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भ्रम न बन जाए समस्या

इंटरनेट में सर्वाधिक खोजा जाने वाला विषय है सेक्स, इसके बावज़्ाूद इस बारे में लोग अजीबोग़्ारीब धारणाओं से ग्रस्त रहते हैं। कई बार तो मिथ्या धारणाएं वैवाहिक जीवन को ही बर्बाद कर देती हैं। क्या हैं ये मिथक और उनकी सच्चाइयां, जानें।

By Edited By: Published: Fri, 01 Apr 2016 03:22 PM (IST)Updated: Fri, 01 Apr 2016 03:22 PM (IST)
भ्रम न बन जाए समस्या

इंटरनेट में सर्वाधिक खोजा जाने वाला विषय है सेक्स, इसके बावज्ाूद इस बारे में लोग अजीबोग्ारीब धारणाओं से ग्रस्त रहते हैं। कई बार तो मिथ्या धारणाएं वैवाहिक जीवन को ही बर्बाद कर देती हैं। क्या हैं ये मिथक और उनकी सच्चाइयां, जानें।

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हर व्यक्ति के स्वभाव, रुचियों और आदतों में फर्क होता है। परवरिश, शिक्षा, संस्कृति और स्थितियों का असर भी उस पर पडता है। इसी से उसका व्यक्तित्व बनता है और उसका व्यवहार तय होता है। यहां तक कि उसकी सेक्सुअल लाइफ भी काफी हद तक इन बातों से प्रभावित होती है। विडंबना यह है कि ऐसे समय में, जब हर चीज्ा एक क्लिक पर मौज्ाूद है, सेक्सुअल व्यवहार और डिज्ाायर्स को लेकर अभी भी कई भ्रम व्याप्त हैं।

सेक्सुअल व्यवहार पर तथ्यात्मक जानकारी के लिए इंटरनेट खंगालें तो वहां इतना कचरा फैला है कि दिमाग्ा दूषित हो जाए। सेक्स संबंधी सारे संसाधन आधी-अधूरी जानकारियां देते हैं। यहां तक कि एक्सपट्र्स भी इस विषय पर बचते नज्ार आते हैं। यूरोलॉजिस्ट, काउंसलर्स, मनोचिकित्सक और स्त्री रोग विशेषज्ञ ही सेक्स संबंधी सवालों के जवाब देने को उपलब्ध हैं। वात्स्यायन और खजुराहो के देश में डॉक्टर्स भी यदि जानकारी देने से बचें, तो क्या यह विचित्र बात नहीं है!

यही कारण है कि सेक्स को लेकर 21वीं सदी में भी इतने मिथक फैले हुए हैं। जानें अमूमन किस तरह की धारणाएं लोगों में व्याप्त हैं और इनकी सच्चाई क्या है।

धारणा 1

पुरुष के दिमाग्ा में हमेशा सेक्स की बातें चलती रहती हैं।

सच्चाई : अकसर स्त्रियां मानती हैं कि पुुरुष सेक्स के लिए ही किसी स्त्री से प्रेम करता है। सच्चाई यह है कि सेक्स शरीर और मन की एक इच्छा है, बिलकुल अन्य दूसरी इच्छाओं की तरह। पुरुषों में स्त्रियों के मुकाबले यह इच्छा थोडी ज्य़ादा होती है, लेकिन सेक्स इच्छा के साथ उनकी भावनाएं भी जुडी होती हैं। वर्ष 2014 में ओहियो यूनिवर्सिटी में भूख, नींद और सेक्स डिज्ाायर्स को लेकर हुए एक शोध में पाया गया कि पुरुष स्त्रियों से ज्य़ादा इस पर सोचते हैं, लेकिन यह अंतर बहुत बडा नहीं है। अगर पुरुष के दिमाग्ा में 19 बार यह ख्ायाल आता है तो स्त्री के दिमाग्ा में 10 बार यह विचार आता है। स्थितियां अनुकूल न हों तो यह दिमाग्ा से निकल भी जाता है। इसीलिए एक्सपट्र्स टीनएजर्स और युवाओं को आउटडोर एक्टिविटीज्ा, एक्सरसाइज्ा और योग करने की सलाह देते हैं, ताकि इन डिज्ाायर्स को नियंत्रित किया जा सके।

धारणा 2

सेक्सुअल क्रिया लंबी होनी चाहिए, तभी इसे एंजॉय किया जा सकता है।

सच्चाई : स्त्रियों-पुरुषों की इच्छाओं में थोडा फर्क होता है। ऐसे कई शोध और सर्वे हुए हैं, जिनमें कहा गया है कि स्त्रियां लंबे फोरप्ले पसंद करती हैं। इसके विपरीत पुरुष जल्दी एक्साइटेड होते हैं। आमतौर पर सेक्सुअल क्रिया की अवधि 3 से 9-10 मिनट के बीच ही होती है। कई पुरुष इस मामले में 'गो स्लो थ्योरी पर यकीन करते हैं। सच्चाई यह है कि सेक्स सेशन की अवधि में कौन, कहां, कब, कैसे और क्यों जैसी बातें महत्वपूर्ण होती हैं। यानी यह लंबी होगी या कम, यह काफी हद तक स्थितियों पर निर्भर करता है।

धारणा 3

बढती उम्र सेक्स क्रिया में बाधक होती है।

सच्चाई : मेनोपॉज्ा के दौर में स्त्रियों को सेक्स संबंधों में कुछ समस्याएं आ सकती हैं। हॉर्मोनल असंतुलन के कारण मूड स्विंग हो सकता है। वजाइनल ड्राईनेस के कारण पेनिट्रेशन मुश्किल होता है, लेकिन अन्य कई तरीके हैं जिनसे सेक्स क्रिया में संतुष्टि हासिल की जा सकती है। स्पेन में कुछ वर्ष पहले हुए शोध में बताया गया कि वहां 65 या इससे अधिक उम्र के लोग भी सेक्सुअली एक्टिव हैं। 63 प्रतिशत पुरुष और 37 प्रतिशत स्त्रियों ने माना कि उनकी दिनचर्या में सामान्य सेक्स क्रिया शामिल है। यदि पार्टनर्स की ओवरऑल हेल्थ ठीक है तो उनकी सेक्सुअल हेल्थ भी ठीक रहती है। डॉक्टर्स सलाह देते हैं कि उम्र के साथ संतुलित डाइट और एक्सरसाइज्ा ज्ारूरी है। इससे हार्ट मज्ाबूत रहता है, मसल्स सक्रिय रहती हैं और मन में उत्साह बना रहता है।

धारणा 4

सेक्स में ऑर्गेज्म तक पहुंचना ज्ारूरी है।

सच्चाई : यह भी भ्रामक धारणा है। ऑर्गेज्म कभी होता है तो कभी नहीं। कई बार स्त्रियां इसे जान भी नहीं पातीं। ऐसा कोई पैमाना नहीं है जो सेक्सुअल प्लेज्ार को माप सके। एक्सपट्र्स का मानना है कि कई स्त्रियों में पेल्विक मसल्स ज्य़ादा कॉन्ट्रैक्ट नहीं कर पातीं लेकिन अराउज्ाल के बाद उनमें रिलैक्स फीलिंग आती है। माना जाता है कि स्त्रियों में फेक ऑर्गेज्म होता है, मगर इसमें कुछ अब्नॉर्मल नहीं है। ऐसी स्थिति में खुद को या पार्टनर को दोष देना ठीक नहीं।

धारणा 5

पुरुषों में सेक्सुअल समस्याएं ज्य़ादा होती हैं।

सच्चाई : आमतौर पर माना जाता है कि पुरुषों में सेक्सुअल डिस्फंक्शन जैसी समस्याएं ज्य़ादा होती हैं। इसकी एक वजह यह है कि प्री-मच्योर इरेक्शन जैसी प्रॉब्लम्स को छिपाया नहीं जा सकता। इस समस्या को लेकर आजकल ज्य़ादातर युवा एक्सपट्र्स की सलाह लेते हैं। अनुपात देखा जाए तो 20-30 प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले 40-50 प्रतिशत स्त्रियां सेक्सुअल प्रॉब्लम्स से जूझ रही हैं। भारत जैसे देश में तो वे लंबे समय तक डॉक्टरी सलाह भी नहीं लेतीं। हॉर्मोनल बदलावों, प्रेग्नेंसी और उम्र का भी उनकी सेक्सुअल डिज्ाायर्स पर प्रभाव पडता है।

धारणा 6

सेक्स क्रिया एक अच्छी एक्सरसाइज्ा है।

सच्चाई : एक सेक्सुअल सेशन से महज्ा 50-60 कैलरी तक बर्न हो सकती हैं। अगर किसी को अपना एक किलो वज्ान कम करना है तो उसे कम से कम 3500 कैलरी कम करनी होंगी। अगर किसी को 100 कैलरीज्ा ख्ार्च करनी हो तो इसके लिए उसे कम से कम 30 मिनट का सेक्स सेशन चाहिए, जबकि आम दंपतियों के लिए यह अवधि अधिकतम 10 मिनट होती है। हार्ट रेट या रक्त संचार के बढऩे की भी गति केवल उतनी ही होती है, जितना सेक्सुअल क्रिया का क्लाइमेक्स होता है। यानी महज्ा 15-30 सेकेेंड्स, इसके बाद दिल की धडकन वापस अपनी पूर्व गति में आ जाती है।

धारणा 7

स्त्री-पुरुष के हॉर्मोन्स मेंं अंतर होता है।

सच्चाई : यह सही है कि पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन स्तर 18 साल की उम्र में और स्त्रियों में एस्ट्रोजन स्तर 20-21 की उम्र में सर्वाधिक होता है। लो हॉर्मोनल स्तर को अमूमन लोअर डिज्ाायर्स से जोडा जाता है। लेकिन यह भी सच है कि स्त्री-पुरुष दोनों में सेक्सुअल डिज्ाायर्स हमेशा एक जैसी नहीं रहतीं। 25 की उम्र में ये चरम पर होती हैं तो 50 की उम्र में कम होने लगती हैं।

धारणा, जिस पर बहस है

समय के साथ-साथ प्री-मैरिटल सेक्स को लेकर युवाओं की सोच बदल चुकी है। हालांकि तमाम अध्ययन साबित करते हैं कि वे लडकियां अपनी ज्िांदगी में ज्य़ादा ख्ाुश रहती हैं जो शादी से पहले सेक्स संबंधों में नहीं जातीं और वैवाहिक जीवन में बनने वाले सेक्स संबंध ज्य़ादा संतुष्टि प्रदान करते हैं। प्री-मैरिटल सेक्स मेंटल-इमोशनल और िफज्िाकल हेल्थ पर विपरीत प्रभाव डालता है। ख्ाासतौर पर अगर ऐसे संबंध कम उम्र में बनें। वैसे इसे लेकर अलग-अलग समाजों व संस्कृतियों की सोच में फर्क हो सकता है। मैरिटल सेक्स ज्य़ादा आनंददायक इसलिए भी होता है, क्योंकि इसमें लोग बेिफक्र होकर संबंध बनाते हैं, सेक्सुअल प्लेज्ार के लिए नए तरीके अपनाते हैं। इससे उन्हेंं ज्य़ादा संतुष्टि मिलती है। युवाओं को सलाह है कि वे विवाह-पूर्व सेक्स संबंधों में संयम बरतें।

इंदिरा राठौर


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