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हेल्थवॉच

शोध में यह भी पाया गया है कि हाइ बीपी वाले अगर दिन में चार से ज्यादा कॉफी पीते हैं तो उनमें हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है।

By Edited By: Published: Thu, 26 May 2016 04:42 PM (IST)Updated: Thu, 26 May 2016 04:42 PM (IST)
हेल्थवॉच

दिन में झपकी लेने से कम हो सकता है ब्लडप्रेशर का खतरा

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दिन में झपकी लेने के शौकीनों के लिए अच्छी खबर है। एक शोध के अनुसार, दिन में कुछ देर सोने से न केवल आप बेहतर महसूस करते हैं बल्कि ब्लडप्रेशर और हार्ट अटैक से भी सुरक्षित हो जाते हैं। यह शोध लंदन में हुए यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया। एथेंस के ऑस्कलेपियन वॉल जनरल हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने उन लोगों को शोध में शामिल किया, जिन्हें हाइ बीपी की शिकायत थी। शोध के दौरान उन्होंने पाया कि जिन लोगों ने दोपहर के समय झपकी ली, उनके ब्लडप्रेशर में पांच फीसदी तक की कमी आई। जिन लोगों ने कम से कम एक घंटे की नींद ली, उनका ब्लडप्रेशर और भी बेहतर रहा। मुख्य शोधकर्ता डॉ. मनोलिस कैलिसस्ट्राटोस कहते हैं,' अधिकतर लोग नौ से पांच तक की नौकरी करते हैं, ऐसे में उनके लिए यह बहुत ही मुश्किल हो जाता है कि वे दोपहर में सोने के लिए समय निकाल पाएं।' शोध में यह भी पाया गया है कि हाइ बीपी वाले अगर दिन में चार से ज्यादा कॉफी पीते हैं तो उनमें हार्ट अटैक की आशंका बढ जाती है।

ई-त्वचा खून का स्तर बताएगी

टोक्यो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक बेहद पतली सुरक्षात्मक परत विकसित की है, जिसके जरिये त्वचा को इलेक्ट्रॉनिक त्वचा में तब्दील किया जा सकेगा। ई-त्वचा रक्त में ऑक्सीजन के स्तर को प्रदर्शित करेगी। साथ ही यह दिल की धडकन की दर समेत कई अन्य जरूरी जानकारियां भी देगी। ई-त्वचा किसी टैटू के समान है, जो मानव शरीर में जुडकर उसको एक डिजिटल स्क्रीन में बदल देगी। इसकी सुरक्षात्मक फिल्म ऑक्सीजन को हवा में जाने से रोकेगी। शोधकर्ता प्रोफेसर ताकाओ सोमेया और तोमोयुकी योकोता द्वारा विकसित सुरक्षात्मक स्क्रीन न सिर्फ रक्त का दबाव, रक्त में ऑक्सीजन का स्तर, दिल की धडकन आदि के बारे में जानकारी देती है, बल्कि यह हमारे तनाव और बेचैनी के स्तर और मिजाज को भी बता सकती है।

हेपेटाइटिस सी के मरीज 6 महीने में ठीक होंगे

लिवर से जुडी जानलेवा बीमारी हेपेटाइटिस सी से ग्रसित मरीजों को एंटी वायरल उपचार के जरिये महज 6 महीने में ही ठीक किया जा सकता है। विशेषज्ञों ने विभिन्न अध्ययनों के आधार पर यह उम्मीद जताई है। हेपेटाइटिस सी के मरीजों का उपचार अब तक एक चुनौती बनी हुई है। स्पेन के बार्सिलोना शहर में आयोजित इंटरनेशनल लिवर कांग्रेस के दौरान शोधकर्ताओं की ओर से प्रस्तुत अध्ययन में बताया गया कि सोफोसबुवीर और लोडिपासवीर मेडिसिन के जरिये केवल 6 महीनों में हेपेटाइटिस सी से पीडित लोगों का इलाज किया जा सकता है। इन मेडिसिंस के इस्तेमाल से शरीर पर हेपेटाइटिस सी के दुष्प्रभाव तो कम होंगे ही, इलाज की अवधि भी काफी कम हो जाएगी। दूसरी उपचार तकनीकों की तुलना में एंटी वायरल उपचार से हेपेटाइटिस सी के इलाज के परिणाम 15 प्रतिशत बेहतर आए हैं।

पर्स भी दे सकता है बीमारियां

पर्स को हम कहीं भी लेकर चले जाते हैं, लेकिन यह आदत नुकसानदेह हो सकती है। शोधकर्ताओं के अनुसार, पर्स को बाथरूम में ले जाना और किचन टेबल पर रखना हानिकारक है। इन जगहों पर रखे पर्स में कई हानिकारक बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो आपको बीमार कर सकते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ मॉरिशस के शोधकर्ताओं के अनुसार, पुरुषों और महिलाओं दोनों के पर्स बीमारियां फैला सकते हैं। उनके मुताबिक कई लोग अपने पर्स को कभी भी साफ नहीं करते हैं, जिस वजह से इनमें हानिकारक बैक्टीरिया पनप जाते हैं। यह अध्ययन एडवांस बायोमेडिकल रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

दिमाग्ा में क्या चल रहा है, होगा खुलासा

अब वे दिन दूर नहीं, जब हम जैसी जानकारी लेना चाहेंगे वैसी ही जानकारी हासिल कर लेंगे। कैलिफोर्निया की एचआरएल इन्फॉर्मेशन एंड सिस्टम साइसेंज लैबोरेटरी ने ऐसी कोशिकाओं और पद्धति को पकड लिया है, जिसमें किसी के दिमाग्ा में जानकारियां सीधे अपलोड की जा सकेेंगी। शोध दल के अगुआ डॉ. मैथ्यू िफलिप ने कहा कि दो लोग एक ही काम को करते समय अलग-अलग बातें सोचते हैं लेकिन इस नई तकनीक के जरिये कई लोगों के दिमाग्ा को एक जैसा बना दिया जाएगा, जिससे एक ही समय पर दो लोग एक जैसा काम कर सकेंगे। डॉ. मैथ्यू िफलिप का ये शोधपत्र फ्रंटियर्स इन ह्यूमन न्यूरोसाइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

स्तन कैंसर में असरदार ब्रॉक्ली

एक नए शोध में यह बात सामने आई है कि ब्रॉक्ली में पाया जाने वाला यौगिक स्तन कैंसर की कोशिकाओं की वृद्धि धीमी करने में मददगार हो सकता है। खासकर प्रारंभिक चरणों में यह अधिकअसरदार होता है। अमेरिका की ऑरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी को शोध में ब्रॉक्ली से मिलने वाले सेल्फोराफेन (यौगिक) में लंबे समय तक कैंसर की रोकथाम करने वाले सबूत मिले हैं इसलिए सल्फोराफेन कैंसर वृद्धि को कम करने में मददगार हो सकता है। यह पहला औषधीय अध्ययन निष्कर्ष है कि जिसमें स्तन कैंसर का इलाज करा रही महिला के स्तन ऊतकों पर सल्फोराफेन के प्रभाव को देखा गया। इस शोध में 54 स्त्रियों को शामिल किया गया था, जिनकी मैमोग्राफी जांच में कुछ असाधारण तत्व मिले थे। इन्हें प्लेसबो परीक्षण के अंतर्गत सल्फोराफेन का सेवन करने के लिए दिया गया। जांच हैरान करने वाली थी, जिसमें यौगिक के द्वारा कैंसर के असाधारण लक्षणों में कमी आई थी।

एसिड अटैक के पीडितों के लिए अच्छी खबर

एसिड अटैक और आग से झुलसे मरीजों के लिए नई उम्मीद जगी है। ऐसे मरीजों की प्लास्टिक सर्जरी अब आसानी से हो सकेगी। केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट में बन रही बर्न यूनिट में इसके लिए खास लैब बनाई जाएगी, जहां मरीज की स्किन ठीक उसी तरह बडी की जाएगी, जैसे पेड से कलम तैयार होती है। लैब में एक सेंटीमीटर स्किन को केमिकल ट्रीटमेंट से दस सेंटीमीटर तक बडा किया जाएगा, फिर इसी सहारे प्लास्टिक सर्जरी की जाएगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, स्किन सेल टु स्किल सेल ग्रो तकनीक के तहत शरीर के किसी हिस्से से एक सेंटीमीटर त्वचा ली जाती है। इसे केमिकल से ट्रीट करने के बाद ग्रीनवील्ड तकनीक के जरिये इंक्यूबेटर में रखते हैं, फिर बैक्टीरिया से बचाने के लिए दोबारा केमिकल से ट्रीट करते हैं। इसके बाद स्किन को पैंट्री डिश में रखते हैं, जहां तीन से चार सप्ताह में यह दस गुना तक बडी हो जाती है। प्लास्टिक सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. ए के सिंह ने बताया कि इस तकनीक से प्लास्टिक सर्जरी के लिए मरीज के शरीर के दूसरे हिस्से से स्किन निकालने की जरूरत नहीं पडेगी। प्लास्टिक सर्जन डॉ. विजय कुमार ने बताया कि पीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की मदद से इसकी सफल टेस्टिंग भी हो चुकी है। द्य

ए?सपर्ट की मानें

अंडा खाने की आदतों को लेकर लोगों के बीच कई तरह की भ्रामक धारणाएं प्रचलित हैं। वे यह समझ नहींपाते कि उन्हें इसका सेवन कैसे करना चाहिए। यहां एक पाठिका की ऐसी ही समस्या का समाधान कर रही हैं, दिल्ली की पीएसआरआई हॉस्पिटल की डाइटीशियन डॉ. देबजानी बनर्जी

मैं 35 वर्षीय कामकाजी स्त्री हूं। मैं नियमित रूप से नाश्ते में एग सैंडविच या ऑमलेट लेती हूं, लेकिन कुछ दिनों पहले ही मुझे किसी ने बताया कि अंडे की जर्दी में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जो कि हार्ट के लिए नुकसानदेह है। मैंने यह भी सुना है कि गर्मियों के मौसम में अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए। इन बातों में कितनी सच्चाई है?

सोनिया सिंह, दिल्ली

बेशक आप रोज अंडा खा सकती हैं, लेकिन अंडे को रोजाना एक ही तरीके से न पकाएं। मसलन, किसी दिन अंडे की भुर्जी बनाएं, कभी उबला हुआ अंडा खाएं, कभी हाफ फ्राइड अंडे का सेवन करें। कोलेस्ट्रॉल बढने के डर से अंडे की जर्दी (पीला हिस्सा) को अलग करके खाने का भी कोई मतलब नहींहै। जर्दी में अलग न्यूट्रिशनल वैल्यू होती है। हो सके तो एक दिन छोडकर अंडा खाएं। इससे कोलेस्ट्रॉल नहीं बढेगा। जहां तक गर्मियों के मौसम में अंडा खाने का सवाल है तो यह एक भ्रामक धारणा है। अंडे को प्रोटीन, कैल्शियम व ओमेगा-3 फैटी एसिड का अच्छा स्त्रोत माना जाता है। प्रोटीन से हमारी मांसपेशियां मजबूत होती हैंङ, ओमेगा-3 फैटी एसिड से शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल यानी एचडीएल का निर्माण होता है। इसलिए आप बेफिक्र होकर हर सीजन में अंडा खा सकती हैं।


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