सुलझ गई रिश्तों की उलझी डोर
अपनों का साथ इंसान को ख़्ाुशी देता है, लेकिन कई बार रिश्तों की डोर कुछ ऐसे उलझ जाती है कि उसे सुलझाना बेहद मुश्किल हो जाता है। यहां एक ऐसी ही जटिल समस्या और उसके समाधान के बारे में बता रही हैं मनोवैज्ञानिक सलाहकार विचित्रा दर्गन आनंद।
अपनों का साथ इंसान को ख्ाुशी देता है, लेकिन कई बार रिश्तों की डोर कुछ ऐसे उलझ जाती है कि उसे सुलझाना बेहद मुश्किल हो जाता है। यहां एक ऐसी ही जटिल समस्या और उसके समाधान के बारे में बता रही हैं मनोवैज्ञानिक सलाहकार विचित्रा दर्गन आनंद।
लगभग पांच साल पहले की बात है। एक रोज शाम के वक्त मेरे पास एक स्त्री का फोन आया। वह बहुत परेशान लग रही थी। मैंने उसे मिलने के लिए अगले दिन बुलाया।
विवाहेतर संबंध और तनाव
पहली मुलाकात में हुई बातचीत से यह मालूम हुआ कि वह दो बच्चों की मां थी और उसके पति किसी अच्छी कंपनी में उच्च पद पर कार्यरत थे। कंचन (परिवर्तित नाम) का कहना था कि अपनी तलाकशुदा कलीग के साथ उसके पति का अफेयर है। उसने मुझे यह भी बताया कि यह मामला पिछले पांच वर्षों से चल रहा है। शुरुआत में जब कंचन ने अपने पति से इस बारे में पूछा तो उन्होंने उसे प्यार से समझा दिया कि ऐसी कोई बात नहीं, हमारे ऑफिस में कई लडकियां हैं और काम के सिलसिले में ही कभी-कभी रितु (परिवर्तित नाम) से भी बात हो जाती है। कंचन अपने पति पर बहुत ज्य़ादा विश्वास करती थी। इसलिए उसने इस बारे में दोबारा कोई सवाल नहीं किया, लेकिन जब मामला हद से ज्य़ादा बढ गया और उसके पति ऑफिस के काम के बहाने उस स्त्री के साथ शहर से बाहर जाने लगे, तब उसका शक यकीन में बदल गया। रंगे हाथों पकडे जाने पर पति को अपनी गलती माननी पडी। कंचन का कहना था कि फिर भी उसने अपने पति को चेतावनी दी कि वह अपनी आदतें सुधार लें, पर उनके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया, बल्कि उन्होंने कई बार अपनी पत्नी के साथ विश्वासघात किया। फिर भी वह अपनी शादी को बचाना चाहती थी और इसीलिए मेरे पास आई थी। समस्या को सही ढंग से समझने के लिए उसके पति से भी मिलना जरूरी था। इसलिए दो सिटिंग्स के बाद उसके पति को भी साथ बुलाया।
गहरी थीं समस्या की जडें
जब मैंने कंचन के पति से अकेले में बात की तो मुझे मालूम हुआ कि वह व्यक्ति अपनी गलती पर बहुत शर्मिंदा है, पर पत्नी का विश्वास खो चुका है। अब उसने दूसरी स्त्री से अपना संपर्क पूरी तरह ख्ात्म कर लिया है। फिर भी पत्नी उसकी बातों पर यकीन नहीं करती थी। बातचीत से यह भी मालूम हुआ कि शादी के तीन-चार साल बाद जैसे ही अभय (परिवर्तित नाम) के पिता रिटायर हुए, उस पर लगातार दबाव डालकर कंचन दूसरी कॉलोनी में शिफ्ट हो गई। दरअसल अपनी सास से उसके संबंध अच्छे नहीं थे। कंचन को ऐसा लगता था कि सास उसे हर बात पर टोकती रहती हैं। फिर यहीं से पति-पत्नी के रिश्ते में कडवाहट घुलने लगी। पति अपने दांपत्य जीवन से बाहर निकलकर सुकून ढूंढने लगा। लगातार कई सिटिंग्स में हुई बातचीत से इस समस्या की कई अनजानी परतें भी खुलने लगीं। बातों-बातों मे एक बार कंचन के मुंह से निकल गया कि मेरे सुसर जी थोडे फ्लर्ट िकस्म के इंसान हैं और लडकियों को बुरी नजर से देखते हैं। इस संदर्भ में उसने कई ऐसी घटनाओं का भी जिक्र किया। फिर मैंने अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए उससे यूं ही पूछा कि तुम्हारी सास तुम्हें किन मौकों पर सबसे ज्य़ादा टोकती थीं? तब उसने मुझे बताया, 'वह ज्य़ादा पढी-लिखी नहीं हैं। मैं जब भी अपने ससुर जी के साथ राजनीति, साहित्य और फिल्मों पर चर्चा करती तो उन्हें मुझसे ईष्र्या होती और वह किसी न किसी काम के बहाने मुझे किचन में बुला लेतीं। एक बार मेरे पति एक महीने के लिए अमेरिका गए थे। उन दिनों मेरी सास हमेशा मुझ पर कडी नजर रखती थीं। क्या मैं आपको ऐसी औरत लगती हूं? उसने रोष भरे स्वर में कहा। तब मैंने उसे समझाया कि तुम्हारी सास अपने पति की फितरत से वािकफ होंगी। इसीलिए वह तुम्हें उनके पास ज्य़ादा देर तक अकेले बैठने नहीं देती थीं। यह सुनकर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। मैंने उसे समझाया कि तुम्हें अपनी ससुराल से इस तरह संपर्क नहीं तोडऩा चाहिए था। सास से फोन पर बातचीत करो और उन्हें अपने घर पर भी बुलाओ, पर ससुर जी के साथ अपने रिश्ते में सम्मानजनक दूरी बनाए रखो। जब संबंध सामान्य हो जाएं तो सास को अपनी इस समस्या के बारे में भी बताओ।
मिल गई मंजिल
इसी दौरान मैंने कंचन के पति से भी कहा कि अगर संभव हो तो आप अपनी जॉब ही बदल लें, ताकि उस स्त्री से आपका संपर्क पूरी तरह ख्ात्म हो जाए। संयोगवश उस दौरान उन्हें दूसरी कंपनी में अच्छा जॉब ऑफर मिला और उन्होंने वहीं जॉइन कर लिया। कंचन की सास को जब अपने बेटे-बहू के दांपत्य जीवन से जुडी समस्याओं के बारे में मालूम हुआ तो उन्होंने अपने बेटे को बहुत समझाया और उससे कहा कि किसी भी हाल में यह शादी टूटनी नहीं चाहिए। समय के साथ उन दोनों को यह बात समझ आ गई कि जीवन की सच्ची ख्ाुशी केवल अपने परिवार में ही मिल सकती है। इस तरह लगभग एक साल में यह समस्या पूरी तरह सुलझ गई।