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हेल्थवॉच

कान के संक्रमण के उपचार के लिए दिए जाने वाले पूरे एंटीबायोटिक कोर्स का काम कर सकता है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।

By Edited By: Published: Sun, 13 Nov 2016 12:10 PM (IST)Updated: Sun, 13 Nov 2016 12:10 PM (IST)
हेल्थवॉच
एंटीबायोटिक जेल से कान का उपचार अमेरिकी शोधकर्ताओं ने एक ऐसा बायोइंजीनियरिंग जेल बनाया है, जिसकी मात्र एक खुराक से बच्चों में कान का संक्रमण दूर हो सकता है। यह जेल दरअसल कान के संक्रमण के उपचार के लिए दिए जाने वाले पूरे एंटीबायोटिक कोर्स का काम कर सकता है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। कान में होने वाला यह बेहद आम संक्रमण है, जिसे ओटिटिस मेडिया भी कहते हैं जो अकसर विषाणुओं या जीवाणुओं की वजह से होता है। इसके लक्षणों में कान में दर्द और कुछ मामलों में बुखार होता है। इससे कान से तरल पदार्थ बहने लगता है या सुनने में दिक्कत होती है। हालांकि कान के ज्य़ादातर संक्रमण खुद ठीक हो जाते हैं लेकिन कुछ में एंटीबायोटिक की जरूरत पडती है। कान के लिए उच्च एंटीबायोटिक खुराक की जरूरत होती है, जिससे दस्त, चकत्ते और मुंह के छाले जैसे दुष्प्रभाव होना आम बात है। अमेरिका के मैसाचुयुसेट्स बाल चिकित्सालय में केमिकल इंजीनियर रोंग यांग ने कहा कि कान में संक्रमण के उपचार के लिए मुंह से ली जाने वाली दवा के जरिये आपको बार-बार पूरे शरीर का इलाज करना होता है। जबकि नए जेल के जरिये कोई डॉक्टर एक बार में ही पूरे एंटीबायोटिक कोर्स के बराबर उपचार दे सकता है। कान में जेल डालने के बाद यह जल्दी कडा होकर ठहर जाता है और धीरे-धीरे पर्दे से होते हुए कान के अंदर फैल जाता है। तकनीक चीजों को कान के पर्दे के पार तक ले जाती है जो सामान्य उपचार में वहां तक नहीं पहुंच पाती। प्लाज्मा थेरेपी गहरे घावों को जल्द भरेगी गहरे और जल्द ठीक होने वाले घावों के इलाज के लिए एक 'कोल्ड प्लाज्मा थेरेपी' विकसित की गई है। मॉस्को इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईपीटी) के शोधकर्ताओं के मुताबिक, कोल्ड प्लाज्मा विधि की मदद से कोशिकाओं को दुरुस्त किया जा सकता है। इससे नई कोशिकाओं का विकास संभव है, जिससे गहरे घावों को ठीक किया जा सकता है। गहरे घावों के न भरने से कई बार डॉक्टरों को मरीज का तुरंत ऑपरेशन करने में परेशानी आती है। अमूमन यह परेशानी मधुमेह रोगियों, कैंसर या एचआईवी पीडित मरीजों में सामने आती है। कैंसर या एचआईवी संक्रमण से मरीज के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है। कई बार उम्र बढऩे के साथ भी यह समस्या सामने आती है। शोध में शामिल रशियन अकेडमी ऑफ साइंसेज और गमालेया रिसर्च सेंटर ऑफ एपीडेमीयोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के शोधकर्ताओं ने इस उपचार विधि में दो तरह की कोशिकाओं को इस्तेमाल किया। ये दोनों ही कोशिकाएं घाव को भरने में मुख्य भूमिका निभाती हैं। कैंसर में रोबोटिक सर्जरी कारगर रोबोटिक सर्जरी के जरिये कैंसर से पीडित लोगों के सिर और गर्दन से ट्यूमर ज्य़ादा सुरक्षित तरीके से निकाला जा सकेगा। यह तरीका चीरा रहित होगा, जिससे कैंसर के मरीजों को अपेक्षाकृत लंबा जीवन मिल सकेगा। एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है। शोधकर्ताओं ने कहा, गले के कैंसर से जूझ रहे जिन मरीजों ने सबसे पहले ट्रांस ओरल रोबोटिक सर्जरी कराई, वे बीमारी के निदान के बाद औसतन तीन साल तक जीवित रहे। शोधकर्ताओं ने जिस कैंसर की बात कही, उसे ओरोफैरिक्स का कैंसर भी कहते हैं। ओरोफैरिक्स में गले का मध्य भाग, जीभ का आधारक्षेत्र, टॉन्सिल, कोमल तालु और ग्रासनली शामिल है। यह अध्ययन अमेरिका के हेनरी फोर्ड अस्पताल में किया गया। इसमें पता चला कि चीरा रहित रोबोटिक सर्जरी या तो अकेले की जा सकती है या फिर कीमोथेरेपी या रेडिएशन के साथ भी की जा सकती है। दोनों ही स्थितियों में इससे ओरोफैरिक्स कैंसर से पीडित मरीजों को अच्छा नतीजा मिल सकता है। डायबिटीज में फायदेमंद ऑलिव ऑयल जैतून के तेल का सेवन टाइप-2 डायबिटीज को दूर रखने में मदद करता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि अच्छी वसा या स्वस्थ वसा युक्त भोजन शरीर के लिए फायदेमंद होता है। भूमध्यसागर के क्षेत्र में पाए जाने वाले खाद्य पदार्थ अच्छी या स्वस्थ वसा से भरपूर होते हैं। जिनमें जैतून, मछली, अंडे और मेवे की गिरी शामिल है। म्यूनिख के क्रॉनिक डिजीज आउटकम्स रिसर्च की हेना ब्लूमफील्ड के अनुसार भूमध्यसागरीय भोजन से शरीर में अतिरिक्त सूजन नहीं होती है, जिससे डायबिटीज, दिल की बीमारियों और स्तन कैंसर का खतरा कम होता है। शोधकर्ताओं ने भूमध्यसागरीय भोजन पर पूर्व में हुए 332 अध्ययनों और 56 शोधपत्रों के आधार पर निष्कर्ष निकाला है कि जैतून का तेल इन बीमारियों केअंडाणु के बिना भी संतान पैदा करना संभव है। लंदन के वैज्ञानिकों ने एक प्रायोगिक अध्ययन से यह साबित कर दिखाया है। इस नई खोज से प्रजनन में आने वाली समस्याओं के उपचार और जीवों की लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने में मदद मिल सकती है। इस अध्ययन ने दिखाया कि केवल शुक्राणु और त्वचा कोशिकाओं की मदद से गर्भाधान किया जा सकता है। त्वचा कोशिकाओं का उपयोग भी किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने माना कि नई खोज ने पुरुषों के गर्भाधान की अव्यावहारिक और काल्पनिक सी लगने वाली बात को एक सैद्धांतिक आधार दे दिया है। बाथ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार अंडाणुओं को निषेचन के बिना भी भ्रूण के रूप में विकसित होने के लिए प्रेरित कर स्वस्थ संतान पैदा की जा सकती है। इलाज में कारगर है। फिटबिट बीमारियों से आगाह करेगा वैज्ञानिकों ने एक वायरलेस संवेदक तकनीक इजाद की है, जिसे शरीर में प्रत्यारोपित कर व्यक्तिकी सेहत पर नजर रखी जाएगी। इस डिवाइस का नाम है फिटबिट, जो आकार में धूल के कण के बराबर है। यह अल्ट्रासाउंड तरंगों की मदद से तंत्रिकाओं और शरीर के अंगों में होने वाले बदलावों के बारे में जानकारी देगा। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग एंड कंप्यूटर साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर और शोधकर्ता मिशेल माहारबिज ने कहा, फिटबिट एक बहुत ही छोटे ऊतक की तरह होगा, जहां से शरीर के बारे में ढेर सारी जानकारियां एकत्रित की जा सकेंगी। फिटबिट को शरीर या मस्तिष्क के भीतर प्रत्यारोपित किया जाएगा, जो स्मार्टवॉचनुमा डिवाइस फिटबिट चार्ज एचआर ट्रैकर से जुडा होगा। फिटबिट से लगे संवेदक विद्युत क्रिस्टल से तैयार किए गए हैं। यानी अब सेहत पर तकनीक की नजर रहेगी। अंडाणु के बिना संतान पैदा करना संभव होगा अंडाणु के बिना भी संतान पैदा करना संभव है। लंदन के वैज्ञानिकों ने एक प्रायोगिक अध्ययन से यह साबित कर दिखाया है। इस नई खोज से प्रजनन में आने वाली समस्याओं के उपचार और जीवों की लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने में मदद मिल सकती है। इस अध्ययन ने दिखाया कि केवल शुक्राणु और त्वचा कोशिकाओं की मदद से गर्भाधान किया जा सकता है। त्वचा कोशिकाओं का उपयोग भी किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने माना कि नई खोज ने पुरुषों के गर्भाधान की अव्यावहारिक और काल्पनिक सी लगने वाली बात को एक सैद्धांतिक आधार दे दिया है। बाथ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार अंडाणुओं को निषेचन के बिना भी भ्रूण के रूप में विकसित होने के लिए प्रेरित कर स्वस्थ संतान पैदा की जा सकती है। एक्सपर्ट की मानें गैस को लेकर लोगों के बीच भ्रामक धारणाएं प्रचलित हैं। कुछ लोगों को लगता है कि लंबे अंतराल के बाद खाना खाने से गैस हो जाती है। यहां एक पाठिका की ऐसी ही समस्या का समाधान कर रहे हैं, सर गंगा राम हॉस्पिटल के गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. सौमित्र रावत। मैं 29 वर्षीय होममेकर हूं। मुझे लंबे समय से गैस की समस्या है। मेरी सहेली का कहना है लंबे अंतराल में खाना खाती हूं, इसलिए मुझे गैस हो जाती है। मैं जानना चाहती हूं कि इन बातों में कितनी सच्चाई है? अंशु, दिल्ली यह सही है कि लंबे अंतराल पर भोजन करने से गैस की समस्या हो सकती है लेकिन गैस के लिए यह एकमात्र कारण नहींहै। इसके पीछे और भी वजह हो सकती है। गैस की समस्या को हलके में नहीं लेना चाहिए। अगर लंबे समय से गैस की समस्या बनी हुई है तो उसके पीछे के कारणों को जानने की आवश्यकता है। इसके लिए यह भी देखना होगा कि खाते हुए खाना अटकता तो नहीं है? पेट में दर्द तो नहींरहता? वजन कम तो नहीं हो रहा...? अगर ऐसा हो रहा है तो इसके लिए कुछ जांचें करानी होंगी। कई बार जिसे हम गैस समझ रहे होते हैं, वह अल्सर भी हो सकता है। फिलहाल नियमित अंतराल में भोजन करें, भोजन में फल और सैलेड का ज्य़ादा इस्तेमाल करें। इसके साथ ही एक्सरसाइज् करना जरूरी है इससे गैस की समस्या से राहत मिलती है।

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