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हेल्थ वॉच

अब तक ऐसा माना जाता था कि नियमित एक्सरसाइज से हमारा शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है, लेकिन एक नए अध्ययन से यह तथ्य सामने आया है कि इससे व्यक्ति का शरीर ही नहीं, मस्तिष्क भी जवां बना रहता है। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता अपने नए अध्ययन के बाद इस निष्कर्ष

By Edited By: Published: Sat, 26 Dec 2015 02:16 PM (IST)Updated: Sat, 26 Dec 2015 02:16 PM (IST)
हेल्थ वॉच

नियमित एक्सरसाइज से रहें हरदम खुश

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अब तक ऐसा माना जाता था कि नियमित एक्सरसाइज से हमारा शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है, लेकिन एक नए अध्ययन से यह तथ्य सामने आया है कि इससे व्यक्ति का शरीर ही नहीं, मस्तिष्क भी जवां बना रहता है। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता अपने नए अध्ययन के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। उनके अनुसार नियमित व्यायाम से मस्तिष्क से एसआइआरटी-3 नामक एंजाइम का सिक्रीशन होता है, जो व्यक्ति को तनाव से दूर रखता है। इसलिए अब केवल फिटनेस के लिए ही नहीं, बल्कि ख्ाुश रहने के लिए भी नियमित एक्सरसाइज करें।

ग्रीन टी से मजबूत होंगी हड्डियां

अगर आपको ग्रीन टी पसंद है तो इसे अपनी आदत में शामिल कर लें। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया स्थित सर चाल्र्स हॉस्पिटल के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध से यह तथ्य सामने आया है कि अगर रोजाना तीन कप ग्रीन टी का सेवन किया जाए तो इससे व्यक्ति की हड्डियां मजबूत बनी रहेंगी। इतना ही नहीं, चोट लगने की स्थिति में उनके टूटने का ख्ातरा एक तिहाई तक कम हो जाएगा। वैज्ञानिकों के अनुसार ग्रीन टी में फ्लेवनॉयड नामक तत्व पाया जाता है, जो हड्डियों को कमजोर होने से रोकते हुए उन पर उम्र के बढते प्रभाव को भी कम करता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि ग्रीन टी का नियमित सेवन करके हड्डियों और जोडों से जुडी बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस से बचा जा सकता है। इस अध्ययन में 1200 स्त्रियों पर 10 वर्षों तक ग्रीन टी के प्रभाव का अध्ययन किया गया। इसके बाद वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि रोजाना तीन कप ग्रीन टी पीने वाली स्त्रियों में ऑस्टियोपोरोसिस का ख्ातरा सप्ताह में एक बार ग्रीन टी पीने वाली स्त्रियों के मुकाबले 30 प्रतिशत तक कम होता है। इससे पहले किए गए अध्ययनों से भी यह तथ्य सामने आया है कि फ्लेवनॉयड मेंकई एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं, जो हमें कैंसर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों से भी बचाते हैं।

अब लैब में तैयार होगा लिवर

लिवर की बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए एक अच्छी ख्ाबर यह है कि अब उनका इलाज आसानी से संभव होगा। जेरूसलेम स्थित हिब्रू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार अब लैब में अंगदान द्वारा प्राप्त लिवर की कोशिकाओं की मदद से नए लिवर तैयार किए जा सकेंगे। दरअसल लिवर सेल्स की संख्या में स्वाभाविक रूप से बहुत तेजी से वृद्धि होती है। इसलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि लैब में तैयार किया गया यह कृत्रिम लिवर भी सामान्य स्वस्थ लिवर की तरह काम करेगा। शोधकर्ताओं के अनुसार हैपेटोसाइट्स नामक ये कोशिकाएं लिवर के टिश्यूज में पाई जाने वाली ख्ाास तरह की कोशिकाएं है, जिनसे लिवर के लगभग 85 प्रतिशत हिस्से का निर्माण होता है। वैज्ञानिक इस शोध को लेकर बहुत ज्य़ादा आशान्वित हैं। उन्हें उम्मीद है कि इससे लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों से पीडित लोगों का उपचार आसान हो जाएगा।

पसीने की दुर्गंध दूर करता है लहसुन

यह कहावत बिलकुल सही है कि लोहा लोहे को काटता है। हो सकता है लहसुन की बदबू कुछ लोगों को नापसंद हो, लेकिन वैज्ञानिकों ने एक शोध में यह पाया है कि कच्चे लहसुन का नियमित सेवन पसीने की बदबू भगाने में भी मददगार हो सकता है। स्कॉटलैंड के स्टर्लिंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार लहसुन में कुछ ऐसे एंटीबायोटिक तत्व पाए जाते हैं, जो पसीने में बदबू फैलाने वाले वायरस को पूरी तरह नष्ट कर देते हैं। यह हाइ ब्लडप्रेशर और कैंसर के मरीजों के लिए भी फायदेमंद होता है। अब अगर लहसुन के इतने फायदे हैं तो फिर क्यों न इसकी बदबू को भी नजरअंदाज करके आज ही से इसका नियमित सेवन किया जाए।

संगीत से सर्जरी के दर्द में राहत

संगीत सुनना सभी को अच्छा लगता है। इससे जुडी एक अच्छी ख्ाबर यह भी है कि ऑपरेशन के बाद संगीत का मरीजों की सेहत पर बेहद सकारात्मक प्रभाव पडता है। यूनिवर्सिटी ऑफ ज्य़ूरिक की शोधकर्ता डॉ. डायना के अनुसार संगीत न केवल दर्द को कम करता है, बल्कि चिंता के स्तर को भी घटाता है। मरीजों पर संगीत का प्रभाव जानने के लिए डॉक्टर डायना और उनके सहयोगियों ने 47 अध्ययनों के आंकडों का विश्लेषण किया। इनमें सर्जरी के दौरान और बाद में संगीत के प्रभाव को लेकर किए गए अध्ययन थे। शोध में यह भी पाया गया कि जहां संगीत के प्रभाव से दर्द में 31 प्रतिशत तक कमी आई, वहीं दर्द निवारक दवाओं को लेने की जरूरत भी 29 प्रतिशत घट गई। संगीत से मरीजों के हाइ ब्लडप्रेशर में भी 40 प्रतिशत की कमी आई। इसीलिए संगीत को हमेशा के लिए अपना साथी बना लें।

नुकसानदेह हो सकता है रेड मीट

अगर आप रेड मीट खाने के शौकीन हैं तो सचेत हो जाएं क्योंकि जर्मनी स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ वुर्जबर्ग के कांप्रिहेंसिव हार्ट फेल्योर सेंटर के

डॉ. ब्रॉयन हार्ड हैरिंग द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार जो लोग अधिक मात्रा में रेड मीट का सेवन करते हैं, उनमें इस्केमिक स्ट्रोक का ख्ातरा बढ जाता है। ऐसे स्ट्रोक की स्थिति में ख्ाून की नली में थक्का जमने से मस्तिष्क में रक्त-संचार बाधित हो जाता है और यह स्थिति किसी भी व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। इसलिए अगर आपको रेड मीट पसंद है तो इसका सेवन सीमित मात्रा में करें।

जीन प्रत्यारोपण से संभव हुआ कैंसर का उपचार

पूरी दुनिया में लाइलाज मानी जाने वाली बीमारी ल्यूकेमिया

(ब्लड कैंसर) का पहली बार सफल इलाज संभव हुआ है। लंदन में डॉक्टरों ने डिजाइनर इम्यून थेरपी की मदद से एक साल की पीडित बच्ची लायला रिचड्र्स का सफल उपचार किया। यह ऑपरेशन सेंट्रल लंदन के ग्रेट स्ट्रीट आर्मन्ड अस्पताल में किया गया। डॉक्टर्स ने इलाज के दौरान जेनेटिक इंजीनियरिंग तकनीक की मदद से उस बीमार बच्ची के इम्यून सेल में यूकार्ट-19 नामक एक जीन का ट्रांस्प्लांट किया। यह तकनीक इतनी कारगर साबित हुई कि नन्ही लायला एक महीने बाद पूर्णत: स्वस्थ होकर अस्पताल से घर लौट आई। कैंसर पीडित बच्ची का उपचार करने वाले डॉ.पॉल बेज का कहना है कि विश्व में पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है और भविष्य में यह तकनीक कैंसर के मरीजों के लिए वरदान साबित होगी।

अब मिलेगा इंसुलिन का स्प्रे

डायबिटीज मरीजों के लिए एक राहत भरी ख्ाबर यह है कि अब उन्हें इंसुलिन के इन्जेक्शन का दर्द नहीं झेलना पडेगा। रिसर्च सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया की ओर से आयोजित वर्कशॉप में मुंबई स्थित लीलावती हॉस्पिटल के इंडोक्रॉनोलॉजिस्ट डॉ. शशांक जोशी ने बताया कि अब जल्द ही बाजार में इंसुलिन का इनहेलर आने वाला है, जिसका इस्तेमाल बेहद आसान होगा। डायबिटीज के मरीजों के लिए एक और अच्छी ख्ाबर यह भी है कि अब स्मार्टफोन में एक ऐसा नया डिवाइस आया है, जिसकी मदद से कुछ ही सेकंड में डायबिटीज का पता लगाया जा सकता है। मैक्सिको यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक डॉ. मार्को एंटानियो राइट पालोमारेस के अनुसार यह उपकरण कुछ ही सेकंड में व्यक्ति के लार के नमूनों से डायबिटीज का पता लगा सकता है। यह उपकरण लार में टाइप-2 डायबिटीज के संभावित ख्ातरे का एक जैविक संकेतक होगा। इसे कम आय वाली आबादी में इस्तेमाल किया जा सकता है। दरअसल यह लार में मौजूद डायबिटीज के लक्षणों को दर्ज करेगा। इसका इस्तेमाल प्रेग्नेंसी टेस्ट किट की तरह आसान है और इससे मरीज को सूई के दर्द से छुटकारा मिल जाएगा।


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