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सर्दियों में इन्हें न करें नज़र अंदाज़

सर्दियों के सुहावने मौसम का सभी को इंतज़ार रहता है। अगर आप इसका पूरा लुत्फ उठाना चाहते हैं तो अपनी सेहत का विशेष रूप से ध्यान रखें क्योंकि कुछ स्वास्थ्य समस्याएं ऐसी होती हैं, जो इस मौसम में बढ़ जाती हैं।

By Edited By: Published: Tue, 08 Nov 2016 12:29 PM (IST)Updated: Tue, 08 Nov 2016 12:29 PM (IST)
सर्दियों में इन्हें न करें नज़र अंदाज़
आमतौर पर सर्दियों का मौसम सभी को बहुत पसंद आता है क्योंकि इस सुहाने मौसम में घूमने-फिरने और स्वादिष्ट खानपान को अच्छी तरह एंजॉय किया जा सकता है।...लेकिन इसके साथ ही सेहत का खयाल रखना भी बहुत जरूरी है क्योंकि कुछ स्वास्थ्य समस्याएं ऐसी होती हैं, जो लोगों को सर्दियों में खास तौर पर परेशान करने लगती हैं। आपको इस बात की पूरी जानकारी होनी चाहिए कि कौन सी ऐसी स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, जो इस मौसम में बढ जाती हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसी बीमारियों के बारे में जिनसे ग्रस्त लोगों को सर्दी के मौसम में विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए। हाई ब्लडप्रेशर मौसम के तापमान का उच्च रक्तचाप से गहरा संबंध है। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए सर्वेक्षणों में यह पाया गया है कि सर्दी के मौसम में 33 प्रतिशत लोगों का ब्लडप्रेशर बढ जाता है। इसलिए उच्च रक्तचाप के मरीजों को इस मौसम में ख्स तौर से सतर्क रहना चाहिए। सर्दी के मौसम में अतं:स्रावी ग्रंथियों से कुछ ऐसे हॉर्मोन्स निकलते हैं, जो ब्लडप्रेशर बढाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। अत: हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को यहां दिए गए सुझावों पर अमल जरूर करना चाहिए : -भोजन में नमक का कम से कम इस्तेमाल करें और जहां तक संभव हो, तली-भुनी चीजों, नॉनवेज, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों, एल्कोहॉल और सिगरेट से दूर रहने की कोशिश करें। -अपने बीएमआइ (बॉडी मास इंडेक्स) के अनुसार अपना वजन संतुलित करने की कोशिश करें। इसके लिए जहां तक संभव हो, सक्रिय रहें और नियमित रूप से एक्सरसाइज करना न भूलें। -अगर बाहर ज्य़ादा ठंड हो तो मॉर्निंग वॉक के लिए धूप निकलने के बाद ही जाएं। -वजन घटाने के लिए क्रेश डाइटिंग न करें। इसका सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पडेगा। -ज्यादा से ज्य़ादा ताजे फलों और सब्जियों का सेवन करें, इनसे वजन नहीं बढता और शरीर भी स्वस्थ बना रहता है। -ताजे फलों और हरी सब्जियों का भरपूर मात्रा में सेवन करें। इससे बढते वजन को नियंत्रित करने में आसानी होगी और शरीर भी स्वस्थ रहेगा। प्रतिदिन आधे घंटे के लिए धूप में जरूर बैठें। विटमिन डी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। हृदय रोग दिल के मरीजों को इस मौसम में अतिरिक्त रूप से सचेत रहना चाहिए क्योंकि इस मौसम में दिल का दौरा पडऩे की सबसे अधिक आशंका रहती है। इस मौसम में ठंड के कारण हृदय की रक्तवाहिका नलियां सिकुड जाती हैं, जिससे उनकी सक्रियता कम हो जाती है। इसके अलावा शरीर का सेल्फ मेकैनिज्म कुछ ऐसा है कि ठंड से बचाव के लिए उसके बाकी हिस्सों में रक्त का प्रवाह ज्य़ादा तेजी से होने लगता है। इससे हार्ट तक ब्लड सप्लाई धीमी गति से होती है, जिससे वह सही ढंग से काम नहीं कर पाता। इसके अलावा जिन लोगों को ठंड की वजह से फेफडों में इन्फेक्शन होता है, उससे भी हार्ट प्रभावित होता है। अत: यहां दिए गए सुझाव अपना कर दिल के मरीज ठंड से अपना बचाव कर सकते हैं : -जहां तक संभव हो, ठंड से बचाव करने की कोशिश करें। सर्दी के मौसम में पंद्रह-बीस दिन ऐसे होते हैं, जब तापमान बहुत कम होता है। ऐसी स्थिति में दिल के मरीजों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। -सर्दियों के सुहावने मौसम में पार्टियों और पिकनिक का दौर चलता रहता है। जिसकी वजह से अकसर ओवरईटिंग हो जाती है और कई बार लोग एल्कोहॉल, घी-तेल से बनी चीजों या नॉनवेज आदि का भी सेवन अधिक मात्रा में कर लेते हैं, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ जाता है। इसलिए ऐसे मौसम में सादा और संतुलित आहार लेना चाहिए। -प्रतिदिन कम से कम आधे घंटे के लिए धूप में जरूर बैठें क्योंकि सूर्य की किरणों में मौजूद विटमिन डी दिल की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। -सर्दियों के मौसम में शरीर से पसीना नहीं निकलता। इसलिए दिल के मरीज तरल पदार्थों का सेवन सीमित मात्रा में करें। अन्यथा फेफडों में पानी जमा हो सकता है, जिससे दिल को नुकसान पहुंचने की आशंका रहती है। -सर्वेक्षणों से यह साबित हो चुका है कि सर्दी के मौसम में मानसिक तनाव और डिप्रेशन बढ जाता है। इसलिए हृदय रोगियों को इस मौसम में अकेलेपन और तनाव से बचने की कोशिश करनी चाहिए। -अगर ठंड की वजह से बाहर नहीं निकल पाते तो अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से फोन पर ही बातचीत कर लें। अपनी दवाओं का नियमित रूप से सेवन करें और सही समय पर मेडिकल चेकअप करवाते रहें। रुमेटाइड आथ्र्राइटिस यह हड्डियों और जोडों के दर्द से संबंधित ऐसी स्वास्थ्य समस्या है, जो ज्य़ादातर स्त्रियों और बुजुर्गों में देखने को मिलती है। इससे पीडित लोगों को इस मौसम में इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। -सर्दियां शुरू होते ही ठंड से बचाव के उपाय शुरू कर दें। हलकी ठंड में भी नहाने के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें। -घर से बाहर निकलते समय पर्याप्त ऊनी कपडे पहनें। खास तौर से अपने हाथ-पैर ठंड से बचा कर रखें क्योंकि रुमेटाइड आथ्र्राइटिस होने की स्थिति में हाथ-पैरों में सबसे ज्य़ादा दर्द होता है। इसलिए सुबह और रात के समय घर से बाहर निकलते समय मोजे और दस्ताने जरूर पहनें। -घुटनों को ठंड से बचाने के लिए नी-कैप पहनना भी फायदेमंद साबित होगा। -रात को सोते समय हॉट वॉटर बैग से हाथ-पैरों की सिंकाई से दर्द में काफी राहत मिलती है। -अगर आपकी नी रीप्लेस्मेंट सर्जरी हुई है तो घुटनों की सिंकाई कभी न करें और न ही हीटर के करीब बैठें क्योंकि कृत्रिम घुटने किसी मेटल से बने होते हैं और ज्य़ादा तापमान के करीब बैठने से उसके आसपास के हिस्से में इन्फेक्शन का खतरा रहता है। -हड्डियों और जोडों के दर्द से बचाव के लिए इस मौसम में थोडी देर के लिए धूप में जरूर बैठें। सूर्य की किरणों में मौजूद विटमिन डी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण की क्षमता को बढाता है। -मालिश भी आथ्र्राइटिस से बचाव का अच्छा तरीका है। सर्दियों में सरसों या जैतून के तेल से मालिश हड्डियों के लिए फायदेमंद साबित होती है क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है। -भोजन में कैल्शियम और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की मात्रा बढाएं। इसके लिए आप दूध और इससे बनी चीजों, दालों, हरी सब्जियों, सेब, संतरा, अमरूद आदि फलों का नियमित रूप से सेवन करें। -अंडा, मछली, चिकेन और सफेद रंग के सभी फलों और सब्जियों में भी पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। इसलिए इनका सेवन भी फायदेमंद साबित होता है। जब कभी आपको इस समस्या से संबंधित लक्षण दिखाई दें तो बिना देर किए कुशल अस्थिरोग विशेषज्ञ से सलाह लें। एस्थमा यह श्वसन तंत्र की एलर्जी से संबंधित ऐसी समस्या है, जो ठंड या बदलते मौसम में अधिक बढ जाती है। यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। अत: अगर आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को यह समस्या हो तो आप इस मौसम में इन बातों का ध्यान जरूर रखें: -सर्दी के मौसम में वातावरण में मौजूद धूल कणों और गाडिय़ों के धुएं का गहरा आवरण छाया रहता है, जिसे स्मॉग कहा जाता है। यह प्रदूषण एस्थमा के रोगियों के लिए बहुत नुकसानदेह साबित होता है। -अगर ऐसी समस्या हो तो प्रदूषण से बचने केलिए मास्क पहन कर बाहर निकलें। -ऑफिस जाते समय गाडी का शीशा हमेशा बंद रखें। इस मौसम का शुष्क वातावरण एस्थमा के मरीजों के लिए बहुत नुकसानदेह साबित होता है। हवा में नमी के अभाव की वजह से उन्हें सांस लेने में बहुत कठिनाई होती है। -अगर आपको ऐसी समस्या है तो रात को कमरे की सभी खिडकियां बंद करके न सोएं और न ही अपने कमरे में रूम हीटर या ब्लोअर चलाएं क्योंकि इससे कमरे के वातावरण की स्वाभाविक ऑक्सीजन नष्ट हो जाती है और सांस लेने में परेशानी हो सकती है। अगर ज्य़ादा ठंड महसूस हो तो अपने घर में ऑयल हीटर लगवा लें। यह ऑक्सीजन के स्तर को संतुलित रखता है। -कीटाणुनाशक स्प्रे, अगरबत्ती का धुआं, मसालों की छौंक की गंध आदि के प्रभाव से सांस नलिकाओं की मांसपेशियां सिकुड कर छोटी हो जाती है। अत: ऐसी चीजों से दूर रहें और किचन में चिमनी जरूर लगवाएं। -आइसक्रीम, कोल्डड्रिंक और फ्रिज में रखी ठंडी चीजों का सेवन न करें। -जहां तक संभव हो, अपने प्रतिदिन के खानपान में हर्बल टी और सूप को जरूर शामिल करें। इससे काफी आराम मिलेगा। -रात को सोते समय अगर कभी अचानक तेज खांसी आने के बाद नींद टूट जाती है तो ऐसी स्थिति में घबराएं नहीं। थोडी देर के लिए खुली खिडकी के सामने खडे हो जाएं। हमेशा अपने साथ नेब्युलाइजर रखें ताकि जरूरत पडऩे पर आप तुरंत उसका इस्तेमाल कर सकें। अगर प्राथमिक उपचार के बाद भी आराम न मिले तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें। सखी फीचर्स इनपुट्स : डॉ. एल. तोमर, सीनियर ऑर्थोपेडिक सर्जन मैक्स हॉस्पिटल दिल्ली, डॉ. राजेश कुमार, सीनियर पीडाइट्रीशियन मेदांता हॉस्पिटल गुडग़ांव, डॉ. युगल के. मिश्रा, डायरेक्टर डिपार्टमेंट ऑफ कार्डियो वैस्कुलर सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉट्र्स हॉस्पिटल दिल्ली, डॉ. राजकुमार, डिपार्टमेंट ऑफ रेस्पिरेटरी, वल्लभ भाई चेस्ट इंस्टीट्यूट, दिल्ली बुजुर्गों के लिए बढती उम्र के साथ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है। इस वजह से सर्दियों में बुजुर्गों को जोडों में दर्द, खांसी-जुकाम और हाई ब्लडप्रेशर जैसी समस्याएं ज्य़ादा परेशान करती हैं। इसलिए जहां तक संभव हो, ठंड से बच कर रहें। नियमित रूप से संतरा, सेब, पपीता आदि फलों का सेवन करें क्योंकि इनमें मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट तत्व आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने में सहायक सिद्ध होते हैं। प्रतिदिन के भोजन में सूप को जरूर शामिल करें। बच्चों के लिए इस मौसम में वायरस और बैक्टीरिया बहुत तेजी से सक्रिय होते हैं और बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह विकसित नहीं होती। इसलिए ये बैक्टीरिया और वायरस बहुत तेजी से शिशु के शरीर पर हमला करते हैं। घर में नवजात शिशु और मां दोनों के लिए ही ठंड से बचाव बहुत जरूरी है। शिशु के साथ खुद भी पर्याप्त ऊनी कपडे पहनें। नहलाने के तुरंत बाद उसे खुली हवा में न ले जाएं। इससे उसे सर्दी-जुकाम हो सकता है। बच्चों को गर्म तासीर वाली चीजें जैसे-चिकेन, अंडा, सूखे मेवे, गुड आदि खिलाएं। इससे सर्दियों में उनके शरीर को ठंड से मुकाबला करने की ताकत मिलती है।

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