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मुझे गर्व है...

जिन क्षेत्रों में कभी सिर्फ पुरुषों का वर्चस्व हुआ करता था, वहां भी आज स्त्रियां उन्हें कड़ी टक्कर दे रही हैं।

By Edited By: Published: Sat, 25 Mar 2017 03:52 PM (IST)Updated: Sat, 25 Mar 2017 03:52 PM (IST)
मुझे गर्व है...

समय के साथ स्त्रियों ने हर क्षेत्र में खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित किया है। घर हो या बाहर, हर जिम्मेदारी को वे बेहतर तरीके से पूरा कर पाने में सक्षम हैं। बात मैनेजमेंट की हो या क्रिएटिविटी की, वे अब सबसे आगे हैं।

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इक्कीसवीं सदी में समाज इतना आगे बढ चुका है कि अब कोई भी स्त्री और पुरुष के बीच किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करता है। लोग समझ चुके हैं कि दोनों की अहमियत बराबर है, सबके अपने गुण और क्षमताएं हैं और एक के बिना दूसरे का काम नहीं चल सकता है। जिन क्षेत्रों में पुरुषों का वर्चस्व माना जाता रहा है, वहां स्त्रियों को स्थापित होने में कुछ समय जरूर लगा है पर अब उनके लिए नामुमकिन कुछ भी नहीं है। आज वे ट्रेन चला रही हैं, होटल्स संभाल रही हैं, बैंक में सीईओ हैं, राजनीति में सिक्का जमा रही हैं, देश की सेवा कर रही हैं, कोर्ट रूम में केस लड रही हैं और साथ ही घर का रखरखाव करने में भी उनका कोई मुकाबला नहीं है। सखी ने जाने कुछ कारण, जिनकी वजह से उन्हें अपने स्त्री होने पर बहुत गर्व है।

संपूर्ण हैं स्त्रियां समीरा चोपडा, क्रिएटिव हेड, कासा कलर मैं स्त्री और पुरुष, सबको बराबर का दर्जा देती हूं। नारी सशक्तीकरण को लेकर हर किसी की आवाज बुलंद होने से स्त्रियों को हर तरह से फायदे मिल रहे हैं। हमारे सामने अब ढेरों अवसर हैं, जरूरत है तो बस उनका उचित लाभ उठाने की। मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मानती हूं कि आज तक किसी तरह के अन्याय या दुर्घटना का शिकार नहीं हुई हूं। कभी किसी ने किसी भी तरीके से मुझे दबा कर नहीं रखा। मुझे अपने स्त्री होने पर बहुत गर्व है। पुरुष खुद को कितना ही सुपीरियर क्यों न समझ लें, दरअसल हमारे बिना वे अधूरे ही होते हैं। स्त्रियां उनसे कहीं ज्यादा दयालु, भावुक, मल्टीटास्कर और मजबूत होती हैं। इस बात से किसी को इनकार नहीं होगा कि सुंदरता में भी उनकी कोई होड नहीं की जा सकती। हर स्त्री को अपनी शक्ति का हमेशा आभास होना चाहिए क्योंकि उसी के बल पर वह आगे बढ सकती है। सबकी अपनी कमजोरी और ताकत होती है, जरूरत होती है तो उसे पहचानने की।

आत्मनिर्भरता बढा है नताशा तूली, को-फाउंडर एंड सी.ई.ओ., सोलफ्लॉवर मेरा यह मकसद कभी नहीं रहा है कि मैं खुद को किसी से सर्वश्रेष्ठ साबित करूं या अपने स्त्री होने का कोई गलत फायदा उठाऊं। मेरे लिए अपनी पढाई पूरा करना भी गहरे पानी में तैरने जैसा था। मैंने अपनी मां को उनके टेलरिंग बिजनेस में बहुत स्ट्रगल करते देखा है। बहुत कम उम्र में ही मैंने सोच लिया था कि अपने जीवनयापन के लिए किसी दूसरे इंसान पर कभी निर्भर नहीं रहूंगी। खुद आत्मनिर्भर होने के साथ ही मैंने ठान लिया था कि दूसरी स्त्रियों को भी ऐसे मौके मुहैया करवाऊंगी। एक स्त्री होने के नाते मुझे लगता है कि मैं कई मामलों में पुरुषों से बेहतर हूं। मैं भावनात्मक तौर पर खुद को उनसे ज्यादा मजबूत मानती हूं, मैं एक मल्टीटास्कर हूं और घर व बाहर की दोहरी जिम्मेदारियां बिना किसी चिडचिडाहट के पूरा करती हूं।

बहुत कम पुरुष ऐसे होंगे, जो बिना किसी फ्रस्ट्रेशन के सारी जिम्मेदारियां आसानी से उठा सकें। एक भी दिन आप बिना किसी टेंशन के उन पर कोई काम नहीं छोड सकते हो, जबकि हम स्त्रियां कितनी भी व्यस्त क्यों न हों, उनका खयाल रखने से कभी पीछे नहीं हटती हैं। प्रेम व दया जैसे भाव स्वाभाविक रूप से हमारे अंदर होते हैं। शायद इसीलिए स्त्रियां लोगों व समाज की हर तरह की जरूरत को बेहतर रूप से समझती हैं। हम एक नए जीव को जन्म देने में भी सक्षम होते हैं और हर दर्द में मुस्कुराते रहते हैं। यही सब बातें हमें अपनी हर कमजोरी से लड कर आगे बढऩे के लिए प्रेरित करती हैं।

स्वाभाविक हैं कुछ गुण आशिमा शर्मा, फैशन डिजाइनर स्त्री हो या पुरुष, अगर हम अपना रवैया सकारात्मक रखें तो जिंदगी में कुछ भी हासिल कर सकते हैं। स्त्रियों की शारीरिक संरचना के अलावा उनका इमोशनल क्वोशंट, धैर्य और सबका खयाल रखने वाला नेचर उन्हें पुरुषों से अलग बनाता है। सफल होने के लिए सिर्फ आपकी मेहनत, दृढ निश्चय, प्रतिबद्धता और लक्ष्य मायने रखते हैं, न कि आपका जेंडर। माना कि कभी-कभी आपका जेंडर ही आपके लिए सब कुछ होता है, आखिर वही आपकी आइडेंटिटी है पर उसे अपनी कमजोरी या ताकत न बनने दें। कहा जाता है कि कभी-कभी स्त्रियां ही एक-दूसरे की तरक्की में बाधक बन जाती हैं, ऐसा वे अपनी खुशी से नहीं करती हैं, बल्कि इसका कारण अकसर सामाजिक दबाव होता है। मैं वाकई बहुत खुशकिस्मत हूं कि मुझे कभी अपने सपनों से समझौता नहीं करना पडा।

एक पुरुष प्रधान समाज में आपका स्त्री होना कठिन जरूर है, नामुमकिन नहीं। अपनी निजी, व्यावसायिक और पारिवारिक जिंदगियों में हम स्त्रियां जितना संतुलन बना कर चल पाती हैं, उतना तो पुरुष कभी सोच भी नहीं सकते। वैसे मुझे लगता है कि अगर चुनौतियां हमारे सामने होती हैं तो उन्हें भी कुछ चुनौतियों का सामना करना ही पडता है। मैं अपने स्त्री होने पर बहुत गर्व महसूस करती हूं क्योंकि बचपन से ही मुझे सबको साथ लेकर चलने की कला आती है। शायद हर लडकी को बचपन से यह सब सिखाया जाता है। मैं भाग्यशाली हूं कि अपने इसी गुण के कारण आज घर व ऑफिस से जुडी हर जिम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वाह कर पा रही हूं। हर स्त्री में स्वाभाविक तौर पर ही ये गुण मौजूद होते हैं।

हर क्षेत्र में श्रेष्ठ हैं हम ऐश्वर्या भाटी, एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट हम स्त्रियों के लिए नौकरी के विकल्प समाज पहले से ही तय कर देता है। ऐसे में एक स्त्री होने के नाते एडवोकेट के तौर पर खुद को स्थापित करना बहुत मुश्किल होता है। 'सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट के बारे में मैंने सुन रखा था इसलिए जब इस प्रोफेशन में आने के बारे में सोचा तो बस यही फिक्र थी कि यहां फिट कैसे हो पाऊंगी। अकसर स्त्रियों को कमजोर समझा जाता है पर वाकई में ऐसा होता नहीं है। उनकी जिन आदतों या भावों को उनकी कमजोरी समझा जाता है, दरअसल वही उनकी ताकत होती हैं। अगर आप दयालु नहीं हैं या चीजों के प्रति आपकी समझ कच्ची है तो वकालत का क्षेत्र आपके लिए नहीं है। इन गुणों के बगैर अपने क्लाइंट को न्याय दिला पाना बहुत मुश्किल होता है।

मुझे लगता है कि एक स्त्री होने के नाते मैं लोगों की भावनाओं को बेहतर समझ पाती हूं। खुद को साबित करने और सेटल होने के लिए हमें पुरुषों के मुकाबले थोडी ज्यादा मेहनत करनी पडती है पर यही मेहनत हमें हमेशा आगे बढऩे के लिए प्रेरित करती रहती है। इसीलिए कहा जाता है कि स्त्रियां जो भी करती हैं, वे उसमें सर्वश्रेष्ठ होती हैं। एक प्रोफेशनल होने के नाते यह समझना चाहिए कि जेंडर किसी की भी पर्सनैलिटी का सिर्फ एक हिस्सा मात्र हो सकता है, सब कुछ नहीं।लैंगिक भेदभाव समाज में व्याप्त एक बहुत बडी समस्या है, जिसको धीरे-धीरे सबके प्रयासों से ही खत्म किया जा सकेगा। सबको बराबर का दर्जा देना चाहिए तभी समाज से उन बुराइयों को दूर किया जा सकेगा, जिनकी वजह से अकसर लडाइयां होती रहती हैं।


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