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हर मौसम की अलग कहानी

धूप के इंतज़ार में कटते दिन और लंबी, अलसायी रातें... यही है दिसंबर की सर्दियों की निशानी। किसी को यह मौसम पसंद होता है तो किसी को नहीं।

By Edited By: Published: Thu, 01 Dec 2016 06:15 PM (IST)Updated: Thu, 01 Dec 2016 06:15 PM (IST)
हर मौसम की अलग कहानी
सर्दियों में गर्मागर्म चाय-पकौडे और गर्मियों में ठंडी-ठंडी कुल्फी... वाह, ये सब चीजें मौसम के मजे को दोगुना कर देती हैं। जानते हैं कि क्यों युवाओं को पसंद/नापसंद हैं विभिन्न मौसम। खास हैं सर्दियां तपती गर्मी से निजात पाने के तरीके हर कोई ढूंढता है। गर्म प्रदेशों में रहने वाले सर्दियों का इंतजार खास तौर पर करते हैं। इस मौसम में खाने-पीने के कई विकल्प घरों के मेन्यू कार्ड की शोभा बढाते हैं। गर्मागर्म चाय या सूप से शुरू हुआ दिन रात में अकसर परांठों के साथ खत्म होता है। गर्मियों में बाजार की चीजें खाने-पीने को लेकर जितनी टोकाटाकी होती है, वह सर्दियों में कुछ हद तक कम हो जाती है। गर्मियों में कहीं बाहर निकलने से पहले शाम होने का इंतजार किया जाता है, वहीं सर्दियों की दोपहरें भी आसानी से कट जाती हैं। याद आतीं गर्मियां मौसम के इतने खुशगवार होने के बावजूद उसमें कुछ ऐसी कमियां महसूस होती हैं जो लोगों को गर्मियों की याद दिला देती हैं। किसी-किसी को त्वचा संबंधी परेशानियां भी सर्दियों में सताती हैं। दिन छोटे होने की वजह से अंधेरा होने से पहले घर लौटने की बंदिश रहती है। फैशन पसंद लोग विशेषकर गर्मियों का इंतजार करते हैं। रास आती हैं सर्दियां मैं नागपुर से हूं, जो कि भारत के सबसे गर्म शहरों में से एक है। अपने बचपन के कुछ साल मुझे अच्छे से याद हैं, जब यहां भी सर्दियां हुआ करती थीं। गर्मी भर हम लोग सर्दियों का बेसब्री से इंतजार करते थे। 2 महीने की समर वेकेशन से ज्यादा तो 10 दिनों की विंटर वेकेशन पसंद थी। इस मौसम में लू और हीट स्ट्रोक की कोई टेंशन नहीं रहती थी। मैं हॉट वॉटर बाथ और हॉट चॉकलेट मिल्क भी बहुत एंजॉय करती थी। हालांकि, अब हम लोग सर्दियां लगभग भूल चुके हैं, फिर भी मुझे कोई दूसरा मौसम इससे बेहतर नहीं लगता। अंशिका गुप्ता भाती हैं गर्मियां मुझे दूसरे मौसमों के मुकाबले सर्दियां कम पसंद हैं। कितना भी मॉयस्चराइजर लगा लूं, स्किन ड्राई रहती है। दिन छोटे होने की वजह से शाम को घर जल्दी वापस लौटना पडता है। मुझे आइसक्रीम और कोल्डड्रिंक बहुत पसंद हैं, सर्दियां शुरू होते ही इनसे दूरी बनानी पड जाती है। दिन भर स्वेटर और मफलर पहने और रात में रजाई में घुसे रहने से न चाहते हुए भी आलसी सी हो जाती हूं। सुबह उठना तो जैसे बहुत बडा टास्क हो जाता है। हालांकि अब उतनी सर्दी पडती नहीं पर फिर भी यह मौसम बेहद आलस भरा होता है। रिया चंदानी सखी फीचर्स

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