Move to Jagran APP

डॉक्टर की चूक पेशेंट पर पड़ी भारी

अस्पतालों या डॉक्टर्स की ज़्ारा सी चूक मरीज़्ा की ज़्िांदगी पर भारी पड़ सकती है। ऐसे में क्या हो सकते हैं मरीज़्ा के अधिकार, बता रही हैं सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता कमलेश जैन।

By Edited By: Published: Sat, 02 Apr 2016 04:19 PM (IST)Updated: Sat, 02 Apr 2016 04:19 PM (IST)
डॉक्टर की चूक पेशेंट पर पड़ी भारी

अस्पतालों या डॉक्टर्स की ज्ारा सी चूक मरीज्ा की ज्िांदगी पर भारी पड सकती है। ऐसे में क्या हो सकते हैं मरीज्ा के अधिकार, बता रही हैं सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता कमलेश जैन।

loksabha election banner

जकल डॉक्टर्स द्वारा सेवा में कमी के कई मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में उपभोक्ता को पता होना चाहिए कि यदि डॉक्टर सेवा में कमी करे तो उसके पास क्या अधिकार हैं।

सेवा में कमी का मामला

मामला वर्ष 1999 का है। होम्योपैथी के डॉक्टर की लापरवाही से पेशेंट को अपना पैर और टेस्टिकल गंवाना पडा, साथ ही मानसिक कष्ट भी झेलना पडा।

घटना गांव रेशिन, जिला अहमदाबाद की है। 17 वर्षीय छात्र को तेज्ा बुख्ाार के चलते पास के होम्योपैथिक डॉक्टर के पास ले जाया गया। डॉक्टर ने ऐलोपैथी की दवाएं लिख दीं और मरीज्ा को इंजेक्शन लगाया। अगले ही दिन इंजेक्शन की जगह पर निशान, दर्द और सूजन के कारण मरीा को डॉक्टर के पास ले जाया गया। डॉक्टर ने मलहम लगाने को दिया और उसे दूसरे डॉक्टर के पास भेज दिया। दूसरे ने तीसरे डॉक्टर के पास भेजा। तीसरे डॉक्टर ने दवा लिखी और उसे एक हॉस्पिटल में रिफर कर दिया। हॉस्पिटल में पाया गया कि मरीज्ा के बायें पैर में सेप्टिक और गैंगरीन हो चुका है। पेशेंट की जान बचाने के लिए उसके बायें पैर को काटना पडा और उसके टेस्टिकल को निकालना पडा। जिला अदालत ने मरीज्ा को 18 लाख &0 हज्ाार रुपये ग्रान्ट किए।

महाराष्ट्र राज्य उपभोक्ता विवाद-निस्तारण आयोग, मुंबई सर्किट बैंच औरंगाबाद में यह मामला आया। यहां डिस्ट्रिक्ट फोरम की शिकायत को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए कहा गया कि होम्योपैथी प्रैक्टिशनर डॉक्टर ने चिकित्सा के दौरान लापरवाही बरती और सेवा में कमी की। होम्योपैथी के डॉक्टर को एलोपैथी की दवाएं देने का अधिकार नहीं है। उन्होंने डॉक्टर को आदेश दिया कि पेशेंट को & लाख रुपये ख्ार्च हेतु और टेस्टिकल व पैर गंवाने पर 6 लाख 75 हज्ाार रुपये हर्जाना दे। मानसिक संताप के लिए 20 हज्ाार रुपये दे। यह पूरा पैसा 10' सूद के साथ देना होगा, साथ ही उसे मुकदमा लडऩे में हुए ख्ार्च के बतौर 5 हज्ाार रुपये भी देने होंगे।

डॉक्टर पर दोष साबित

राज्य उपभोक्ता आयोग में डॉक्टर केस हार गया। वह राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत गया, जहां उसके वकील ने कहा कि शिकायतकर्ता एक्सपर्ट ओपिनियन नहीं ला पाए, मगर राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निस्तारण आयोग ने माना कि बिना एक्सपर्ट ओपिनियन के भी कहा जा सकता है कि होम्योपैथी के डॉक्टर द्वारा ऐलोपैथी की दवाएं और इंजेक्शन देना ग्ालत है। डॉक्टर के वकील ने कहा-घटना के समय ऐसी गाइडलाइंस नहीं थीं। चूंकि डॉक्टर ने एक संस्था से एलोपैथी इलाज का कोर्स किया था, इसलिए वह इंजेक्शन दे सकता था। इस दलील को कोर्ट ने नहीं माना और कहा कि यह सेवा में भयंकर भूल व चूक का मामला है, जिसके कारण एक लडके को पैर और टेस्टिकल खोना पडा। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने जिला उपभोक्ता फोरम के फैसले को बहाल रखा।

कानून में संशोधन

दो वर्ष पूर्व ही 2014 में महाराष्ट्र होम्योपैथी प्रैक्टिशनर एक्ट में संशोधन हुआ है, जिसमें गजट नोटिफिकेशन निकाला गया है। अब वे मॉडर्न फार्माकोलॉजी (सरकारी संस्था) से कोर्स कर उस सीमा तक ऐलोपैथिक इलाज कर सकते हैं, जहां तक उन्होंने पढाई की है। वकील ने कहा कि उसके मुविक्कल ने यह पढाई की है, इसलिए वह पेशेंट को इंजेक्शन दे सकता है। राष्ट्रीय आयोग ने माना कि घटना के समय ऐसा प्रावधान नहीं था। लिहााा डॉक्टर को दोषी समझा जाएगा। द्य

क्या हैं मरीज्ा के अधिकार

1. मरीज्ा को बीमारी, दवा और इलाज की प्रक्रिया के बारे में बताना डॉक्टर का कर्तव्य है।

2. डॉक्टर और उसका स्टाफ प्रशिक्षित हो।

3. डॉक्टर व स्टाफ का नज्ारिया मानवीय हो।

4. मामला किसी दीवानी अदालत में है तो उपभोक्ता फोरम उन पर विचार नहीं करेगा।

5. डॉक्टर के ख्िालाफ लापरवाही साबित करने की ज्िाम्मेदारी पेशेंट और परिजनों की होगी।

6. शिकायत पेशेंट या उसका कोई प्रतिनिधि अदालत में उपस्थित होकर या डाक द्वारा कर सकता है। इसमें पेशेंट का हस्ताक्षर, उसका नाम, पता व अन्य जानकारियों सहित प्रतिपक्ष की डिटेल्स भी होनी चाहिए।

कमलेश जैन


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.