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साइलेंट किलर है ऑस्टियोपोरोसिस

क्या आप सीढिय़ों की जगह लिफ्ट का इस्तेमाल करते हैं? घर का राशन ऑर्डर करवाते हैं? अगर हां तो सावधान हो जाएं। आरामतलब दिनचर्या आपकी हड्डियों को कमज़ोर बना रही है। इस साइलेंट बीमारी से बचाव की जानकारी दे रहे हैंं इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, दिल्ली के ऑर्थोपेडिक डॉ. राजीव के.

By Edited By: Published: Mon, 01 Feb 2016 04:35 PM (IST)Updated: Mon, 01 Feb 2016 04:35 PM (IST)
साइलेंट किलर है  ऑस्टियोपोरोसिस

क्या आप सीढिय़ों की जगह लिफ्ट का इस्तेमाल करते हैं? घर का राशन ऑर्डर करवाते हैं? अगर हां तो सावधान हो जाएं। आरामतलब दिनचर्या आपकी हड्डियों को कमजोर बना रही है। इस साइलेंट बीमारी से बचाव की जानकारी दे रहे हैंं इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, दिल्ली के ऑर्थोपेडिक डॉ. राजीव के. शर्मा।

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अपने अपने घर या पडोस में ऐसे बुज्ाुर्गों को जरूर देखा होगा जो ऑस्टियोपोरोसिस की वजह से बांह, पैर और कूल्हे के फ्रैक्चर से पीडित होंगे। दरअसल, हड्डियां कमजोर होने की समस्या 40-50 के उम्रदराज लोगों में ज्य़ादा देखी जाती रही है, लेकिन आजकल यह समस्या युवा पीढी में ज्य़ादा जोर पकड रही है। चिकित्सकों के मुताबिक इस बीमारी की बडी वजह शारीरिक श्रम की कमी और जीवनशैली में बदलाव का होना है। इसी कारण ऑस्टियोपोरोसिस के मामले आजकल न सिर्फ उम्रदराज लोगों मेें बल्कि युवाओं में भी ज्य़ादा देखे जा रहे हैं।

क्या है ऑस्टियोपोरोसिस

हड्डियां कमजोर हो जाने को ऑस्टियोपोरोसिस कहा जाता है। इस बीमारी में व्यक्ति का बोन मास कम हो जाता है। इसमें दर्द के अलावा हड्डियों के फ्रैक्चर होने का ख्ातरा भी बढ जाता है। यह बीमारी धीरे-धीरे अपने पांव पसारती है। ज्य़ादा समस्या हो जाने पर इसका इलाज मुश्किल हो जाता है।

इसलिए वक्त रहते ही इसकी जांच करा लेनी जरूरी है। दिलचस्प बात यह है कि पहले इसे बुढापे की बीमारी माना जाता था, लेकिन बदलती लाइफस्टाइल में िफज्िाकल एक्टिविटी कम होने के कारण अब कम उम्र में भी यह समस्या हो रही है।

केस स्टडी

ऑफिस से निकलकर कार की तरफ जाते वक्त अचानक एक आवाज आई। दरअसल यह आवाज 37 वर्षीय शिल्पा के टखना मुडऩे की थी। शुरुआत में शिल्पा ने इसे मामूली मोच समझ कर इग्नोर कर दिया। लेकिन बाद में उसे टखने की हड्डी में बारीक फ्रैक्चर का पता चला। जांच के दौरान बोन डेंसिटी टेस्ट के जरिये शिल्पा की हड्डियों की उम्र 69 साल निकली। इसके बाद शिल्पा ने बताया कि व्यायाम के तौर पर घूमने के नाम पर वह रोज घर से निकलकर लिफ्ट तक और फिर अपनी कार तक चलती थी। शाम को भी वह अपने ऑफिस से निकल कर कार पार्किंग तक जाती थी, यानी दिन भर में उसका चलना सिर्फ इतना ही होता था।

कैसे पहचानें

क्या आप जल्दी थक जाते हैं या फिर आपके शरीर में बार-बार दर्द होता है। मॉर्निंग सिकनेस, मसल्स पेन आदि के अलावा आपको जल्दी-जल्दी फ्रैक्चर की समस्या हो रही हो तो 40 की उम्र के बाद ऑस्टियोपोरोसिस की भी जांच जरूर करा लेनी चाहिए।

विटमिन डी का रोल

हमारे शरीर में हड्डियों के अलावा दिल को भी सही तरह से काम करने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है। बॉडी में कैल्शियम सही तरह से घुल जाए, इसके लिए विटमिन डी भी बेहद जरूरी है। कैल्शियम भी शरीर में ज्य़ादा हो जाना नुकसानदायक है। विटमिन डी के लिए रोजाना 15-20 मिनट धूप में बैठना जरूरी है। सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट किरणें हमारे शरीर में मौज्ाूद निष्क्रिय विटमिन डी को एक्टिव मोड में लाने का काम करती है। सुबह 11 से 2 बजे तक का समय विटमिन डी के लिए बेहतर होता है। विटमिन डी की मात्रा हमारे शरीर में ज्य़ादा भी नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह एक टॉक्सिक है और ज्य़ादा होने से भी कई बार जोडों में दर्द होने लगता है। अगर धूप में नहीं बैठ पाते हैं तो सप्लिमेंट में विटमिन डी लेना चाहिए।

करें यह व्यायाम

भार उठाने वाले व्यायाम हड्डियों के लिए काफी लाभप्रद होते हैं। इनसे हड्डियों की क्षमता बढऩे लगती है। ऐसी कोई भी गतिविधि जो आपके शरीर को गुरुत्वाकर्षण के विरोध में ताकत लगाने के लिए बाध्य करे तो ऐसी एक्सरसाइज भार उठाने वाली कहलाती हैं। इनसे हड्डियों की क्षमता तो बढती ही है, साथ ही वे मज्ाबूत भी होती हैं। हालांकि, ऐसे व्यायामों की तीव्रता व्यक्ति के शरीर की क्षमता पर निर्भर करती है। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि शरीर की क्षमता को भी धीरे-धीरे बढाया जा सकता है।

भार उठाने का प्रशिक्षण

इसके तहत भार उठाने का अभ्यास किया जाता है, लेकिन इसे स्वस्थ लोगों द्वारा ही किया जाना चाहिए। इस व्यायाम से न केवल मांसपेशियां मजबूत होती हैं, बल्कि हड्डियों की क्षमता भी बढती है। ऐसी स्त्रियां और पुरुष जिन्होंने अपनी उम्र के दूसरे दशक से ही ऐसे व्यायाम करने शुरू कर दिए हों, वे अपेक्षाकृत ज्यादा स्वस्थ और मजबूत होते हैं।

रोमांचक कार्य

अगर आपको रोमांच पसंद है तो फिर हाइकिंग, ट्रैकिंग और माउंटेनियरिंग का जमकर मज्ाा लीजिए। इससे न सिर्फ आपका शौक पूरा होगा, बल्कि आपकी हड्डियां भी मज्ाबूत होंगी। इसके अलावा भी कई अन्य ऐसे कार्य हैं, जिनके ज्ारिये आपकी हड्डियों को लगातार ऊर्जावान बनाए रखा जा सकता है। जैसे-

डांस और एरोबिक्स

जिन्हें डांस का शौक हो, उनके लिए इसे रोज करने से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। डांस से न सिर्फ आप सेहतमंद रह सकते हैं, बल्कि यह मन को स्फूर्ति भी प्रदान करता है और कई तरह के दबावों व तनाव से भी मुक्त करता है। इसके अलावा हड्डियों के लिए नियमित एरोबिक्स करना भी बहुत लाभदायक है।

दौडऩा

दौडऩा एक अच्छा व्यायाम है। इससे व्यक्ति का वज्ान नियंत्रित रहता है। इससे फेफडे खुलते हैं, सांस फूलती है और हृदय-गति ठीक होती है, जिस कारण दिल भी स्वस्थ बना रहता है। इससे हड्डियों और मांसपेशियों में भी मजबूती आती है। इसलिए रोजाना दौडऩा जरूरी है।

सीढी चढऩा

हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत करने और स्टैमिना को बढाने का यह अचूक तरीका है। लिफ्ट के बजाय रोजाना सीढिय़ों का उपयोग करना एक बेहतरीन व्यायाम है।

तेज्ा चलना

स्वास्थ्य या दूसरी वजहों से जो लोग इनमें से कोई भी व्यायाम करने की स्थिति में नहीं हैं, उन्हें रोज 30-45 मिनट तक ब्रिस्क वॉक करना चाहिए। स्वस्थ बने रहने के लिए यह सबसे सुरक्षित और कारगर उपाय है। हड्डियों और मांसपेशियों पर भी इसका अच्छा असर पडता है। क्या होती हैं वजहें

आनुवंशिक कारणों से भी यह बीमारी हो सकती है।

शरीर में प्रोटीन और कैल्शियम की कमी होने से भी हड्डियों के रोग घेरते हैं।

विटमिन डी की कमी

उम्र बढऩे के साथ हड्डियां कमज्ाोर होने लगती हैं।

शारीरिक श्रम न करने से भी हड्डियों की समस्याएं घेर सकती हैं।

स्मोकिंग या सॉफ्ट डिं्रक्स का ज्य़ादा सेवन भी एक कारण है।

स्त्रियों में पीरियड्स का खत्म होना।

डायबिटीज एवं थायरॉयड जैसी बीमारियों के कारण भी यह समस्या हो जाती है।


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