डरो मत आगे बढ़ो
बच्चे को यह समझाना बहुत ज़रूरी है कि वह केवल पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करे। कुछ बच्चे अपने दोस्तों की तैयारी से तुलना करके डरते रहते हैं, जिसका उन पर नकारात्मक असर पड़ता है।
परीक्षा के दौरान रात को उसे हेल्दी लेकिन हलकी डाइट दें क्योंकि कई बार घबराहट की वजह से बच्चों का डाइजेशन सिस्टम सही ढंग से काम नहीं कर पाता। रात को सोने से पहले रिवीजन करने से उसके लिए सवालों के जवाब याद रखना ज्य़ादा आसान हो जाएगा।
मेरी बेटी सातवीं क्लास में पढती है। वैसे तो वह समझदार और मेहनती है लेकिन परीक्षा हॉल में जाने के बाद वह सभी सवालों के जवाब भूलने लगती है। इस समस्या का क्या समाधान है? सुरभि मिश्रा, लखनऊ -परीक्षा के दौरान कुछ बच्चों को अकसर ऐसी घबराहट होती है और इसे एग्जैम स्ट्रेस कहा जाता है लेकिन इसे लेकर आप ज्य़ादा चिंतित न हों क्योंकि स्ट्रेस हमेशा नेगेटिव नहीं होता। यह मानव मस्तिष्क की स्वाभाविक प्रक्रिया है और कुछ स्थितियों के लिए थोडा तनाव जरूरी भी होता है। मसलन अगर परीक्षा को लेकर बच्चों में जरा भी तनाव न हो तो तैयारी के लिए उनके मन में एकाग्रता नहीं आएगी। इसके विपरीत स्ट्रेस ज्यादा हो जाए तो भी बच्चों को परेशानी हो सकती है। मसलन, कुछ बच्चों के शरीर पर तनाव का ज्यादा असर पडता है। ऐसी स्थिति में गला सूखना, हाथ-पैर कांपना, सिरदर्द, पेटदर्द और बुखार जैसे लक्षण नजर आते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ बच्चों की सोचने-समझने की क्षमता पर इसका बुरा असर पडता है।
ऐसी स्थिति में बच्चे के मन में बार-बार यही बात आती है कि कहीं सवाल बहुत कठिन तो नहीं होंगे, अगर मैं परीक्षा में फेल हो गया तो क्या होगा? आपकी बेटी के साथ भी ऐसी ही समस्या है। परीक्षा को लेकर उसका मन बेहद तनावग्रस्त है। दरअसल वह परीक्षा से नहीं बल्कि रिजल्ट से डर रही है। आप उसके सामने परीक्षा या उसकी तैयारी को लेकर कोई नकारात्मक बात न करें। अगर कभी वह आपके सामने परीक्षा को लेकर डर जाहिर करती है तो आप समझाएं कि डरने की कोई बात नहीं है।
तुम मन लगाकर पढाई करो तो निश्चित रूप से तुम्हें अच्छे माक्र्स मिलेंगे। उसे तार्किक ढंग से यह समझाने की कोशिश करें कि तुम्हारे हाथ में केवल परीक्षा देना है। इसलिए केवल अपनी पढाई पर ध्यान दो। रिजल्ट तैयार करना टीचर की जिम्मेदारी है, इसलिए उसके बारे में सोचकर अपना कीमती समय मत बर्बाद करो। अगर कम माक्र्स आए तो भी कोई बात नहीं। तुमने पूरी ईमानदारी से कोशिश की, हमारे लिए यही काफी है। अपनी ओर से उस पर कोई ऐसा दबाव न बनाएं कि इस बार तुम्हें क्लास में टॉप करना है। कुछ बच्चे अपनी ओर से भी कोई ऐसा लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं, जिसे पूरा कर पाना उनके लिए असंभव होता है। आप उसे समझाएं कि परीक्षा में केवल अच्छे माक्र्स लाना ही काफी नहीं है, बल्कि तुम जो भी पढती हो, उसे समझना भी जरूरी है। परीक्षा की तैयारी के दौरान सचेत ढंग से उसकी दिनचर्या पर ध्यान दें।
उसके सोने-जागने का समय सुनिश्चित करें। अच्छी याददाश्त के लिए पर्याप्त नींद लेना जरूरी है। अगर वह बिना किसी ब्रेक के लगातार कई घंटे तक पढ रही हो तो उसे हर एक घंटे के बाद उठकर थोडा टहलने या बातें करने को कहें। प्रैक्टिस के दौरान किसी भी एक सवाल का जवाब याद करने के बाद कम से कम पांच मिनट का ब्रेक दें ताकि नए चैप्टर पर ध्यान केंद्रित करने में उसे परेशानी न हो।
शाम को उसे थोडी देर खेलने या टीवी देखने की भी छूट दें। परीक्षा में कामयाबी के लिए टाइम मैनेजमेंट, निरंतर अभ्यास और रिवीजन बहुत जरूरी है। अकेडमिक सेशन की शुरुआत से ही उसमें ऐसी आदत विकसित करें कि वह रोजाना दो-तीन घंटे पढाई करे। इस दौरान सभी विषयों की तैयारी में सही तालमेल होना चाहिए। मसलन एक घंटे तक मैथ्स के सवाल हल करने के बाद आप उसे सोशल साइंस जैसा कोई रोचक विषय पढऩे को कहें।
उसके साथ रोजाना बातचीत का समय जरूर निकालें और उसे यह समझाएं कि तुम परीक्षा हॉल में निडर होकर जाओ और तुम्हें जिन सवालों के जवाब अच्छी तरह याद हों, पहले उन्हें पूरा करो, अगर किसी सवाल का जवाब नहीं मालूम तो उसके बारे में ज्यादा सोचकर परेशान होने के बजाय उसे छोडकर आगे बढ जाओ। अगर प्यार भरा मार्गदर्शन मिलेगा तो उसके मन से परीक्षा का डर भी दूर हो जाएगा।