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रखें अपना ख़्ायाल

आज की अति व्यस्त जीवनशैली में पूरे परिवार का ख़्ायाल रखने वाली स्त्रियां अकसर अपनी सेहत के प्रति लापरवाह हो जाती हैं। अगर आपके साथ भी ऐसा ही होता है तो इस बार नए साल में यह संकल्प लें कि आप अपनी सेहत का पूरा ख़्ायाल रखेंगी और सभी ज़रूरी

By Edited By: Published: Fri, 01 Jan 2016 03:28 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jan 2016 03:28 PM (IST)
रखें अपना ख़्ायाल

आज की अति व्यस्त जीवनशैली में पूरे परिवार का ख्ायाल रखने वाली स्त्रियां अकसर अपनी सेहत के प्रति लापरवाह हो जाती हैं। अगर आपके साथ भी ऐसा ही होता है तो इस बार नए साल में यह संकल्प लें कि आप अपनी सेहत का पूरा ख्ायाल रखेंगी और सभी जरूरी मेडिकल चेकअप सही समय पर कराएंगी।

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बस, बहुत हो गई लापरवाही। नए साल के पहले दिन से ही ख्ाुद से यह वादा करें कि आप अपनी सेहत के प्रति पूरी सजगता बरतेंगी। आमतौर पर स्त्रियों के मन में यह धारणा बनी हुई है कि अगर उन्हें कोई तकलीफ नहीं है तो डॉक्टर के पास जाने की क्या जरूरत है? यही सोच बाद में कई गंभीर बीमारियों की वजह बन जाती है। वैसे भी जीवनशैली की व्यस्तता और खानपान की गलत आदतों की वजह से आजकल स्त्रियों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पडता है। इसलिए 30 वर्ष की आयु के बाद हर स्त्री को यहां बताए गए हेल्थ चेकअप जरूर कराने चाहिए।

ब्रेस्ट कैंसर

तीस वर्ष की उम्र के बाद हर स्त्री को ब्रेस्ट कैंसर के प्रति सावधान रहना चाहिए। इस गंभीर बीमारी से बचने के लिए स्त्रियों को महीने में एक बार सेल्फ ब्रेस्ट एग्जैमिनेशन की सलाह दी जाती है। इस दौरान अगर ब्रेस्ट या अंडर आम्र्स में कोई गांठ, आकार या त्वचा की रंगत में बदलाव, निपल्स से किसी तरह का डिस्चार्ज, ब्रेस्ट में दर्द या निपल्स में खुजली हो तो स्त्रियों को एम.आर.आइ. या मेमोग्राफी करवानी चाहिए।

विशेष सावधानी : अगर आपके परिवार में ब्रेस्ट कैंसर की केस हिस्ट्री रह चुकी हो तो बिना किसी लक्षण के भी आपको प्रतिवर्ष नियमित रूप से कैंसर रोग विशेषज्ञ से अपनी जांच जरूर करवानी चाहिए।

यूट्रस संबंधी बीमारियां

विवाहित स्त्रियों में यूट्रस से संबंधित बीमारियों, ख्ाासतौर पर सर्वाइकल कैंसर का ख्ातरा बना रहता है। इसलिए अगर आप विवाहित हैं तो वर्ष में एक बार पेप्सस्मीयर और पेल्विक अल्ट्रासाउंड जरूर करवाएं। इससे गर्भाशय में मौज्ाूद कैंसरयुक्त कोशिकाओं को आसानी से पहचाना जा सकता है।

विशेष सावधानी : अनियमित पीरियड, ज्य़ादा ब्लीडिंग या क्लॉटिंग जैसी स्थिति में बिना देर किए स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।

संक्रमण से संबंधित बीमारियां

विवाह के बाद स्त्रियों में यौन संक्रमण से संबंधित बीमारियों का ख्ातरा बढ जाता है। इसलिए अगर आप विवाहित हैं तो कोई तकलीफ न होने पर भी वर्ष में एक बार स्त्री रोग विशेषज्ञ से अपना रुटीन चेकअप जरूर कराना चाहिए क्योंकि ऐसे संक्रमण से स्त्री के स्वास्थ्य और संतानोत्पत्ति की क्षमता पर प्रतिकूल असर पडता है।

विशेष सावधानी : यौन संक्रमण से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए सबसे जरूरी यह है कि वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी एक दूसरे के प्रति पूरी वफादारी निभाएं और विवाह से पूर्व यौन संबंध कायम न करें।

एनीमिया

भारत में ज्य़ादातर स्त्रियां ख्ाून की कमी यानी एनीमिया की शिकार हो जाती हैं। अनावश्यक थकान और कमजोरी महसूस होना, आंखों के नीचे काले घेरे, नाख्ाूनों और आंखों की रंगत में सफेदी आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। इसलिए स्त्रियों को साल में एक बार सीबीसी (कंप्लीट ब्लड काउंट) टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।

विशेष सावधानी : स्त्रियों को अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्हें अपने रोजाना के भोजन में आयरनयुक्त वस्तुओं जैसे पालक, गाजर, चुकंदर, सेब, केला, खजूर और गुड आदि को शामिल करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान तथा बच्चे के जन्म के बाद उन्हें अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ऐसी अवस्था में एनीमिया होने पर गर्भस्थ शिशु के विकास में बाधा हो सकती है और डिलिवरी के दौरान गर्भवती स्त्री की जान को भी ख्ातरा हो सकता है।

ऑस्टियोपोरोसिस

अगर आपके परिवार में ऑस्टियोपोरोसिस की केस हिस्ट्री रह चुकी है, आपका वजन सामान्य से ज्य़ादा है और शुरू से ही खानपान की गलत आदतों की शिकार रही हैं तो आप आसानी से ऑस्टियोपोरोसिस की शिकार हो सकती हैं। मेनोपॉज के बाद ज्य़ादातर स्त्रियों को हड्िडयों, जोडों और मांसपेशियों में दर्द की समस्या होती है। इसलिए मेनोपॉज के बाद आपको अपने डॉक्टर से बोन डेंसिटी टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।

विशेष सावधानी : अगर आपके साथ ऐसी समस्या हो तो आपको अपने शरीर में कैल्शियम की मात्रा बढाने के लिए तत्काल दूध, अंडा और फलों का सेवन शुरू कर देना चाहिए। 30 वर्ष की उम्र के बाद हर स्त्री को प्रतिदिन 1,000 से 1200 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है। अगर इसकी पूर्ति रोजाना के भोजन से नहीं हो पाती तो डॉक्टर की सलाह पर अलग से कैल्शियम और विटमिन डी सप्लीमेंट का सेवन करें। हड्िडयों और मांसपेशियों की मजबूती के लिए नियमित व्यायाम भी फायदेमंद साबित होता है।

हाइपरटेंशन

तनावपूर्ण जीवनशैली की वजह से आजकल ज्य़ादातर स्त्रियां हाइपरटेंशन (हाइ ब्लडप्रेशर) की शिकार हो जाती हैं। मेनोपॉज की अवस्था में पहुंचने के बाद इसकी आशंका दोगुनी हो जाती है। अगर आपके साथ भी ऐसी समस्या है तो आपको नियमित रूप से अपने ब्लडप्रेशर की जांच करवानी चाहिए।

विशेष सावधानी : अगर आप ओवरवेट हैं, परिवार में हाइ बीपी की हिस्ट्री रही है या खाने में नमक का ज्य़ादा इस्तेमाल करती हैं तो ऐसी स्थिति में हाइ ब्लडप्रेशर की आशंका बढ जाती है। अगर आपके साथ भी ऐसा है तो नियमित रूप से ब्लडप्रेशर की जांच करवाती रहें और डॉक्टर द्वारा बताए गए खानपान संबंधी निर्देशों का पूरी तरह पालन करें।

हाइ कोलेस्ट्रॉल

रक्त में बढऩे वाले बैड कोलेस्ट्रॉल एलडीएल की मात्रा सेहत के लिए नुकसानदेह साबित होती है। इसलिए आपको साल में एक बार कोलेस्ट्रॉल की जांच जरूर करवानी चाहिए।

विशेष सावधानी : आनुवांशिकता इसकी प्रमुख वजह है। इसलिए अगर आपके माता-पिता को भी ऐसी समस्या हो तो आप 30 वर्ष की उम्र के बाद तली-भुनी चीजों, मांसाहार और ड्राई फ्रूट का सेवन सीमित मात्रा में करें। इसके अलावा नियमित एक्सरसाइज भी कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है।

डायबिटीज

अगर आपका वजन ज्य़ादा है, आपको हाइ बीपी है या परिवार में पहले भी किसी को डायबिटीज की समस्या रह चुकी है तो आपको विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए। ऐसी स्थिति में 30 वर्ष की आयु के बाद साल में एक बार शुगर का चेकअप जरूर कराएं।

विशेष सावधानी : अगर आप बच्चे के लिए प्लैनिंग कर रही हैं तो आपको इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि गर्भधारण के समय आपके ब्लड में ग्लूकोज का लेवल सामान्य हो। अन्यथा, बच्चे को भी जन्म से ही डायबिटीज की समस्या हो सकती है।

थायरॉयड संबंधी समस्याएं

थायरॉयड ग्रंथि हमारे गले के निचले हिस्से में स्थित होती है। इससे विशेष तरह के हॉर्मोन टी-3, टी-4 का स्राव होता है, जिसकी मात्रा के असंतुलन से स्त्रियों की सेहत पर प्रतिकूल असर पडता है। इस हॉर्मोन के असंतुलन से तेजी से वजन बढऩा या घटना, अनावश्यक थकान, त्वचा में रूखापन, चिडचिडापन, उदासी और याद्दाश्त में कमी जैसे लक्षण नजर आते हैं। अगर गर्भावस्था में थायरॉयड संबंधी समस्या हो तो गर्भस्थ शिशु के ब्रेन का विकास रुक जाता है और मिसकैरेज की आशंका बढ जाती है।

विशेष सावधानी : अगर आपको ऐसा कोई भी लक्षण दिखाई दे तो बिना देर किए टीएसएच (थायरॉयड स्टिम्यूलेटिंग हॉर्मोन) ब्लड टेस्ट जरूर करवा लें।

नियमित हेल्थ चेकअप के साथ अगर आप डॉक्टर द्वारा बताए गए सभी निर्देशों का पालन करेंगी तो हमेशा स्वस्थ और प्रसन्न रहेगी। स्न विनीता

इनपुट्स : डॉ. आरती गुप्ता, एचओडी गाइनी डिपार्टमेंट, मेयोम हॉस्पिटल, गुडग़ांव


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