मधुमेह में लाभकारी योग
प्राचीन काल से ही योग कई बीमारियों को ठीक करने के काम आता रहा है। तेज़ी से फै ल रही मधुमेह की बीमारी को भी योग द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। योग करने से कोशिकाओं को ऑक्सीजन ज्य़ादा मात्रा में मिलती है जो बीटा-सेल्स में नई ऊर्जा लाती है।
प्राचीन काल से ही योग कई बीमारियों को ठीक करने के काम आता रहा है। तेजी से फै ल रही मधुमेह की बीमारी को भी योग द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। योग करने से कोशिकाओं को ऑक्सीजन ज्य़ादा मात्रा में मिलती है जो बीटा-सेल्स में नई ऊर्जा लाती है। यह प्रक्रिया इंसुलिन ज्य़ादा बनाने में मदद करती है। आइए जाने योग एक्सपर्ट आशीष सिंह से ऐसे ही कुछ आसनों के बारे में, जो मधुमेह में हैं लाभकारी।
हलासन
इस आसन में शरीर का आकार हल के समान हो जाता है। इसीलिए इस आसन को हलासन कहा जाता है।
सावधानी
रीढ संबंधी रोगों अथवा गले में कोई गंभीर रोग होने की स्थिति में यह आसन न करें। आसन करते वक्त ध्यान रहे कि पैर तने हुए तथा घुटने सीधे रहें। स्त्रियों को यह आसन एक्सपर्ट की सलाह पर ही करना चाहिए।
लाभ
हलासन से रीढ सही स्थिति में बनी रहती है। मेरुदंड संबंधी नाडिय़ों के स्वस्थ रहने से वृद्धावस्था के लक्षण जल्दी नहीं आते। डायबिटीज के अलावा यह आसन कब्ज, थायरॉइड, दमा, सिरदर्द, कफ, रक्त-विकार आदि में भी लाभदायक है। लीवर बढ गया हो तो हलासन से सामान्य अवस्था में आ जाता है।
विधि
शवासन की अवस्था में भूमि पर लेट जाएं। दोनों पंजे मिलाएं। हथेलियों को भी सीधा रखें। सांस को सुविधानुसार बाहर छोडें। फिर दोनों पैरों को एक-दूसरे से सटाते हुए पहले 60 फिर 90 डिग्री के कोण तक एक साथ धीरे-धीरे भूमि से ऊपर उठाते जाएं।
अपने घुटनों को सीधा रखते हुए पैरों को ऊपर की तरफ 90 डिग्री का कोण बनाते हुए धीरे-धीरे उठाएं। अब अपनी हथेलियों के सहारे नितंबों को धीरे-धीरे उठाते हुए पैरों को सिर के पीछे की ओर झुकाते जाएं। ध्यान रहे कि इससे रीढ पर किसी तरह का दबाव न पडे। धीरे-धीरे अपने पंजों को सिर के पीछे इस तरह ले जाएं कि पंजे ज्ामीन को छूने लगें।
कुछ सेकंड्स इसी स्थिति में रह कर धीरे-धीरे वापस अपनी स्थिति में लौट आएं। पहले हथेलियों के बल 90 और फिर 60 डिग्री में पैरों को लाते हुए जमीन पर टिका दें। इसे किसी अच्छे योग एक्सपर्ट की मदद से ही करें।
अर्धमत्स्येंद्रासन
मत्स्येंद्रासन की रचना स्वामी मत्स्येंद्रनाथ ने की थी। मत्स्येंद्रासन की आधी क्रिया को लेकर ही अर्धमत्स्येंद्रासन प्रचलित हुआ।
सावधानी
रीढ की हड्डी में कोई शिकायत हो या फिर पेट में कोई गंभीर बीमारी हो ऐसी स्थिति में यह आसन न करें।
लाभ
यह आसन डायबिटीज में लाभकारी है। अर्धमत्स्येंद्रासन से मेरुदंड स्वस्थ रहता है और स्फूर्ति बनी रहती है। पीठ,
पेट, पैर, गर्दन, हाथ, कमर, नाभि से नीचे के भाग एवं छाती पर खिंचाव पडऩे से उन पर अच्छा प्रभाव पडता है। शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। कमर, पीठ और जोडों के दर्द में यह आसन लाभदायक है। यह आसन करने से लीवर भी मज्ाबूत
होता है।
विधि
दोनों पैरों को लंबा करके बैठ जाएं। बायें पैर को घुटने से मोडकर बैठ जाएं। दाहिने पैर को घुटने से मोडकर सीधा रखें। बायें हाथ से दाहिने पैर का अंगूठा पकडें। सिर को दाहिनी ओर मोडें, जिसमें दाहिने पैर के घुटने के ऊपर बायें कंधे का दबाव पडे। अब दाहिना हाथ पीठ के पीछे से घुमा कर बायें पैर के पास ले जाएं। सिर दाहिनी ओर इस तरह घुमाएं कि ठोडी और बायां कंधा एक सीधी रेखा में आ जाए। 30 सेकेंड तक इसी पोजिशन में रहने के बाद रिलैक्स हो जाएं। इस आसन को नियमित करने से जल्द लाभ मिलता है।
- योग को हमेशा ओम बोल कर ही शुरू करें।
1 ध्यान एवं मंत्रों के साथ पॉजिटिव सोच से किया गया योगासन ज्य़ादा लाभकारी
होता है।
2 किसी भी योग को करने
से पहले एक्सपर्ट से परामर्श जरूर लें।
3 बताई गई सावधानियों को नजरअंदाज न करें।
4 योग हमेशा पर्याप्त समय तक और सही ढंग से करना जरूरी है।
वज्रासन
वज्र का अर्थ होता है कठोर। इस आसन को करने से शरीर मजबूत होता है।
सावधानी
घुटनों में दर्द होने की स्थिति में यह आसन न करें।
लाभ
में भी यह आसन बहुत लाभकारी है। इससे रीढ की हड्डी और और कंधे सीधे होते हैं। शरीर में रक्तसंचार अच्छी तरह से होता है। यही एकमात्र ऐसा आसन है जिसे खाना खाकर भी किया जा सकता है। इससे भोजन आसानी से पचता है। यह पैरों की मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है।
विधि
दोनों पैर सामने की तरफ फैलाकर बैठ जाएं। इसके बाद घुटने मोडकर इस तरह बैठें कि पैरों के पंजे पीछे की तरफ रहें। अब पंजों के ऊपर बैठ जाएं। दोनों एडिय़ों में अंतर बनाकर रखें। शरीर को सीधा रखें। अपने दोनों हाथों को घुटने पर रखें। आंखों को बंद कर लें। धीरे-धीरे गहरी सांस लें और छोडें। इस आसन को आप जब तक आरामदायक महसूस करें तब तक कर सकते हैं। शुरुआत में केवल 2 से 5 मिनट तक ही करें। धीरे-धीरे अवधि बढा सकते हैं।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम
प्राणायाम सीखने के लिए शुरुआत में अनुलोम-विलोम का अभ्यास किया जाता है। फिर क्रमश: अन्य प्राणायामों का अभ्यास किया जाता है।
लाभ
तनाव घटाकर शांति प्रदान करने वाले प्राणायाम से सभी प्रकार की नाडिय़ों को भी स्वास्थ्य लाभ मिलता है। मधुमेह के रोगी इस आसन को नियमित करें। यह आसन नेत्र ज्योति बढाने में भी सहायक है। इस आसन से शरीर को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता।
विधि
अनुलोम-विलोम प्राणायाम करते समय तीन क्रिया करते हैं- 1.पूरक 2.कुंभक 3.रेचक।
इसे करने के लिए जमीन पर आराम से बैठ जाएं। दाहिने हाथ के अंगूठे से नाक के दायें छेद को बंद कर लें और नाक के बायें छेद सेे चार तक की गिनती करते हुए सांस को भीतर भरें और बायीं नाक के अंगूठे के बगल वाली दो उंगलियों से बंद कर दें। इसके बाद दायीं नाक से अंगूठे को हटा दें और सांस बाहर छोड दें।
अब दायींनाक से ही सांस को चार तक गिनती करते हुए भीतर भरें और दायीं नाक को बंद करके बायीं नाक खोलकर सांस को आठ की गिनती में बाहर निकालें। इस प्राणायाम को पांच से 15 मिनट तक कर सकते हैं। इस आसन को हर वर्ग के लोग कर सकते हैं।
सखी फीचर्स