प्यार के इज़हार के लिए उपहार ज़रूरी है?
प्यार एक शाश्वत और सुंदर भावना है, जिसकी कीमत को आंकना असंभव है। ऐसे में अकसर यह सवाल उठता है कि क्या इसके इज़हार के लिए उपहार देना ज़रूरी है? इस अहम सवाल पर क्या सोचती हैं, दोनों पीढिय़ां, आइए जानते हैं सखी के साथ।
प्यार एक शाश्वत और सुंदर भावना है, जिसकी कीमत को आंकना असंभव है। ऐसे में अकसर यह सवाल उठता है कि क्या इसके इजहार के लिए उपहार देना जरूरी है? इस अहम सवाल पर क्या सोचती हैं, दोनों पीढिय़ां, आइए जानते हैं सखी के साथ।
समझें भावनाओं की अहमियत
नीता श्रीवास्तव, लखनऊ
प्यार हमारे दिल की सबसे सुंदर और पवित्र भावना है। इसे शब्दों या उपहार के बंधन में नहीं बांधा जा सकता। मेरी नजर में इंसान की भावनाएं ज्य़ादा अहमियत रखती हैं। यह जरूरी नहीं है कि हम किसी को कीमती उपहार देकर
ही उसके सामने अपने प्यार का इजहार करें। सच्चे प्यार को किसी दिखावे की जरूरत नहीं होती। अगर किसी के दिल में अपनों के प्रति सच्चा प्यार हो तो वह उसके व्यवहार से ही ज्ााहिर हो जाता है। प्यार में सहजता होनी चाहिए, जो युवा पीढी में नजर नहीं आती।
मेरी नजर में एक-दूसरे का ख्ायाल रखना, जरूरत के वक्त ख्ाुद आगे बढकर अपने साथी की मदद करना, उसके सुख-दुख को समझना, एक-दूसरे के साथ फुर्सत के पल बिताना भी प्यार जाहिर करने के बेहतर तरीके हो सकते हैं। अगर भावनाएं सच्ची हों तो उपहार की कीमत मायने नहीं रखती।
गिफ्ट से मिलती है ख्ाुशी
अनन्या नागपाल, दिल्ली
दुनिया में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसे गिफ्ट लेना नापसंद हो। दरअसल गिफ्ट अपनों के प्रति प्यार के इजहार का बेहद ख्ाूबसूरत तरीका है। जब हम किसी को कोई उपहार देते हैं तो उसके चेहरे की ख्ाुशी देखकर हमारी ख्ाुशी भी दोगुनी हो जाती है। इसलिए मेरे विचार से अपनों को उपहार देने में कोई बुराई नहीं है। यह सोचना गलत है कि उपहारों का आदान-प्रदान दिखावे की प्रवृत्ति को बढावा देता है। जब हम किसी को उपहार देते हैं तो वह स्पेशल फील करता है और यही भावना रिश्तों को मजबूत बनाती है। हां, यह जरूरी नहीं है कि हम किसी को महंगे गिफ्ट ही दें। हमें उपहार की कीमत नहीं, बल्कि देने वाले की भावनाओं को देखना चाहिए। उपहार तो बस एक छोटा सा जरिया है प्यार के इज्ाहार का।
विशेषज्ञ की राय
यहां मैं भी सखी की युवा पाठिका के विचारों से सहमत हूं कि उपहार रिश्तों को मजबूत बनाते हैं। इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता कि उपहार पाकर सभी को स्वाभाविक रूप से प्रसन्नता होती है। भले ही हम किसी को कोई बेहद मामूली सी चीज ही क्यों न दें, पर उसके साथ अपनों की प्रति हमारी कोमल भावनाएं जुडी होती हैं। इसीलिए उपहार पाकर लोगों को सच्ची ख्ाुशी मिलती है। हां, मैं यह जरूर कहना चाहूंगी कि उपहार देते या लेते समय हमें उसकी कीमत नहीं, बल्कि उससे जुडी भावनाओं को समझना चाहिए। जहां तक बुजुर्ग पाठिका के विचारों का सवाल है तो किसी व्यक्ति के विचार उसके निजी अनुभवों से प्रभावित होते हैं। हो सकता है उनके रिश्ते में इतना अपनत्व हो कि उपहार जैसी भौतिक वस्तुएं उनके लिए कोई मायने न रखती हों। मेरी नजर में किसी व्यक्ति की सोच को प्रभावित करने में उम्र के अलावा उसके सामाजिक परिवेश का भी बहुत बडा योगदान होता है। नई पीढी रिश्तों को लेकर बहुत ज्य़ादा सजग है। इसीलिए वह अपने साथी को उपहार देकर रिश्ते में मजबूती लाना चाहती है। यह एक सार्थक प्रयास है। अगर मनोविज्ञान की दृष्टि से भी देखा जाए तो इससे रिश्ते में जीवंतता बनी रहती है। अंत में, हमें उपहार के साथ भावनाओं को भी अहमियत देनी चाहिए।
सुनीता पांडे, मनोवैज्ञानिक सलाहकार