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फिटनेस ट्रैकर रहें फिट

कलाई पर बैंड की तरह बांधा जाने वाला यह छोटा सा उपकरण सेहत के प्रति जागरूक लोगों के लिए बेहद उपयोगी साबित होता है।

By Edited By: Published: Sat, 21 Jan 2017 04:24 PM (IST)Updated: Sat, 21 Jan 2017 04:24 PM (IST)
फिटनेस ट्रैकर रहें फिट
फिटनोस ट्रैकर बैंड कलाई पर बैंड की तरह बांधा जाने वाला यह छोटा सा उपकरण सेहत के प्रति जागरूक लोगों के लिए बेहद उपयोगी साबित होता है। इसलिए यह युवाओं के बीच बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। यह ब्लूटृथ के जरिये मोबाइल फोन से अटैच्ड होता है। यह व्यक्ति को उसकी सारी फिजिकल ऐक्टिविटीज का ब्योरा देता है। मसलन, आज आप कितने कदम चले, कितनी सीढियां चढे और अब तक आपने कितनी कैलरी बर्न की, यह हर पल इन बातों की जानकारी दे रहा होता है। फिटनेस ट्रैकर व्यक्ति की हार्ट रेट और स्लीप पैटर्न के बारे में भी बताता है। यह उपकरण दिल के मरीजों के लिए बेहद उपयोगी है। यह व्यक्ति के हार्ट और पल्स रेट का पूरा विवरण चार्ट के रूप में तैयार करके उसे उसके मोबाइल पर मेसेज की तरह भेज देता है, जिसे वह सीधे अपने डॉक्टर को फॉर्वर्ड कर सकता है। इसके अलावा यह डिवाइस आपको बार-बार यह भी याद दिलाता रहता है कि आज आप मॉर्निंग वॉक पर नहीं गए थे। अगर आप इस डिवाइस में अपना टारगेट सेट कर दें तो यह आपको रोजाना याद दिलाता है कि आज कैलरी बर्न करने के मामले में आप अपने टारगेट से कितने पीछे हैं। इस तरह यह आपको दोबारा वर्क आउट करने के लिए प्रेरित करता है। कैसे करें चुनाव : आजकल बाजार में कई कंपनियों के अलग-अलग फिटनेस ट्रैकर उपलब्ध हैं पर खरीदने से पहले आप इंटरनेट के माध्यम से उसके फीचर्स को अच्छी तरह समझ लें। सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आपका मोबाइल फोन उस ट्रैकर को सपोर्ट कर रहा है या नहीं क्योंकि मोबाइल के सपोर्ट के बिना यह अनुपयोगी साबित होगा। इस्तेमाल का सही तरीका इसका पूरा फायदा उठाने के लिए यह जरूरी है कि आप इसे हमेशा अपनी कलाई पर बांधें। जहां से हमारी कलाई शुरू होती है, इसे उससे दो अंगुल की दूरी पर बांधें। आप इसे नियमित रूप से साफ करते रहें। इसके लिए बाजार में खास तरह का लोशन मिलता है। खाने के बाद 100-140 शुगर लेवल को औसतन सही माना जाता है। अगर ग्लूकोमीटर की रीडिंग 70 से कम या 300 से ऊपर दिख रही हो तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। अगर व्यक्ति का शुगर लेवल बहुत कम हो तो उसे तुरंत कोई मीठी चीज खिलाने के बाद उसे डॉक्टर के पास ले जाएं। भले ही ग्लूकोमीटर में शुगर लेवल की रीडिंग सही आ रही हो, फिर भी अगर बार-बार यूरिनेशन, शरीर में दर्द और ज्य़ादा भूख लगने की समस्या हो तो डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। प्रेग्नेंसी टेस्ट किट स्त्रियों के लिए यह किट बेहद उपयेगी है और इसका इस्तेमाल भी बहुत आसान है। कैसे करें चुनाव : हमेशा किसी अच्छे ब्रैंड की किट खरीदें। खरीदने से पहले उसकी एक्सपायरी डेट चेक करके यह जान लें कि उसे फ्रिज में रखा गया था या नहीं। इस बात का ध्यान रखें कि किट की सील कहीं से टूटी हुई न हो। इस्तेमाल करने से पहले बॉक्स पर दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढें। इस्तेमाल का सही तरीका : प्रेग्नेंसी टेस्ट किट गर्भावस्था के दौरान स्त्रियों के शरीर में बढऩे वाले खास तरह के हॉर्मोन एचसीजी के बढे हुए स्तर के आधार पर गर्भधारण की पुष्टि करता है। सुबह के वक्त यूरिन में इस हॉर्मोन का लेवल सर्वाधिक होता है। इसलिए जांच के लिए यह समय सबसे सही माना जाता है। यूरिन को किट में बताई गई सही जगह जगह पर डालें। किट को नमी से बचा कर उसे किसी एयरटाइट बॉक्स में रखें। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर भी दोबारा जांच करके प्रेग्नेंसी कंफर्म कर लें। पीरियड की निर्धारित तिथि बीत जाने के बाद अगर रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो भी एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें। अगर आप लंबे समय से कुछ खास तरह की दवाओं का सेवन कर रही हैं तो प्रेग्नेंसी टेस्ट पर भरोसा न करें। पीरियड्स में देर होने पर डॉक्टर से सलाह लें। आमतौर पर 20 से 40 वर्ष की आयु वाली स्त्रियों पर किए गए टेस्ट के रिजल्ट सही आते हैं लेकिन इससे कम या ज्य़ादा उम्र होने की स्थिति में टेस्ट के नतीजे गलत भी हो सकते हैं। नेब्युलाइजर आजकल बढते प्रदूषण की वजह से लोगों में श्वसन-तंत्र संबंधी समस्याएं तेजी से बढ रही हैं। ऐसे में नेब्युलाइजर हर घर की जरूरत बनता जा रहा है। इसके द्वारा दी जाने वाली दवा सीधे सांस की नली और फेफडों तक पहुंचती है। इसलिए इसके माध्यम से ली गई दवा ज्य़ादा जल्दी असर करती है। कैसे करें चुनाव किसी अच्छी कंपनी का नेब्युलाइजर खरीदें। अगर ऑनलाइन खरीद रही हैं तो पहले उसके फीचर्स और वॉरंटी की शर्तों को अच्छी तरह समझने के बाद ही उसकी बुकिंग कराएं। खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि नेब्युलाइजर ज्य़ादा बडा न हो और उससे जुडे अटैच्मेंट्स जैसे पाइप, इनहेलर और मास्क इत्यादि की भी जांच कर लें। कुछ कंपनियां बच्चों के लिए खास तरह के नेब्युलाइजर बनाती हैं। अगर आपके घर में नवजात शिशु है तो उसके लिए ऐसे ही नेब्युलाइजर का चुनाव करना चाहिए। कैसे करें इस्तेमाल नेब्युलाइजर के साथ इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं को हमेशा फ्रिज में रखना चाहिए। सर्दियों के मौसम में इन्हें फ्रिज के बाहर रखा जा सकता है। एस्थमा की कुछ दवाएं कम तापमान की वजह से जम जाती हैं, जिससे वे सांस की नली तक देर से पहुंचती हैं। ऐसी समस्या से बचने के लिए केमिस्ट की दुकान से डिस्टिल वॉटर की कुछ शीशियां खरीद कर लाएं और उसे दवा के साथ मिला कर मरीज को नेब्युलाइज करवाएं। इसकी सफाई का पूरा ध्यान रखें। नेब्युलाइजर से दवा लेने के बाद साफ पानी से कुल्ला जरूर करें क्योंकि इसकी दवा दांतों को नुकसान पहुंचा सकती है। अगर आप इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो आपके लिए ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल सुविधाजनक साबित होगा।

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