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नाराज़ न हों खुद से

कुछ लोग छोटी-छोटी बातों पर खुद से भी नाराज़ हो जाते हैं। ऐसे लोग दूसरों का गुस्सा खुद पर उतारने लगते हैं। यह उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसानदेह साबित होता है।

By Edited By: Published: Fri, 10 Feb 2017 03:48 PM (IST)Updated: Fri, 10 Feb 2017 03:48 PM (IST)
नाराज़ न हों खुद से
आखिर क्यों होता है ऐसा और इस नाराजगी से कैसे बचा जाए? आइए जानते हैं सखी के साथ। आज अपनी लापरवाही की वजह से मेरा पर्स खो गया, मुझे इतना गुस्सा आया कि मैंने खाना भी नहीं खाया..., उसने मेरे साथ बहुत बुरा सुलूक किया, मुझे यह सोचकर अफसोस हो रहा है कि मैं उससे मिलने क्यों गई..., मैं हूं ही ऐसी, हमेशा दूसरों की बातों में आ जाती हूं...। छोटी-छोटी बातों पर खुद से खफा होने वाले कई लोग हमारे आसपास मौजूद होते हैं। ऐसे लोग हर बुरी स्थिति के लिए स्वयं को दोषी मानने लगते हैं। बाहर से ऐसे लोग बेहद शांत दिखते हैं लेकिन इनके मन के भीतर ज्वालामुखी की तरह क्रोध भरा होता है क्योंकि दूसरों के सामने ये अपनी नाराजगी को जाहिर करने से डरते हैं। क्यों होता है ऐसा जो लोग शुरू ही इंट्रोवर्ट और शर्मीले स्वभाव के होते हैं, वे कम बोलते हैं और दूसरों के सामने खुलकर अपनी भावनाओं का इजहार नहीं कर पाते। इसीलिए ऐसे लोग जब किसी से नाराज होते हैं तो उसके सामने अपनी बात नहीं रख पाते लेकिन ऐसी नकारात्मक बातें लगातार उन्हें परेशान कर रही होती हैं। फिर एक वक्त ऐसा आता है, जब ये अपनी उदासी के लिए खुद को दोषी मानने लगते हैं। कुछ लोग अपनी इमेज के प्रति ज्यादा सचेत होते हैं और दूसरों के सामने नाराजगी जाहिर नहीं करते। ऐसे में ये सारा गुस्सा खुद पर ही उतारते हैं। इसी तरह जिन बच्चों की परवरिश सख्त अनुशासन भरे माहौल में होती है, वे स्वभाव से दब्बू बन जाते हैं और बडे होने के बाद भी क्रोध को अभिव्यक्त नहीं कर पाते। ऐसे लोग कोई गलती न होने पर भी स्वयं को दोषी मान लेते हैं और चुप रहकर खुद को ही सजा दे रहे होते हैं। जिन लोगों में इमोशनल इंटेलिजेंस की कमी होती है और जो अपनी मनोदशा और भावनाओं के उतार-चढाव को पहचान नहीं पाते, ऐसे लोग भी हमेशा भ्रमित रहते हैं। अकसर छोटी-छोटी बातों पर इनका मूड ऑफ होता है पर ये इसकी वजह तलाश नहीं पाते और अतंत: अपने आप को ही सजा देने लगते हैं। वैसे तो यह समस्या किसी को भी हो सकती है लेकिन जिन लडकियों को बचपन से ही सहनशील होना सिखाया जाता है, उन्हें यह समस्या अधिक होती है। शादी के बाद वे परिवार के सभी सदस्यों की जरूरतें पूरी करती हैं पर उनके पास अपने लिए सोचने का वक्त नहीं होता। इससे उनका मन हमेशा खिन्न रहता है। परिवार का माहौल शांतिपूर्ण बनाए रखने के लिए वे किसी से कोई शिकायत नहीं करतीं पर गुस्से में आकर अपनी सभी रुचियों और मनपसंद चीजों का त्याग करने लगती हैं। इससे उन्हें खुद ही पता नहीं चलता लेकिन उनके स्वभाव में स्थायी रूप से चिडचिडापन आ जाता है। क्या है नुकसान स्वयं से नाराज रहने वाला व्यक्ति हर पल अपना ही नुकसान कर रहा होता है। ऐसे लोग आत्मविश्वास खो देते हैं और कोई भी कार्य शुरू करने से पहले इनके मन में यह दुविधा रहती है कि कहीं मुझसे कोई गलती न हो जाए। समय के साथ ऐसे लोगों का दृष्टिकोण नकारात्मक होने लगता है। हमेशा तनावग्रस्त रहने की वजह से प्रोफेशनल लाइफ में इनकी कार्य-कुशलता भी घटने लगती है, जो उनके करियर के लिए बहुत नुकसानदेह साबित होती है। भोजन में अरुचि और नींद की कमी के कारण इन्हें एनीमिया, बीपी (हाई और लो ब्लड प्रेशर) और माइग्रेन जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं। लंबे समय तक ऐसी मनोदशा में जीने वाले व्यक्ति को डिप्रेशन की भी समस्या हो सकती है। कोई भी परफेक्ट नहीं होता कुछ लोग सनकी होने की हद तक अति परफेक्शनिस्ट होते हैं। खुद या दूसरों से होने वाली मामूली सी भी गलती इन्हें बर्दाश्त नहीं होती। सर्वश्रेष्ठ ढंग से कार्य करने की धुन में कई बार इनसे थोडी देर या मामूली सी चूक हो जाती है तो ये बुरी तरह बौखला जाते हैं। ऐसे लोगों में अपनी गलतियां स्वीकारने का साहस नहीं होता। इसलिए अपने आप को दोषी मान कर ये बहुत जल्दी निराश हो जाते हैं और इनके लिए ऐसी मनोदशा से बाहर निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसे लोगों को यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि गलतियां सभी से होती हैं और कोई भी व्यक्ति पूरी तरह परफेक्ट नहीं होता। सीखें माफ करना आत्मकेंद्रित लोगों की सोच संकुचित होती है। अगर कभी दूसरों की कोई बात इन्हें नापसंद होती है तो वे उसके सामने अपनी नाराजगी जाहिर नहीं करते लेकिन उनकी बातों को दिल पर ले लेते हैं। बाद में कटु अनुभवों को याद करके दुखी होते हैं। ऐसे लोग केवल दूसरों को ही नहीं बल्कि खुद को भी आसानी से माफ नहीं कर पाते। इसी वजह से ये हमेशा उदास और परेशान रहते हैं। अगर इंसान दूसरों के साथ अपने आप को भी माफ करना सीख जाए तो उसकी कई समस्याओं का समाधान स्वत: हो जाएगा। हर बात के लिए खुद को दोषी मानने की प्रवृत्ति व्यक्ति के लिए बहुत घातक साबित होती है। अगर कभी किसी व्यक्ति से कोई विवाद या मतभेद होता है तो बातचीत के जरिये उसे वहीं खत्म कर देना चाहिए। जीवन का हर पल बेहद कीमती है। इसलिए दुखद यादों को भुलाकर हमें हमेशा अपने उज्ज्वल भविष्य के बारे में सोचना चाहिए।

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