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बचा तेल सेहत के लिए खतरा

बाजार का खाना अकसर बहुत ऑयली और स्पाइसी होता है। इसलिए लोग ज्यादातर अपने घर का खाना प्रेफर करते हैं। लेकिन बहुत से घरों में कड़ाही में बचे तेल का दोबारा इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में घर पर बना खाना भी सेहत के लिए खतरा बन जाता है।

By Edited By: Published: Thu, 29 Jan 2015 02:23 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jan 2015 02:23 PM (IST)
बचा तेल सेहत के लिए खतरा

बाजार का खाना अकसर बहुत ऑयली और स्पाइसी होता है। इसलिए लोग ज्यादातर अपने घर का खाना प्रेफर करते हैं। लेकिन बहुत से घरों में कडाही में बचे तेल का दोबारा इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में घर पर बना खाना भी सेहत के लिए खतरा बन जाता है। अगर आप भी अकसर बचे हुए तेल का इस्तेमाल करती हैं तो यहां दी गई बातों पर गौर जरूर फरमाएं।

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गरमागरम जलेबियां, समोसा, छोले भटूरे और खस्ता कचौडी ... आमतौर पर छुट्टी के दिन या संडे का यही सुपर नाश्ता होता है। कडाही में भरे हुए तेल में छनी पूरी-आलू हरदिल अजीज होते हैं। सच कहें तो इंडियन कुकिंग तेल के बिना अधूरी है। उस पर अगर त्योहार या पार्टी हो तो सोने पर सुहागा। हममें से कितने लोग कडाही में बचे तेल का इस्तेमाल दोबारा जरूर करते हैं। लेकिन ऐसा करना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।

तेल बिना सब सून

खाना पकाने के लिए तेल की अहम भूमिका होती है। तडके से लेकर सब्जियां बघारने तक में तेल की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लेकिन डीप फ्राइ करने के बाद बचे हुए तेल का उपयोग भी स्त्रियां बखूबी करती हैं। आहार विशेषज्ञों की मानें तो कडाही में बचा हुआ तेल रैनसेड यानी कैंसरस हो जाता है। यहां बीएल कपूर हॉस्पिटल की रजिस्टर्ड डाइटीशियन (इंग्लैंड) डॉ. आर्ची भाटिया बता रही हैं कि सेहत के लिए कितना खतरनाक है बचा हुआ तेल और उससे बचने के लिए क्या उपाय अपनाने जरूरी हैं।

सेहत के लिए खतरा

जब तलने के लिए एक ही तेल का प्रयोग बार-बार किया जाता है तो उसमें फ्री रेडिकल्स का निर्माण हो जाता है, जो आगे चलकर बीमारियों का कारण बन सकता है। बार-बार उसी तेल के इस्तेमाल से वह तेल खराब हो जाता है। उसकी गंध नष्ट हो जाती है। उसमें कार्सिनोजेनिक सब्सटैंसेज यानी कैंसर पैदा करने वाले तत्व पनप जाते हैं। तेल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स नष्ट हो जाते हैं। कडाही में बचे तले में जमे गंदे मॉलिक्यूल्स दोबारा इस्तेमाल करने पर उस खाने में चिपक जाते हैं और पेट के अंदर जाकर सेहत पर विपरीत असर दिखाते हैं। इससे इनडाइजेशन की समस्या हो सकती है।

अलग-अलग तेल

एक शोध के मुताबिक जब एक बार तेल गर्म किया जाता है तो

उसमें एचएनई

पदार्थ बनने शुरू हो जाते हैं। जितनी बार तेल गर्म किया जाता है एचएनई (विषाक्त पदार्थ) उतने ज्य़ादा बनते जाते हैं। एचएनई उन तेलों में ज्य़ादा बनते हैं जिनमें लिनोलेइक एसिड ज्यादा होता है। आमतौर पर जिन तेलों में लिनोलेइक एसिड की मात्रा अधिक होती है वे इस प्रकार हैं- ग्रेपसीड ऑयल, सनफ्लार, कॉर्न ऑयल और सैफ्लार। इन तेलों को कुकिंग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन डीप फ्राइ करने के लिए नहीं करना चाहिए।

आहार विशेषज्ञों की माने तो जब बार-बार उसी तेल का इस्तेमाल किया जाता है तो उसमें मौजूद फ्री रेडिकल्स स्वस्थ कोशिकाओं से जुड जाते हैं और बीमारियां पैदा करते हैं। ये मुक्त कण कैंसर पैदा करने वाले हो सकते हैं। साथ ही धमनियों में खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ सकता है। बचे हुए तेल का दोबारा उपयोग करने से एसिडिटी, हार्ट डिजीज, अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी बीमारियों की आशंका रहती है।

कितनी बार करें उपयोग

किसी तेल का उपयोग कितनी बार किया जा सकता है यह कुछ कारकों पर निर्भर करता है मसलन किस तेल का उपयोग किया गया, तेल को कितनी देर तक गर्म किया गया, इसका उपयोग डीप फ्राइंग (तलने) के लिए किया गया है या शैलो फ्राइंग के लिए, उसमें किस प्रकार का खाना बनाया गया आदि।

कुकिंग का सही तरीका

हर बार नए तेल का इस्तेमाल सेहत के लिहाज से सही होता है, लेकिन यह व्यावहारिक नहीं है। क्योंकि एक अनुमान के मुताबिक भारतीय लोग सप्ताह में कम से कम दो बार डीप फ्राइ कुकिंग करते हैं। ऐसे में कडाही में तेल बचना लाजमी है। अगर तेल का दोबारा इस्तेमाल करना जरूरी हो तो बचे हुए तेल को मलमल के कपडे से छानकर ही दोबारा इस्तेमाल में लाएं। इससे तेल में उपस्थित अन्न के कण जो तेल को जल्दी खराब कर सकते हैं, निकल जाएंगे। वैसे तो बेहतर यही होगा कि जितनी जरूरत हो उतना ही तेल कडाही में डालें। कोई भी तेल बहुत देर तक बॉइलिंग तापमान पर न पकाएं। फ्राइड फूड अधिकतम 190 डिग्री सेल्शियस पर ही गर्म करें। काम होते ही आंच बंद कर दें। ख्ााली तेल देर तक तेज आंच पर जलने न दें। दूसरे जहां तक संभव हो कोई भी चीज तलने के लिए लोहे या कॉपर की कडाही का इस्तेमाल न करें।

पहले जांच लें

बचा हुआ तेल इस्तेमाल करने से पहले उसके रंग और गाढेपन की जांच जरूर कर लें। यदि वह गहरे रंग का और चिपचिपा नजर आए या उसमें से अजीब गंध आ रही हो तो बिना सोचे उसे फें क दें। उसका इस्तेमाल भूल कर भी न करें।

तो अब कडाही में बचे हुए तेल का पुन: उपयोग करने से पहले ऊपर दी हुई बातों का ध्यान जरूर रखें और थाली में सेहत परोसें।

ध्यान दें

-एक साथ या एक बार में कई तेल इस्तेमाल न करें। एक समय में एक ही तेल का उपयोग करें।

-तेल का वास्तविक रंग बदल गया है तो उसे बिना हिचक फेंक दें।

-ऑलिव ऑयल को डीप फ्राइ के लिए इस्तेमाल न करें। सैलेड डे्रसिंग, सॉते और बघार के लिए ही इस्तेमाल करें।

-सस्ते तेल जो जल्दी गर्म हो जाते हैं, जिनमें आंच पर रखते ही झाग बनने लगे उसका इस्तेमाल न करें। ये एडल्ट्रेटेड ऑयल होते हैं, जो शरीर के लिए नुकसानदेह होते हैं।

-सभी तेल समान नहीं होते। कुछ तेल बहुत अधिक तापमान पर गर्म होते हैं (जिनका प्रयोग तलने या डीप फ्राइंग के लिए किया जा सकता है)। मसलन सोयाबीन, राइस ब्रैन, सरसों, मूंगफली, कैनोला और तिल का तेल।

-जल्दी गर्म होने वाले तेल जैसे ऑलिव

ऑयल का इस्तेमाल सिर्फ भूनने के लिए करना सही रहता है।

इला श्रीवास्तव


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