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ओवेरियन कैंसर... घबराना कैसा

कैंसर...एक ऐसा शब्द, जिसे सुनते ही ज़्िांदगी का अंत दिखाई देने लगता है, लेकिन ऐसा नहीं है। समय रहते जांच हो जाए तो कैंसर का इलाज संभव है। स्त्रियों में आजकल ओवेरियन कैंसर के मामले बहुत देखे जा रहे हैं। समय पर इसकी स्क्रीनिंग करा ली जाए तो इसे फैलने

By Edited By: Published: Thu, 21 Jan 2016 03:19 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2016 03:19 PM (IST)
ओवेरियन कैंसर... घबराना कैसा

कैंसर...एक ऐसा शब्द, जिसे सुनते ही ज्िांदगी का अंत दिखाई देने लगता है, लेकिन ऐसा नहीं है। समय रहते जांच हो जाए तो कैंसर का इलाज संभव है। स्त्रियों में आजकल ओवेरियन कैंसर के मामले बहुत देखे जा रहे हैं। समय पर इसकी स्क्रीनिंग करा ली जाए तो इसे फैलने से रोका जा सकता है।

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स्त्रियों में सबसे ज्यादा फैलता है बच्चेदानी के मुंह का कैंसर और स्तन कैंसर। समय रहते इनकी जांच हो जाए और बीमारी पकड में आ जाए तो इनका इलाज संभव है।

ओवेरियन कैंसर कई तरह के होते हैं। अंडाशय या ओवरी के कैंसर को बनने से रोकना संभव नहीं है। स्त्रियों में ओवरी कैंसर होने की आशंका ज्यादा प्रबल होती है। चिकित्सकों की मानें तो अंडाशय के ऊपरी परत से होने वाले कैंसर की आशंका को कुछ हद तक तो कम कि या जा सकता है लेकिन उसके अंदर के टिश्यू से होने वाले जर्म सेल ट्यूमर और स्ट्रोमल ट्यूमर को कम करने का कोई तरीका नहीं है। इसका इलाज ऑपरेशन से अंडाशय निकाल कर ही किया जाता है।

क्या है मुख्य तरीका

हर महीने अंडाशय में बनने वाले अंडे को बनने से रोका जा सक ता है। जब एग बनता है, तो अंडाशय की ऊपरी परत फटती है और वहां की त्वचा को हील करने के लिए नए सेल्स अपने आप बनने शुरू हो जाते हैं। इनके बनने की प्रक्रिया में कई बार ग्ालती भी हो जाती है और ये ग्ालत ढंग से विकसित होकर कैंसर सेल्स को जन्म देते है। मेडिसिन के साइड इफेक्ट्स के कारण ही ज्यादा मात्रा में एग फर्टिलाइज होने लगते हैं और ओवेरियन कैंसर जैसी बीमारी को जन्म दे देते हैं।

गर्भनिरोधक पिल्स का सच

गर्भनिरोधक गोलियों के नियमित सेवन से अंडाशय में कैंसर बनने की आशंका में कमी आ जाती है। ऐसा पाया गया है कि जिन स्त्रियों ने पांच साल तक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन किया है, उनमें उन स्त्रियों के मुकाबले ऐसे मामले 50 प्रतिशत तक कम देखे गए, जिन्होंने कभी गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन नहीं किया। लेकिन यह भी ध्यान रहे कि इन पिल्स के अलग साइड इफेक्ट्स हैं और बिना डॉक्टर की सलाह के इन्हें नहीं लिया जा सकता।

रखें खास खयाल

-ऑपरेशन द्वारा दोनों अंडाशय निकालने से इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। लेकिन इस बात का खास ध्यान रखें कि इसका ऑपरेशन बिना किसी कारण नहीं कराया जा सकता। हां, अगर बच्चेदानी का ऑपरेशन किसी बीमारी के कारण हो रहा है या फिर आपकी पारिवारिक स्तन व अंडाशय के कैंसर की हिस्ट्री रही है तो ओवरी व ट्यूब भी साथ ही निकाली जा सकती है। कुछ केसेज्ा में ओवरी निकालने से मेनोपॉज की समस्या हो जाती है।

-अगर आपकी उम्र कम है तो बच्चेदानी के ऑपरेशन के साथ हमेशा ओवरी नहीं निकाली जाती है। इसलिए इस बात से अब घबराने की जरूरत नहीं है।

-फेमिली में अगर किसी को यह बीमारी रही है तो आप पहले ही रोकथाम के लिए कदम बढाएं। जेनेटिक टेस्ट की मदद से जानें कि यह आपके अंदर तो मौजूद नहीं है।

डॉक्टर की सलाह

हमारे जीवन में व्यायाम एक अहम रोल अदा करता है। अंडाशय कैंसर से बचाव करना चाहती हैं तो आपको पहले अपने मोटापे को कम करना पडेगा। क्योंकि इस बीमारी का मोटापा भी एक बडा कारण है। इसीलिए वजऩ कम करना, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से अंडाशय कैंसर के बचाव में भी मदद मिल सकती है।

इनपुट्स: डॉ. रागिनी अग्रवाल,

डायरेक्टर मेडिकल एंड क्लिनिकल सर्विसेज,डब्लू हॉस्पिटल


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