों की तुलना में उनका व्यक्तित्व अनाकर्षक है। कोई अपनी सांवली रंगत की वजह से परेशान है तो किसी को टूटते बालों की चिंता है, कोई कद बढाने की कोशिश में जुटा है तो कोई अपने दांतों की बेढंगी बनावट को दुरुस्त करवाने की जिद कर रहा है। चाहे लडके हों या लडकियां, उम्र के इस नाजुक मोड पर ऐसी समस्याएं सभी को परेशान करती हैं और उनसे भी ज्य़ादा परेशान होते हैं उनके पेरेंट्स। कई बार बच्चों के ऐसे व्यवहार से वे झल्ला उठते हैं, पर ऐसा करना अनुचित है, क्योंकि टीनएजर्स का ऐसा व्यवहार स्वाभाविक है।

सिखाएं ख्ाुद से प्यार करना

उम्र के इस नाजुक दौर में बच्चे अपने दोस्तों से सबसे ज्य़ादा प्रभावित होते हैं और उनसे अपनी तुलना भी करते हैं। ऐसे में वे अपनी बॉडी इमेज को लेकर बहुत ज्य़ादा सजग हो जाते हैं। उनके मन में सुंदर दिखने की स्वाभाविक सी चाहत होती है। इसलिए वे हमेशा दोनों के रंग-रूप या कद-काठी से अपनी तुलना कर रहे होते हैं। ऐसे में जब भी वे ख्ाुद को दूसरों से कमतर महसूस करते हैं तो अपने लिए उनके मन में नेगेटिव बॉडी इमेज बनने लगती है। वे हमेशा यही सोचकर परेशान रहते हैं कि मैं ऐसा/ऐसी क्यों हूं? इसी सोच की वजह से उनका आत्मविश्वास भी कमजोर पडऩे लगता है। इस उम्र में बच्चा यह समझ नहीं पाता कि यह बदलाव स्वाभाविक है और वह अकेला नहीं है, बल्कि उसके दूसरे दोस्तों को भी ऐसी ही परेशानियों का सामना करना पडता है। उम्र के इस नाजुक दौर में उसे हर कदम पर आपकी मदद की जरूरत होती है। मिसाल के तौर पर अगर पार्टी में जाने से पहले आपकी बेटी इस बात को लेकर परेशान है कि उसे कौन सी ड्रेस पहननी चाहिए तो ऐसे में उसे जल्दी तैयार होने के लिए डांटने के बजाय प्यार से समझाएं। आप उसे समझाएं कि वैसे तो यह भी अच्छी है, लेकिन वह पिंक वाली ड्रेस तुम पर और ज्य़ादा फबेगी। जब वह तैयार हो जाए तो उसकी तारीफ करना न भूलें। इससे उसका आत्मविश्वास बढेगा।

ख्ाुद बनें रोल मॉडल

टीनएजर्स को ऐसी समस्या से बचाने के लिए यह बहुत जरूरी है कि पेरेंट्स भी अपनी बॉडी इमेज के प्रति पॉजिटिव नजरिया अपनाएं। बच्चों के सामने बार-बार अपने बढते वजन के प्रति चिंता जाहिर करने या अपने रंग-रूप के बारे में नकारात्मक बातें करने जैसी आदतों से पेरेंट्स को हमेशा बचना चाहिए। बेहतर यही होगा कि आप ख्ाुद अपने टीनएजर के लिए रोल मॉडल बनें। आपके बच्चों को यह महसूस होना चाहिए कि उनके पेरेंट्स हमेशा उनका ख्ायाल रखते हैं। घर से जुडे मामलों में वे हमेशा सही निर्णय लेते हैं। हो सकता है कि आप अपने घर हमेशा हेल्दी फूड हैबिट को बढावा देती होंगी, पर यह बात अपने टीनएजर्स को समझाना भी जरूरी है। आप उन्हें बताएं कि इस उम्र में संतुलित शारीरिक विकास के लिए कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन और सभी विटमिंस को अपनी नियमित डाइट में शामिल करना चाहिए। इसीलिए आप उन्हें नाश्ते के साथ दूध, अंडा और जूस जैसी चीजें देती हैं। लंंच या डिनर के साथ हरी सब्जियां, सूप, सैलेड और दही जैसी चीजें सर्व करती हैं। बच्चों को याद दिलाएं कि बीच में जब हलकी भूख हो तो फल या रोस्टेड नमकीन का सेवन फायदेमंद साबित होता है। आपके बच्चों के मन में यह विश्वास होना बहुत जरूरी है कि वे अपने घर में जो कुछ भी खाते हैं, वह उनकी सेहत के लिए बिलकुल सही है। उन्हें बताएं कि स्वस्थ त्वचा पाने के लिए ज्य़ादा से ज्य़ादा पानी पीने की कोशिश करनी चाहिए। इसके अलावा अपनी दिनचर्या के अनुकूल रोजाना सुबह या शाम बच्चों के साथ एक्सरसाइज के लिए समय जरूर निकालें। अगर आप बच्चे को स्विमिंग क्लास के लिए भेजना चाहती हैं तो ख्ाुद भी उसके साथ जाना शुरू कर दें। इससे आप भी फिट रहेंगी और आपका साथ पाकर आपके टीनएजर्स में भी फिटनेस के प्रति जागरूकता बढेगी।

चाहिए आपका साथ

तेरह-चौदह साल की उम्र ऐसी होती है, जब बचपना पूरी तरह ख्ात्म नहीं होता और युवावस्था आने में देर होती है। इस उम्र में बच्चों के शरीर में तेजी से हॉर्मोन संबंधी बदलाव आ रहे होते हैं। ऐसे में उनमें मूड स्विंग की समस्या भी बहुत ज्य़ादा देखने को मिलती है। इस उम्र में बच्चे अपने बाहरी व्यक्तित्व को लेकर अनावश्यक रूप से सजग होते हैं। उन्हें हमेशा इसी बात की चिंता सताती रहती हैं कि मैं कैसा दिखता/दिखती हूं? लोग मेरे बारे में क्या सोचते होंगे? आकर्षक दिखने के लिए मुझे क्या करना चाहिए? टीनएजर्स के मन में अकसर ऐसे ही सवाल उठते रहते हैं। कई बार तो वे अपनी बॉडी इमेज को लेकर इतने चिंतित हो जाते हैं कि लोगों से मिलने-जुलने या सामाजिक समारोहों में जाने से कतराने लगते हैं। उन्हें ऐसी मनोदशा से बाहर निकालने के लिए आप उनके साथ प्यार भरा क्वॉलिटी टाइम बिताएं और लाड-प्यार जताने में संकोच न बरतें। उनकी िफजिकल अपियरेंस की तारीफ करना, प्यार से गले लगाना और कभी-कभी अपनी गोद में बिठाना...यकीन मानिए ये छोटी-छोटी बातें भी उसका सेल्फ एस्टीम मजबूत बनाने में मददगार होती हैं। इससे उसके मन में अपनी बॉडी इमेज को लेकर कोई नेगेटिव ख्ायाल नहीं आएगा।

बेटे को न करें नजरअंदाज

जब भी बॉडी इमेज की बात की जाती है तो लोगों के जेहन में सबसे पहले टीनएजर लडकियों का ही ख्ायाल आता है। यह सच है कि लडकियां िफजिकल अपियरेंस को लेकर ज्य़ादा सजग होती हैं और समाज में लडकियों से हमेशा सुंदर दिखने की उम्मीद रखी जाती है, पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि प्यूबर्टी की उम्र में लडकों के शरीर में भी बहुत तेजी से हॉर्मोन संबंधी बदलाव आ रहे होते हैं। लगभग ग्यारह-बारह साल की उम्र से ही उनके शरीर में टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन का सिक्रीशन शुरू हो जाता है। इससे उनकी आवाज में भारीपन, चेहरे के साथ चेस्ट, अंडरआम्र्स और प्यूबिक एरिया में हेयर ग्रोथ जैसे बदलाव नजर आने लगते हैं। जहां एक ओर ऐसे शारीरिक बदलाव बच्चों को बडे होने का संकेत दे रहे होते हैं, वहीं इस उम्र में लडके मन से बच्चे ही होते हैं। वे ऐसे परिवर्तनों को सहजता से स्वीकार नहीं पाते। उन्हें अपना यह बदला हुआ नया रूप बिलकुल पसंद नहीं आता। उन्हें ऐसी नेगेटिव बॉडी इमेज से बचाने में पिता की बहुत अहम भूमिका होता है क्योंकि लडकों के लिए उनके पिता ही रोल मॉडल होते हैं। लडके अपने पिता के साथ ज्यादा सहज महसूस करते हैं। उन्हें यह समझाना बहुत जरूरी है कि यह बदलाव की स्वाभाविक प्रक्रिया है और इसे लेकर असहज महसूस करने जैसी कोई बात नहीं है।

संचार माध्यमों का प्रभाव

आजकल टीवी पर ब्यूटी प्रोडक्ट्स के जितने भी विज्ञापन दिखाए जाते हैं, उनमें बाहरी व्यक्तित्व की सुंदरता की प्रशंसा की जाती है। सांवली रंगत, रूखी त्वचा और मोटापे आदि को बहुत बडी बुराई के रूप में पेश किया जाता है। टीनएजर्स के कोमल मन पर इसका बहुत गहरा प्रभाव पडता है और उनके मन में अपनी बॉडी इमेज के प्रति नेगेटिव भावनाएं पनपने लगती हैं। लडकियां मॉडल्स जैसा फिगर पाने की चाहत में क्रेश डाइटिंग शुरू कर देती हैं, जो उनकी सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह साबित होता है। ऐसे में पेरेंट्स की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने बच्चों को समझाएं कि असली जिंदगी फिल्मों या टीवी जैसी नहीं होती। स्लिम होना अच्छी बात है, पर उसके लिए सेहत से खिलवाड करना अनुचित है।

कुल मिलाकर टीनएजर्स की ऐसी सोच में अचानक बदलाव लाना असंभव है। अगर पेरेंट्स शुरुआत से ही सजगता बरतते हुए अपने बच्चों यह एहसास दिलाएं कि तुम बहुत सुंदर हो और हमारे लिए सबसे ख्ाास हो, तो आपके सतत प्रयास से इस समस्या को आसानी से दूर किया जा सकता है।

पेरेंट्स अटेंशन प्लीज

भाई-बहनों या दोस्तों से अपने बच्चे रंग-रूप या कद-काठी की तुलना न करें।

अपने टीनएजर को उसकी रुचि से जुडी किसी एक्स्ट्रा कैरिकुलर एक्टिवटी में व्यस्त रखने की कोशिश करें। इससे उसका आत्मविश्वास बढेगा और अपने बाहरी व्यक्तित्व की छोटी-छोटी कमियों की ओर उसका ध्यान नहीं जाएगा।

उसे समझाएं कि इंसान के अच्छे आंतरिक गुणों से उसके बाहरी व्यक्तित्व में भी निखार आता है। इसलिए वह सिर्फ अच्छा इंसान बनने की कोशिश करे और हमेशा ख्ाुश रहे।

अपनी बेटी को सेहत और सौंदर्य का ख्ायाल रखना सिखाएं, पर उसे ब्यूटी प्रोडक्ट्स के साइड इफेक्ट के बारे में बताना न भूलें।

हॉर्मोन संबंधी बदलाव की वजह से कभी-कभी बच्चों के व्यवहार में चिडचिडापन आना स्वाभाविक है। ऐसे में डांटने के बजाय प्यार से समझाएं।

विनीता

इनपुट्स : डॉ. आशीष मित्तल, कंसल्टेंट साइकोलॉजिस्ट कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल, गुडग़ांव


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.