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हेल्‍थ वॉच

अल्‍जाइमर से पीडि़त लोगों के लिए एक अच्छी खबर है। अब एक आसान गंध-परीक्षण से अल्‍जाइमर का शुरुआती चरण में ही पता लगाया जा सकता है। यह दिमागी क्षरण का पूर्वानुमान लगाने में भी मददगार हो सकता है।

By Edited By: Published: Wed, 28 Dec 2016 07:10 PM (IST)Updated: Wed, 28 Dec 2016 07:10 PM (IST)
हेल्‍थ वॉच
गंध परीक्षण से लगेगा अल्जाइमर का पता अल्जाइमर से पीडित लोगों के लिए एक अच्छी खबर है। अब एक आसान गंध-परीक्षण से अल्जाइमर का शुरुआती चरण में ही पता लगाया जा सकता है। यह दिमागी क्षरण का पूर्वानुमान लगाने में भी मददगार हो सकता है। एक नए अध्ययन से इस परीक्षण की व्यापक संभावनाओं की पुष्टि हुई है। यह विधि पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में विकसित हुई है। इसे स्मेल आइडेंटिफिकेशन टेस्ट (एसआइटी) नाम दिया गया है। इसमें मरीज की विभिन्न तरह की गंध को पहचानने की क्षमता की जांच होती है। एसआइटी के पैमाने पर कम अंक, मरीज की गंध को पहचानने की क्षमता में गिरावट का सूचक है। शोध में जिन प्रतिभागियों को एसआइटी के पैमाने पर 35 से कम अंक मिले, उनमें उच्च अंक पाने वालों के मुकाबले याददाश्त में क्षरण की तीन गुना आशंका पाई गई, फिर प्रतिभागियों के मस्तिष्क की स्कैनिंग हुई। जिनके मस्तिष्क में याददाश्त को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाने वाला क्षेत्र कम सघन मिला, उनमें अल्जाइमर की आशंका ज्यादा थी। चॉकलेट से माइग्रेन का खतरा वैज्ञानिकों ने पहली बार इंसान के मुंह में मौजूद बैक्टीरिया और माइग्रेन होने के बीच संबंध स्थापित किया है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि जिन लोगों को माइग्रेन की समस्या होती है, उनके मुंह में सूक्ष्मजीवों की संख्या अधिक होती है। ज्यादा चॉकलेट खाने, डिब्बाबंद मांस, शराब या नाइट्रेट युक्त खाद्य पदार्थ खाने से बैक्टीरिया पैदा होते हैं, जिसके कारण माइग्रेन का खतरा बढ जाता है। इस अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता एंटोनियो गोंजालेज ने कहा, कुछ भोज्य पदार्थों जैसे चॉकलेट, शराब और विशेष रूप से नाइट्रेट वाले खाद्य पदार्थ माइग्रेन के लिए जरूरी हैं। दिल के अधिकतर मरीजों को सीने के दर्द और हार्ट अटैक से बचाने के लिए जो नाइट्रेटयुक्त दवाएं दी जाती हैं, उसके दुष्प्रभाव के रूप में मरीजों को सिरदर्द की शिकायत रहती है। इस तथ्य को साबित करने के लिए वैज्ञानिकों ने 2200 लोगों पर शोध किया। इनमें कुछ लोगों को माइग्रेन था तो कुछ लोग स्वस्थ थे। लगभग 172 लोगों के मुंह में मौजूद बैक्टीरिया के नमूने लिए गए। साथ ही 1996 लोगों के मल के नमूने लेकर जांच की गई। शोध में पाया गया कि माइग्रेन से पीडित और स्वस्थ लोगों के मुंह में बैक्टीरिया की मात्रा अलग-अलग थी। माइग्रेन से पीडित लोगों में जिन्होंने चॉकलेट का सेवन किया था, उनके मुंह में बैक्टीरिया की मात्रा ज्यादा थी। ऑटिज्म में फोलेट की गोलियां मददगार ऑटिज्म से पीडित बच्चों के इलाज में फोलिक एसिड की गोलियां काफी कारगर साबित हो सकती हैं। यह विटमिन बी का एक स्वरूप है। अमेरिका के अरकंसास चिल्ड्रेन रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि फोलिक एसिड से बनी फोलेट की गोलियों के सेवन से ऑटिज्म से पीडित बच्चे आसानी से अक्षर और भाषा की पहचान कर सकेंगे। वैज्ञानिकों ने पाया कि बच्चों में ऑटिज्म की बीमारी फोलेट के चयापचय में गडबडी और असमान्यता के कारण होती है। इसका सीधा संबंध जीन से है। इसका असर जांचने के लिए बच्चों को फोलेट का हाई डोज दिया गया, जिसके बाद पाया गया कि फोलेट की गोली खाने से बच्चों के शब्द पहचानने और संवाद करने के कौशल में सुधार हुआ। निमोनिया में कारगर विटमिन ई एक नए शोध में दावा किया गया है कि विटमिन ई युक्त भोजन करने से बुजुर्गों में निमोनिया का खतरा 72 फीसदी तक कम हो जाता है लेकिन इसकी पहली शर्त यह है कि बुजुर्गों को धूम्रपान छोडऩा पडेगा। फिनलैंड के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में दावा किया है कि अगर बुजुर्ग धूम्रपान करना छोड दें और भोजन या किसी अन्य माध्यम से रोजाना 50 मिग्रा विटमिन ई का सेवन करें तो निमोनिया का खतरा 72 फीसदी कम हो जाएगा। बुजुर्गों में विटमिन ई की कमी और निमोनिया होने के बीच सीधा संबंध है। अब होगा ग्लूकोमा से बचाव किसी की त्वचा से ली गई स्टेम कोशिकाओं से बनाया गया इंजेक्शन उसको ग्लूकोमा के खतरे से दूर रख सकता है। एक नए अध्ययन से इस संभावना का पता चला है। शोधकर्ताओं का कहना है कि स्टेम कोशिकाओं से बना इंजेक्शन ग्लूकोमा के जोखिम का सामना कर रहे मरीज की आंखों में अवरुद्ध तरल की निकासी बहाल करने में सहायक हो सकता है। जब आंखों में तरल जमा होने लगता है, तब उससे आंखों पर दबाव बढने लगता है। यह स्थिति अंत में ग्लूकोमा का कारण बन जाती है। ग्लूकोमा आंखों की नसों को क्षतिग्रस्त कर देता है, जिससे व्यक्ति अंधेपन का शिकार हो जाता है। अमेरिका की आयोवा यूनिवर्सिटी के मारकस कुह की अगुआई में शोधकर्ताओं ने ग्लूकोमा से ग्रस्त चूहों पर प्रयोग के दौरान स्टेम कोशिकाओं से बने इंजेक्शन के सकारात्मक परिणाम पाए। जीन को निष्क्रिय कर दमा का खतरा रोकेंगे वैज्ञानिकों ने दमा के लिए जिम्मेदार जीन का पता लगाने में सफलता हासिल की है। इस जीन को निष्क्रिय कर फेफडे की गंभीर बीमारी को रोका जा सकता है। ब्रिटेन के साउथ हैम्प्टन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता हेंस माइकल हियाची के मुताबिक दमा में सूजन के कारण एयरवे रिमॉडलिंग होता है। इससे संक्रमण होता है, जिससे फेफडे की काम करने की क्षमता कम होने लगती है। इसे एंटी-इंफ्लेमेट्री स्टेरॉयड थेरेपी से नहीं रोका जा सकता लेकिन एडीएएम 33 के कारण होने वाली प्रक्रिया को रोकने से एलर्जिक दमा के विकास और उसके हानिकारक प्रभाव को रोका जा सकता है। एक्सपर्ट की मानें एक एथलीट की डाइट में नॉनवेज के इस्तेमाल को लेकर लोगों के बीच भ्रामक धारणाएं प्रचलित हैं। कुछ लोगों को लगता है कि अगर एथलीट मीट का सेवन नहींकरेगा तो उसकी मांसपेशियां मजबूत नहीं होंगी। यहां एक पाठिका की ऐसी ही समस्या का समाधान कर रही हैं, मैक्स हॉस्पिटल की न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. चारू दुआ मेरा बेटा 20 वर्ष का है। वह एथलीट है। हम लोग वेजटेरियन हैं लेकिन मेरे बेटे के कोच का कहना है कि मेरे बेटे की स्ट्रेंथ के लिए जरूरी है कि वह नॉनवेज खाना शुरू कर दे। क्या वेजटेरियन डाइट से उसको पोषण नहीं मिल पाएगा? मेरी समस्या का समाधान करें? सोनिया सिंह, दिल्ली एक एथलीट को अपने आहार में अधिक मात्रा में कैलरी की जरूरत होती है। एथलीट को संतुलित मात्रा में कैलरी लेनी चाहिए। उसे रोज 3000 से 3500 कैलरी लेनी चाहिए। ऊर्जा का स्तर बनाए रखने के लिए कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की भी प्रचुर मात्रा लेनी चाहिए। नॉनवेज में चिकन और फिश प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं। प्रोटीन मांसपेशियों के निर्माण में जरूरी है। अंडा भी प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। अगर आप अंडा खा सकते हैं तो अच्छा है, नहीं तो स्प्राउट्स, सोयाबीन, पनीर और दूध ले सकते हैं लेकिन अंडे के मुकाबले आपको यह अधिक मात्रा में लेना पडेगा। वैसे भी दुनिया के बडे खिलाडी जैसे एथलीट कार्ल लुइसो, बॉक्सर माइक टायसन, टेनिस प्लेयर वीनस विलियम वेजटेरियन हैं।

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