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फिटनेस की ओर पहला कदम

रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर का वह हिस्सा है, जो हमारी कई शारीरिक गतिविधियों को नियंत्रित और संचालित करता है। अगर आप हमेशा एक्टिव रहना चाहते हैं तो अपनी बैकबोन का खासतौर पर ध्यान रखें।

By Edited By: Published: Sat, 02 Jul 2016 01:29 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jul 2016 01:29 PM (IST)
फिटनेस की ओर पहला कदम
रोजाना सुबह से शाम तक घर से ऑफिस की भाग-दौड, कुकिंग, सफाई और बच्चों की देखभाल...जैसी तमाम व्यस्तताओं में कमर या पीठ का दर्द होना सामान्य बात है। इतना ही नहीं, घंटों तक एक ही पोस्चर में बैठ कर कंप्यूटर पर काम करने वाले या किसी शॉपिंग मॉल के काउंटर पर दिन भर खडे रहने वाले लोगों की कमर पर बहुत ज्य़ादा जोर पडता है। नतीजतन इससे जुडी रीढ की हड्डी को सहारा देने वाली मांसपेशियों और नसों में दर्द हो सकता है। इससे कई बार बैकबोन के टिश्यूज क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिससे पीठ में दर्द की समस्या हो सकती है। इसके अलावा अकसर यात्रा करने वालों को टूटी-फूटी सडकों के कारण भी झटके लगते हैं, जिसके कारण भी कमर में दर्द हो सकता है। क्यों होता है ऐसा दरअसल रीढ का निचला हिस्सा ही हमारे शरीर का अधिकांश वजन ढोता है। इसके अलावा जब हम मुडते, झुकते या भारी चीजें उठाते हैं, तब भी यह हमारे शरीर का बोझ उठाए रहता है। जब हम लंबे समय तक बैठे रहते हैं तो भी रीढ की हड्डी का निचला हिस्सा वजन ढो रहा होता है। उम्र बढऩे के साथ गलत पोस्चर में या लंबे समय तक बैठकर काम करने की वजह से बैकबोन के निचले हिस्से को सहारा देने वाली मांसपेशियों, टिश्यूज और लिगामेंट्स पर लगातार दबाव पडता रहता है, जिससे वे क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। मेडिकल साइंस की भाषा में इसे स्ट्रेस इंजरी कहा जाता है। इसके अलावा शारीरिक श्रम या एक्सरसाइज की कमी से भी बैकबोन के आसपास की मांसपेशियां कमजोर पड जाती हैं और मामूली सा झटका लगने पर भी उनके क्षतिग्रस्त होने की आशंका बनी रहती है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि मांसपेशियां जितनी कमजोर होती हैं, स्पाइनल इंजरी होने का खतरा भी उतना ही अधिक रहता है। इसके अलावा लगातार सफर करने वाले लोगों को भी ऐसी समस्या हो सकती है। कैसे करें बचाव पुरानी कहावत है कि उपचार से बेहतर होता है बचाव। इसलिए अपने शरीर को पूरी तरह चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने के लिए आप इन बातों काविशेष रूप से ध्यान रखें : किसी कुशल प्रशिक्षक से सीखकर नियमित रूप से पीठ को मजबूत बनाने वाली एक्सरसाइजेज करें। अगर आप ज्य़ादा सफर करते हैं तो बीच-बीच में हलके-फुल्के एरोबिक व्यायाम और जॉगिंग जैसी एक्टिविटीज जरूर करें। इनसे पीठ व कमर की मांसपेशियों को फायदा मिलता है। ऑफिस में कंप्यूटर पर काम करते समय हमेशा अपनी पीठ सीधी रखें और झुक कर न बैठें। अचानक तेज झटके से झुकने या घूमने से भी पीठ की मांसपेशियों के लिगामेंट्स पर ज्य़ादा दबाव पडता है। पीठ दर्द से बचाव के लिए सही पोस्चर रखना बहुत जरूरी है। जब ज्य़ादा देर तक लगातार बैठना हो तो हर एक-दो घंटे के अंतराल पर सीट से उठकर बीच-बीच में हर घंटे पर आसपास ही थोडी चहलकदमी कर लें। कार में यात्रा के दौरान लगने वाले झटकों से भी बैकबोन इंजरी हो सकती है। इससे बचने के लिए सीट बेल्ट पहनना न भूलें। लंबे समय तक बैठने से पैरों में दर्द होने लगता है। इससे बचने के लिए बीच-बीच में अपने पैरों को फैलाकर सीधा करते रहें। यदि आप भारी वजन उठाने के अभ्यस्त नहीं हैं तो यात्रा के दौरान बैग को हलका रखने की कोशिश करें। जितना कम सामान होगा, पीठ पर उतना ही कम दबाव पडेगा। सखी फीचर्स इनपुट्स : डॉ. भीबुबेंदु महापात्रा, कंसल्टेंट स्पाइन सर्जरी, इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर, नई दिल्ली

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