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इंकार से उपजा विद्रोह

समाज की बदलती तसवीर का अक्स अब मनोवैज्ञानिक समस्याओं में भी दिखने लगा है। पुराने समय में एकतरफा प्रेम की वजह से लड़कों के मन में आक्रोश पैदा होता था, लेकिन अब लड़कियों के व्यक्तित्व में भी ऐसी जटिलताएं देखने को मिल रही हैं। एक ऐसी ही समस्या को कैसे सुलझाया गया, बता रही हैं मनोवैज्ञानिक सलाहकार विचित्रा दर्गन आनंद।

By Edited By: Published: Mon, 01 Sep 2014 04:27 PM (IST)Updated: Mon, 01 Sep 2014 04:27 PM (IST)
इंकार से उपजा विद्रोह

लगभग 6  साल पहले की बात है। अचानक एक बदहवास सा युवक मुझसे मिलने पहुंचा। उस रोज मुझे किसी शादी में जाना था, लेकिन वह बेहद घबराया हुआ था। इसी वजह से उसकी बातें सुनने के लिए मुझे रुकना पडा। वह इतना परेशान था कि उसने बिना रुके बोलना शुरू कर दिया, उस लडकी ने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी है..समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं? बातचीत से मालूम हुआ कि वह विवाहित था और अपनी अविवाहित कलीग से उसकी अच्छी दोस्ती थी। जब लडकी ने उसे प्रपोज  किया तो उसने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि मेरे मन में तुम्हारे लिए ऐसी कोई भावना नहीं थी। इसके बाद से ही वह लडकी उसे धमकियां देकर परेशान करने लगी, लेकिन यह जरूरी नहीं था कि वह लडका पूरी तरह सच बोल रहा हो। सच्चाई जानने के लिए उस लडकी से मिलना बहुत जरूरी था। इसलिए अगली बार मैंने दोनों को साथ बुलाया।

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मामला एकतरफा प्यार का

हफ्ते भर बाद वह व्यक्ति अपनी सहकर्मी के साथ आया। मैं उस लडकी से अकेले में बातें करना चाहती थी। इसलिए मैंने आशीष (परिवर्तित नाम) को थोडी देर बाहर इंतजार करने को कहा। उस लडकी की उम्र तकरीबन 24  वर्ष रही होगी। वह बेहद खूबसूरत  थी। मैंने उसे सहज करने के लिए पूछा कि ऑफिस में सब ठीक चल रहा है न? यह सुनते ही वह रुआंसी हो गई और कहने लगी, क्या ठीक रहेगा? आशीष मेरी फीलिंग्स  को समझ नहीं पा रहा। बचपन से आज तक मुझे कभी कोई कमी महसूस नहीं हुई। जो चाहा, वह मिल गया। क्लास में हमेशा फ‌र्स्ट आती थी। इसलिए स्कूल-कॉलेज में टीचर्स भी मुझे बहुत प्यार करती थीं। पहली बार प्यार ने मुझे इतना कमजोर बना दिया है कि आज मुझे काउंसलिंग  के लिए आना पडा, कहती हुई वह रो पडी। मैंने उसे समझाया कि अगर आज मूड ठीक नहीं तो कोई बात नहीं, अगले सप्ताह हम आराम से बातें करेंगे।

तसवीर का दूसरा रुख

इसके बाद मैंने आशीष से भी बात की। शुरुआत में तो वह टालता रहा, पर ज्यादा  कुरेदने पर उसने कहा कि सोनल  (परिवर्तित नाम) में कुछ ऐसी बात जरूर थी कि मैं न चाहकर भी उसकी ओर आकर्षित होता जा रहा था। उसका साथ मुझे बहुत सुकून  देता था। उससे बातें करके मैं अपनी सारी परेशानियां भूल जाता था। मेरे लिए यह रिश्ता दोस्ती से ज्यादा  कुछ नहीं था, लेकिन जब वह मुझसे कमिटमेंट  चाहने लगी तो मैंने उसे मना कर दिया। इंकार सुनने के बाद वह बौखला गई और मुझे झूठे मुकद्मे में फंसाने की धमकी देने लगी। मैंने लडके से कहा कि गलती तुम्हारी भी है, लेकिन अब उसे सुधारने की कोशिश करो। अभी वह बहुत गुस्से में है, लेकिन तुम बिलकुल शांत रहो। उसकी किसी भी बात पर ओवर रिएक्ट मत करो। सचेत ढंग से उसके साथ दूरी बनाने की कोशिश करो।

मिल गई मंजिल

अगली बार जब सोनल मुझसे मिलने आई तो मैंने उससे पूछा कि तुम क्या चाहती हो? जवाब में उसने कहा, अगर वह मेरे प्यार को ठुकराएगा तो मैं उसे चैन से जीने नहीं दूंगी। सारी बातें सुनने के बाद मैंने उसे समझाया कि ऐसे रास्ते पर आगे बढकर क्या फायदा जिसकी कोई मंजिल न हो। तुम्हारे इस रिश्ते की वजह से एक साथ तीन जिंदगियां बर्बाद होंगी। जो कुछ भी हुआ अब उसे भूलने की कोशिश करो। ऐसे रिश्तों में अंतत: लडकी की ही बदनामी होती है। इसी बीच एक बार आशीष भी मुझसे मिलने आया था। उसने बताया अब वह जॉब बदल कर दूसरे शहर में शिफ्ट हो रहा है। इसके बाद सोनल  के साथ मेरी पांच सिटिंग्स  हुई। मैंने उसे समझाया कि कोई भी रिश्ता हमारी जिंदगी से बडा नहीं होता। रिश्ते ख्ाुश रहने के लिए बनाए जाते हैं, जिस रिश्ते में केवल दुख और तनाव हो, उससे बाहर निकलने में ही भलाई है। धीरे-धीरे उसे सच्चाई का एहसास होने लगा। आखिरी  सिटिंग  में उसने मुझसे कहा कि सब कुछ भूलकर अब मैं नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत करूंगी। सोनल आज भी मेरे संपर्क में है। उसकी शादी हो चुकी है और वह अपने परिवार में बेहद खुश  है। दरअसल सोनल  कंपल्सिव  बिहेवियर नामक मनोवैज्ञानिक समस्या से ग्रस्त थी। ऐसी समस्या से ग्रस्त व्यक्ति अपने व्यवहार को नियंत्रित नहीं कर पाता। बचपन से ही उस लडकी ने हमेशा अपनी तारीफ सुनी थी। ऐसी स्थिति में जब पहली बार उसे किसी के मुंह से न सुनने को मिला तो वह समझ ही नहीं पाई कि ऐसी स्थिति में उसकी क्या प्रतिक्रिया होनी चाहिए? इसी वजह से वह अपना मानसिक संतुलन खोने लगी। इसके लिए परिवार का माहौल काफी हद तक जिम्मेदार होता है। अगर शुरुआत से ही बच्चों को समझाया जाए कि उनकी हर इच्छा पूरी नहीं हो सकती और यह भी जरूरी नहीं कि वे हर बार जीतें तो भविष्य में उन्हें ऐसी कोई समस्या नहीं होगी।


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