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ग्रेड कम तो क्या है गम

अधिकतर छात्र अपने ग्रेड्स को लेकर चिंतित रहते हैं लेकिन उनकी योग्यता को केवल इसी आधार पर मापा नहीं जा सकता।

By Edited By: Published: Sat, 15 Apr 2017 04:44 PM (IST)Updated: Sat, 15 Apr 2017 04:44 PM (IST)
ग्रेड कम तो क्या है गम

अधिकतर छात्र अपने ग्रेड्स को लेकर चिंतित रहते हैं लेकिन उनकी योग्यता को केवल इसी आधार पर मापा नहीं जा सकता। विज्ञान, कला और राजनीति के सर्वोच्च शिखर पर विराजमान कुछ लोगों का जीवन इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

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कंगना रनोटआज किसी पहचान की मोहताज नहींहैंलेकिन आज जिस मुकाम पर वह खडी हैं, दरअसल वहां पहुंचना कभी उनका सपना नहींथा। वह डॉक्टर बनना चाहती थीं। शायद यह उनसे ज्य़ादा उनके घरवालों की इच्छा थी। वह पढाई में बेहद अच्छी थीं। दिन में 19घंटे पढाई करती थींलेकिनइतनी कडी मेहनत के बाद भी जब वह मेडिकल का टेस्ट पास नहींकर पाईं तब उनका मनोबल हिल गया। उन्हें लगा कि वह अब घरवालों की ख्वाहिशों का बोझ और नहीं उठा पाएंगी और बागी हो गईं। घर और पढाई छोड दिल्ली चली आईं, फिर उन्होंने अपनी जिंदगी के साथ वही किया, जो वह करना चाहती थीं।

यह सिर्फ कंगना की कहानी नहीं है। यह किसी के साथ भी हो सकता है। जब हम किसी चीज के लिए बेहद मेहनत करते हैं और वह हमें नहीं मिलती है, तो हम निराश हो जाते हैं और हताशा में कभी-कभी गलत कदम भी उठा लेते हैं लेकिन यही समय तो विद्यार्थी की असल परीक्षा का है, जिसमें उसे हार से घबराना नहीं है बल्कि उस हार में नई राह को तलाशना है। अकसर विद्यार्थी जीवन में कम ग्रेड का बोझ आत्मविश्वास को हिला देता है और लगने लगता है कि अब जीवन में कुछ नहींबचा। अब इतने कम ग्रेड के साथ न तो अच्छे कॉलेजमें एडमिशनमिलेगा और न ही अच्छी नौकरी मिलेगी।

नई राहें खोजें भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय एपीजेअब्दुल कलाम इंडियन एयरफोर्स में काम करना चाहते थे। वह पायलट बनना चाहते थे लेकिन जब उन्होंने इसके लिए टेस्ट दिया तो वह क्वॉलिफाईनहींकर पाए। उनका सपना था पायलट बनने का और जब वह टूटा तो उन्हें दुख तो हुआ लेकिन उन्होंने अपना हौसला नहींटूटने दिया। इसी का नतीजा था कि बाद में उन्होंने देश को कई बडी उपलब्धियां दिलाईं। उन्होंने देश में कई मिसाइलें डेवलपकीं और राष्ट्रपति पद तक पहुंचे। उनकी इन्हींउपलब्धियों के कारण उन्हें मिसाइल मैन कहा जाता है।

प्रयास करना न छोडें हम अकसर एक सेट पैटर्नपर काम करते हैं। बचपन से ही मन में कुछ बनने की चाह का संचार कर दिया जाता है, जैसे क्लास में हमेशा अच्छे ग्रेड लाओ। ए ग्रेड नहीं है तो आप पढाई में कमजोर हैं। पेरेंट्सकी यही गलती है, जो बच्चों के भविष्य के लिए खतरनाक होती है। उनकी एक असफलता उनका मनोबल तोड देती है। ऐसी ही मनोदशा से हाई स्कूल की परीक्षा में गांधी जी का भी सामना हुआ था। उनका पढाई में मन नहीं लगता था लेकिन पिता की सख्ती के कारण वह बेमन से पढने बैठते और शायद इसी वजह से वह इंटरमीडिएट की परीक्षा में इतिहास विषय में फेल हुए। तब कुछ समय के लिए उनका मनोबल टूटा लेकिन कुछ कर गुजरने की राह कभी नहीं रुकी। जीवन की उपलब्धियों ने उन्हें ग्रेड से कहीं आगे बढा दिया। भारत में आजादी की लडाई के सबसे बडे लीडर बनकर उन्होंने इतिहास रच दिया।

रिजेक्शनसे डर कैसा असफलता हमारी लाइफ में स्पीड ब्रेकरकी तरह है, जो जीवन रूपी गाडी की राह में आते हैं और रफ्तार धीमी कर देते हैं। जिस तरह गाडी हमेशा एक गति में नहीं चल पाती, उसी तरह जीवन भी एक गति में नहीं चल सकता। उतार-चढाव जीवन में आता ही रहता है। कुछ लोग असफलता से हिम्मत हार कर बैठ जाते हैं और कुछ लोग इससे सीख लेकर आगे बढकर नया इतिहास रचते हैं। ओपराविनफ्रे के जीवन में एक समय ऐसा आया था, जब एक लोकल टीवी चैनल के प्रोड्यूसर ने यह कहकर उन्हें नौकरी से हटा दिया था कि वह टीवी के लिए फिट नहीं हैं। बाद में उनका ओपराविनफ्रेे शो अमेरिका का सबसे चर्चित टीवी शो बना। आज उनका अरबों का बिजनेस है।

फेल हुए तो क्या गम है कई बार देखा जाता है कि क्लास में फेल होने पर सहपाठी ही अपने साथी का मजाक बनाने लगते हैं। ऐसा होने पर आत्मग्लानि मन पर हावी हो जाती है और इसका सीधा असर परफॉर्मेंसपर पढता है। अल्बर्टआइंस्टाइन नौ वर्ष की उम्र तक ठीक से बोल भी नहीं पाते थे। तीसरी कक्षा में फेल हुए। पंद्रह साल की उम्र में उन्हें स्कूल ही छोडऩापडा। पॉलीटेक्निकइंस्टीट्यूट के एंट्रेंसएग्जाममें भी वह फेल हुए। लेकिन फिर भी उन्होंने ग्रेड और पास-फेल के चक्कर से उपर उठकर दुनिया को 'थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी दी। उन्हें फिजिक्स का नोबल पुरस्कार मिला।

जो पसंद वही करें अकसर कहा जाता है कि आप जिस काम को पसंद करते हैं वही करना चाहिए क्योंकि ऐसा करेंगे तो आप उस काम में अपना सर्वश्रेष्ठ दे पाएंगे। लेकिन यह समझने में कि आखिर पसंद क्या है, एक विद्यार्थी को लंबा समय लग जाता है। श्रीनिवास रामानुजनइंटरमीडिएट के एग्जाममें गणित को छोडकर अन्य सभी विषयों में फेल हुए। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि गणित के अलावा उन्हें कुछ समझ ही नहीं आता था। उनकी इस प्रतिभा को महान गणितज्ञ जीएसहार्डीने परखा और उन्हें अपने साथ काम करने के लिए बुलाया। जिसके बाद उन्होंने दुनिया को मैथमेटिक्सकी कई थ्योरीजदीं।


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