रुकना भी होगा दौडऩे के लिए
बचपन में इतना दौड़ते थे, अब क्यों नहीं? ऐसा ही सोचते हैं लोग और अचानक एकदिन दौडऩा शुरू कर देते हैं। इससे शरीर को फायदा कम, नुकसान ज्यादा हो सकता है। दौडऩे के लिए थोड़ा रुकना होगा। शारीरिक स्थिति, क्षमता, ऊर्जा और उम्र के अनुसार दौडऩे से ही सेहत को
बचपन में इतना दौडते थे, अब क्यों नहीं? ऐसा ही सोचते हैं लोग और अचानक एकदिन दौडऩा शुरू कर देते हैं। इससे शरीर को फायदा कम, नुकसान ज्यादा हो सकता है। दौडऩे के लिए थोडा रुकना होगा। शारीरिक स्थिति, क्षमता, ऊर्जा और उम्र के अनुसार दौडऩे से ही सेहत को लाभ होता है। फिटनेस के लिए दौडऩा चाहते हैं तो जरा रुकें , इन नियमों को जानें।
हेल्थ और फिटनेस को लेकर आजकल लोग काफी जागरूक हैं। जॉगर्स पार्क में सुबह-सुबह दौडते-हांफते लोगों को आसानी से देखा जा सकता है। सेहत को लेकर सतर्कता अच्छी बात है, मगर कई बार बिना जाने-समझे दौडऩे या एक्सरसाइज करने से शरीर को नुकसान हो सकता है। दौडऩे के कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य है। हर व्यक्ति की शारीरिक क्षमता, बॉडी टाइप और जरूरतें अलग होती हैं, इसी के हिसाब से दौडऩे के नियम तय होते हैं। इसके अलावा जो ऊर्जा 15-20 की उम्र में होती है, वही 30-40 की उम्र में नहीं हो सकती। हर पहलू को समझने के बाद ही दौडऩा चाहिए। सबसे पहले समझें अपने बॉडी टाइप को।
एथलेटिक : नियमित व्यायाम व खेलकूद में लगे रहने वाले लोगों का शरीर हमेशा मजबूत रहता है। ये लोग देर तक दौड सकते हैं। इसकी वजह यह है कि इनका फिटनेस रुटीन बना हुआ होता है।
स्लिम-ट्रिम : ये लोग दुबले-पतले होते हैं। ऐसे शरीर में एरोबिक गतिविधियां आसान होती हैं। इनका वजन कम होता है, लिहाजा दौडऩा इनके लिए आसान होता है।
ओवरवेट : ऐसे लोगों में ऊर्जा व शारीरिक क्षमता ज्य़ादा हो सकती है, मगर एरोबिक्स में इन्हें मुश्किल हो सकती है। इन्हें पहले ब्रिस्क वॉक और हलकी-फुलकी एक्सरसाइज से शुरुआत करनी चाहिए, क्योंकि दौडते हुए इनका बॉडी वेट आडे आ सकता है। कुछ महीने व्यायाम, योग और वॉक से वजन घटाने की कोशिश करें, इसके बाद ही धीरे-धीरे दौडऩा शुरू करें।
रनिंग रूल्स
दुनिया के मशहूर धावक, लेखक व दार्शनिक डॉ. जॉर्ज शीहान कहते हैं, 'हर व्यक्ति एथलीट हो सकता है। फर्क यही है कि कुछ लोग ट्रेंड होते हैं और कुछ नहीं। फिटनेस एक फन है। फन नहीं है तो फिटनेस नहीं है। फन को शरीर और मन पर भारी न पडऩे दें। शरीर की आवाज सुनें। दौडें लेकिन ख्ाुद को दर्द पहुंचाए बिना।'
हर खेल की तरह दौडऩे के भी नियम हैं, इनका पालन करें। एक भी ग्ालत कदम शरीर को नुकसान पहुंचा देगा।
१. दौडऩे से पहले वॉर्म-अप करें, ताकि दौडऩे के लिए पूरी ऊर्जा मिल सके। ब्रिस्क वॉक या हलकी-फुलकी जॉगिंग से फायदा हो सकता हैै। 10-15 मिनट की वॉक से शरीर सक्रिय हो जाता है।
२. दौडऩे के लिए छोटे-छोटे कदम सही रहते हैं। शुरुआत में किसी पार्क के ट्रैक पर दौडें। कुछ दिन सीधी-समतल जगह पर दौडें।
३. छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं। जैसे, पहले दिन तीन से पांच मिनट दौडें। इस नियम को एक हफ्ते तक जारी रखें। अगले सप्ताह 7 मिनट, फिर 10 मिनट.... यानी धीरे-धीरे ही रनिंग टाइम बढाएं। यूएस के कोच और चार बार ओलंपिक मैरॉथन ट्रायल्स क्वॉलिफायर रहे बड कोट्स का कहना है कि पहली बार दौडऩे वाले आमतौर पर यह ग्ालती करते हैं कि वे किलोमीटर में सोचते हैं। जबकि शुरुआती दौर में किलोमीटर नहीं, मिनट पर सोचें। पांच मिनट-दस मिनट जैसे छोटे लक्ष्य बनाएं, उसे कम से कम एक हफ्ते तक चलाएं। सप्ताह भर में उसमें 10 प्रतिशत से ज्य़ादा इजाफा न करें।
४. दौडते हुए मुंह बंद रखें, नाक से सांस लें। मुंह खुलने से गला सूखेगा और थकान जल्दी महसूस होगी। दौडते हुए कभी बीच में पानी न पिएं, कोई भी सॉफ्ट या एनर्जी ड्रिंक्स न लें। दौडऩे से कुछ देर पहले पानी पी सकते हैं।
५. दौडऩे के लिए सुबह का समय अच्छा होता है। रात भर सोने से सुबह शरीर में बेहतर ऊर्जा बनी रहती है। हालांकि कुछ लोग शाम को भी दौडते हैं, लेकिन इस समय दिन भर काम करने के बाद शरीर थका रहता है।
६. साफ-सुथरी जगह पर दौडें। शुरुआत में सडक पर दौडऩा ठीक नहीं, इसमें असंतुलन का ख्ातरा रहता है। इयरफोन लगा कर न दौडें। भीड-भाड वाली जगह पर भी न दौडें।
७. दौडते हुए शरीर का ऊपरी हिस्सा सही पॉजिशन में रहना चाहिए। अगर सही पोस्चर नहीं होगा तो बांहों, कंधों, गर्दन या पीठ में दर्द हो सकता है। दौडते हुए हाथों को कमर तक रखें। ध्यान दें कि हाथ 90 का कोण बना रहे हों। शरीर को सीधा रखें, आगे झुक कर न दौडें। सिर ऊपर की तरफ हो, पीठ सीधी हो और कंधे झुके हुए न हों।
८. ज्य़ादातर लोग शुरुआत में रन/वॉक टेक्नीक आजमाते हैंं। कुछ देर दौडें, कुछ देर ब्रिस्क वॉक करें। इससे शरीर धीरे-धीरे अभ्यस्त होता है और मांसपेशियों में खिंचाव व दबाव कम पडता है।
९. दौडें भले ही थोडी देर, लेकिन इसकी निरंतरता बनाए रखें। यूएस में दौड में कई रिकॉर्ड बनाने वाले डॉ. डंकन मेकडॉनाल्ड का मानना है कि भले ही 15 मिनट दौडें, लेकिन न दौडऩे से अच्छा है, थोडी देर दौडें।
१०. दौडऩे की जरूरी शर्त है कि इसमें दबाव न महसूस करें। अपने शरीर की जरूरत और क्षमता को जानें। उत्साह और ख्ाुशी के लिए दौडें, थकने के लिए नहीं। शरीर पर दबाव पडे तो रुक जाएं। किसी भी फिजिकल एक्टिविटी में ब्रेक का बडा महत्व है।
११. दौडने का अभ्यास अलग-अलग जगहों पर करें। ट्रैक पर लगातार दौड रहे हैं तो कुछ समय के बाद किसी शांत सडक पर दौड सकते हैं। बीच-बीच में ब्रिज या ऊंची-नीची जगह पर दौडें। एक ही जगह पर दौडऩे से शरीर की पॉजिशन भी एक जैसी रहती है, मसल्स पर भी एक ही एंगल से दबाव पडता है। बीच-बीच में इसमें बदलाव करना जरूरी है।
१२. दबाव या तनाव की स्थिति में न दौडें। घरेलू-ऑफिशियल चिंता में डूबे हैं तो दौडऩे से शरीर को नुकसान हो सकता है। बेहतर यह होगा कि 15-20 मिनट योग या ध्यान करें ताकि मन शांत हो जाए। अपना पूरा ध्यान सिर्फ दौडऩे पर लगाएं।
१३. मोबाइल पर बात करते हुए, गाने सुनते हुए या दो लोगों के साथ दौडऩे का प्लान सेहत के लिए ठीक नहीं होगा।
१४. थक रहे हैं, हांफ रहे हैं, सांस उखड रही है और दौडऩे के अगले दिन पैरों में हलका-हलका दर्द महसूस हो रहा हो तो घबराएं नहीं, शुरुआत में ऐसा हो सकता है। दौडते रहें।
१५. किसी वजह से दौडऩा जारी नहीं रख पाते तो कुछ अन्य फिटनेस गतिविधियां जारी रखें, ताकि शरीर इसका अभ्यस्त रहे।
फिटनेस मंत्र
दौडें, भले ही धीरे दौडें, मगर निरंतरता बनाए रखें। वॉक व एक्सरसाइज करें। योग और ध्यान करें। दिन में कम से कम एक घंटा सेहत को दें। ख्ाुश और सकारात्मक रहें। शरीर को हाइड्रेट रखें, ख्ाूब पानी पिएं और ठूंस कर कभी न खाएं। आज की जीवनशैली में स्वस्थ रहने के लिए यह जरूरी है।
मस्ट हैव
1. एक जोडी कंफर्टेबल रनिंग शूज
2. ट्रैक सूट
3. नी और एंकल कैप
4. सपोर्र्टिंग स्पोर्ट ब्रा
कब न दौडें
प्रेग्नेंसी, हाइ ब्लड प्रेशर या हार्ट पेशेंट्स के लिए दौडऩा ठीक नहीं है। ऐसे लोगों को किसी भी फिटनेस रुटीन को आजमाने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। वजन अधिक है, तो भी दौडऩे से चोट का ख्ातरा हो सकता है। स्लिप डिस्क, स्पाइन सर्जरी या किसी भी अन्य बीमारी या सर्जरी की स्थिति में दौडऩे से नुकसान हो सकता है। ऐसे में ब्रिस्क वॉक मददगार होगा। वजन कम करने के लिए दौड रहे हैं तो याद रखें कि केवल दौडऩे से फायदा नहीं होगा। डाइट को नियंत्रित रखने, योग, ख्ाासतौर पर प्राणायाम करने से लाभ होगा।
इंदिरा राठौर
(दिल्ली के योग प्रशिक्षक गौतम सिन्हा से बातचीत पर आधारित)