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टेक्नोलॉजी बना रही है सेहतमंद

फिटनेस की दुनिया में टेक्नोलॉजी के आगमन के बाद क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं। गैजेट्स, डिवाइसेज़् ा के अलावा स्मार्ट फोन ने आम लोगों को फिटनेस फ्रीक बना दिया है। मार्केट में कौन-कौन से डिवाइसेज़्ा लोकप्रिय हो रहे हैं और ये कितने कारगर हैं, जानिए।

By Edited By: Published: Mon, 24 Aug 2015 02:17 PM (IST)Updated: Mon, 24 Aug 2015 02:17 PM (IST)
टेक्नोलॉजी बना रही है  सेहतमंद

फिटनेस की दुनिया में टेक्नोलॉजी के आगमन के बाद क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं। गैजेट्स, डिवाइसेज् ा के अलावा स्मार्ट फोन ने आम लोगों को फिटनेस फ्रीक बना दिया है। मार्केट में कौन-कौन से डिवाइसेज्ा लोकप्रिय हो रहे हैं और ये कितने कारगर हैं, जानिए।

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महानगरीय जीवनशैली में फिट और हेल्दी रहना बडी समस्या है। भीडभाड वाले शहरों में जगह की कमी, खानपान में गडबडी और सुस्त दिनचर्या के कारण कई बार गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं। वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज्ोशन के अनुसार लगभग 20 प्रतिशत भारतीय ओवरवेट हैं।

लेकिन फिटनेस को लेकर लोगों की जागरूकता भी बढ रही है। यही वजह है कि रोज्ा नए गैजेट्स, डिवाइसेज्ा या मोबाइल ऐप्लीकेशंस आने लगे हैं। जीपीएस वॉचेज्ा, बैंड, डिजिटल पीडोमीटर जैसे तमाम डिवाइसेज्ा फिटनेस फ्रीक्स के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं। डाइट के स्तर पर भी सजगता बढी है। गूगल जैसी कंपनियां ऐसे सॉफ्टवेयर बनाने पर काम कर रही हैं, जो फूड फोटो देख कर ही कैलरी काउंट कर लेंगे। जानें कुछ हेल्थ गैजेट्स के बारे में-

डिजिटल पीडोमीटर

दौडऩे, जॉगिंग करने या एक्सरसाइज्ा करते समय इसे कमर पर पहना जाता है। यह कैलरी काउंट करता है। आजकल कई जिम इस डिवाइस का प्रयोग कर रहे हैं। यह एक्सरसाइज्ा की स्पीड बताता है, साथ ही कैलरी बर्न चार्ट देता है। यह बताता है कि शरीर को कितनी कैलरी की ज्ारूरत है। इससे डाइट को संतुलित रखने में मदद मिलती है। लक्ष्य पूरा होने पर यह अलार्म भी करता है, ताकि व्यक्ति अपनी एक्सरसाइज्ा रोक सके।

हार्ट रेट मॉनिटर

जैसा कि नाम से ज्ााहिर है, यह डिवाइस ख्ाासतौर पर कार्डियो एक्सरसाइज्ा करने वालों के लिए फायदेमंद है। ब्रिस्क वॉक, ट्रेडमिल या जॉगिंग में इसे इस्तेमाल किया जा सकता है। यह हार्ट और पल्स रेट बताता है और ब्लड प्रेशर पर भी अपनी पकड बनाए रखता है। इसे कलाई में पहना जाता है। यह हार्ट रेट के साथ ही वॉच का काम भी कर देता है। देखने में भी सुंदर लगता है।

फिटनेस ट्रैकर

स्विमिंग जैसे व्यायाम के साथ आम डिवाइस काम नहीं कर सकते। मोबाइल फोन को पानी के अंदर ले जाना मुश्किल है। इसलिए कई कंपनियों ने विशेष रूप से फिटनेस ट्रैकर बनाए हैं, जो पानी के अंदर ख्ाराब नहीं होते। ये वॉटर प्रूफ होते हैं और तैरने से होने वाली कैलरी काउंट करने में भी मददगार हैं।

स्मार्ट फोन

हेल्थ और फिटनेस की दुनिया में स्मार्ट फोन बेहद पॉपुलर हो रहे हैं। इन्होंने पहले ही पोर्टेबल ट्रांज्िास्टर्स, कैमरा, रेडियो जैसे डिवाइसेज्ा को मार्केट से बाहर कर दिया है। अब फिटनेस की दुनिया में भी इनका एकछत्र साम्राज्य हो चुका है। स्मार्ट फोन के सेंसर्स न सिर्फ व्यक्ति के एक-एक कदम की गणना करते हैं, बल्कि दौडऩे, सीढी चढऩे तक हर एक कैलरी बर्न पर नज्ार रखते हैं। हालांकि स्विमिंग के लिए कैलरी काउंट डिवाइसेज्ा बनाने वाली कंपनियां इस बात को नहीं मानतीं कि स्मार्ट फोन से पूरा लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। फोन पर न सिर्फ कैलरी काउंट संभव है, बल्कि स्लीपिंग पैटर्न पर भी इन सेंसर्स की नज्ार रहती है। आपने पर्याप्त नींद ली या नहीं, स्मार्ट फोन यह बताने का काम भी करते हैं।

मोबाइल ऐप्लीकेशंस

ऐसे तमाम मोबाइल ऐप्स आ रहे हैं, जो फिटनेस ट्यूटोरियल्स से लेकर लाइव एक्सरसाइज्ोज्ा और योग के गुर सिखा रहे हैं। ये मोबाइल डेटा के आधार पर एक्टिविटीज्ा की गणना करते हैं। इनकी ख्ाासियत यह है कि ये स्टार्टर्स के लिए भी उतने ही उपयोगी हैं, जितने सीरियस रनर्स के लिए। इनके ज्ारिये रनिंग, जॉगिंग या वॉकिंग शुरू करने जैसे बुनियादी सवालों के भी जवाब पाए जा सकते हैं।

डाइट मीटर

डाइट पर नियंत्रण न रखा जाए तो फिटनेस को फैटनेस में बदलते देर नहीं लगती। मॉर्निंग वॉक या जॉगिंग के बाद गर्मागर्म आलू के परांठे खाने वाली आम भारतीय आबादी के लिए यह ज्ारूरी है कि कोई उन्हें डाइट के लिए गाइडलाइंस दे। मार्केट में हर रोज्ा ऐसे फिटनेस डिवाइस लॉन्च हो रहे हैं, जो सर्विंग साइज्ा का भी जायज्ाा लेंगे और बताएंगे कि कहां पर खाना रोक देना है। यूजर के लॉग इन करते ही ये एक-एक कौर की गणना करेंगे और बताएंगे कि क्या खाना ठीक है और क्या सेहत के लिए बुरा है।

कैलरी काउंट कितना फायेदमंद

पिछले 10 सालों में जितनी रफ्तार से बीमारियां बढी हैं, लगभग उतनी ही तेज्ाी से शहरों में जिम या फिटनेस सेंटर्स बढे हैं। टेक्नोलॉजी ने हेल्थ और फिटनेस की नब्ज्ा पर लगातार अपनी पकड मज्ाबूत रखी है, लिहाज्ाा रोज्ा नए डिवाइसेज्ा आ रहे हैं और स्मार्ट फोंस के फीचर्स में ज्ारूरी बदलाव किए जा रहे हैं। आम लोग भी मैरथन का हिस्सा बनने लगे हैं। छोटे शहरों में भी ऐसी गतिविधियां शुरू हो रही हैं। देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर इलाकों में हर वीकेेंड किसी न किसी इलाके में फिटनेस एक्टिविटीज्ा से जुडे इवेंट्स को प्रमोट किया जाने लगा है। योग डे मनाया जा रहा है तो सोशल साइट्स के ज्ारिये हेल्थ और फिटनेस को बढावा दिया जाने लगा है।

दिल्ली के ग्रेटर कैलाश इलाके में स्थित गोल्ड जिम की एजीएम स्मृति कहती हैं, 'लोगों में फिटनेस को लेकर जागरूकता काफी बढी है। हेल्थ गैजेट्स का फायदा यह है कि लोग सतर्क हो गए हैं और इन डिवाइसेज्ा के ज्ारिये अपना फिटनेस स्टेटस जान रहे हैं। हमारे जिम में भी कई लोग फिटनेस बैंड पहन कर आते हैं। लेकिन मोबाइल ऐप्लीकेशंस का उतना फायदा अभी लोगों को नहीं मिल रहा है। इसका कारण यह है कि जिम में एक्सरसाइज्ा करते हुए मोबाइल हाथ में नहीं रख सकते, दूसरे यह शरीर से दूर होते हैं इसलिए सटीक कैलरी काउंट करना मुश्किल होता है। कैलरी काउंट करने वाली, हार्ट या पल्स रेट पर नज्ार रखने वाली वॉचेज्ा आजकल पॉपुलर हो रही हैं और ये फायदेमंद भी हैं। मगर गैजेट्स की उपयोगिता एक सीमा तक ही है। शुरुआत में तो लोग ख्ाूब उत्साह दिखाते हैं, मगर समय के साथ उत्साह फीका पडऩे लगता है और लोग बोर भी हो जाते हैं। मेरा मानना है कि टेक्नोलॉजी फिटनेस हासिल करने में सहायक है, मगर अच्छे फिटनेस ट्रेनर्स और कोच का होना ज्य़ादा ज्ारूरी है, जो लोगों को सही एक्सरसाइज्ा करने को प्रेरित कर सकेें और उन्हें उनका लक्ष्य हासिल करने में मदद दें।

ऐसी डिवाइसेज्ा का इस्तेमाल करने वाली 36 वर्षीय रुचिता कहती हैं, 'ये डिवाइसेज्ा फायदेमंद हैं, लेकिन सब लोग इनका इस्तेमाल नहीं कर सकते। डिवाइस का फायदा तभी है, जब उनके इस्तेमाल का ढंग पता हो और जो रिजल्ट आए-उसके हिसाब से दिनचर्या को संतुलित किया जाए। रुचिता मानती हैं कि उन्हें रिस्ट बैंड और मोबाइल ऐप्लीकेशंस से फायदा पहुंचा है। कहती हैं, 'मैं शुरू से थोडा ओवरवेट थी, लेकिन प्रसव के बाद मेरा वज्ान बहुत बढ गया। मैंने जिम के अलावा कई डिवाइसेज्ा की मदद ली। डाइटीशियन से भी हेल्प ली, तब कहीं छह महीने में 9 किलो वज्ान घटा सकी हूं। फिटनेस गैजेट्स भी उन्हीं की मदद करते हैं, जो अपनी मदद करना चाहते हैं। फिटनेस का लक्ष्य वही पूरा कर सकता है, जो लंबे समय तक मेहनत करने में यकीन करता हो।

रुचिता कहती हैं, 'एक्सरसाइज्ा के साथ डाइट कंट्रोल सबसे ज्ारूरी है। मैं हफ्ते में पांच दिन एक-एक घंटे जिम में पसीना बहाती हूं। इससे पहले घर में 30-35 मिनट योग और व्यायाम करती हूं। मॉर्निंग वॉक के अलावा आसपास जाने के लिए भी पैदल चलती हूं। रोज्ा लगभग 4 किलोमीटर चलती हूं। पिछले छह महीने से यही मेरी दिनचर्या है और इससे मुझे लाभ भी मिला है।

इंदिरा राठौर


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