चुनें हेल्दी हेल्थ पॉलिसी
बढ़ती महंगाई में इलाज का खर्च वहन करना मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे में अपने परिवार का स्वास्थ्य बीमा करवाने के साथ यह भी बहुत ज़रूरी है कि हेल्थ पॉलिसी का चुनाव सोच-समझ कर किया जाए।
आज की अति व्यस्त जीवनशैली की वजह से लोग युवावस्था में ही डायबिटीज, हाइ ब्लडप्रेशर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। इलाज का ख्ार्च इतना बढ चुका है कि इससे पूरे महीने का बजट बिगड जाता है। ऐसी मुश्किल से बचने के लिए हेल्थ पॉलिसी लेना बहुत जरूरी है, पर सही जानकारी के अभाव में अकसर लोग बिना सोचे-समझे किसी ऐसी पॉलिसी का चुनाव कर लेते हैं, जिसमें उन्हें चुकाए जाने वाले प्रीमियम की तुलना में पर्याप्त कवरेज नहीं मिल पाता। अत: अपने परिवार के लिए हेल्थ पॉलिसी का चुनाव करते समय इन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।
समझें कवरेज के फायदे
भले ही आपको थोडा ज्य़ादा ख्ार्च करना पडे, लेकिन आपके लिए अधिकतम बीमारियों के कवरेज वाला प्लैन लेना ज्य़ादा फायदेमंद साबित होगा। स्वास्थ्य बीमा संबंधी फॉर्म भरते समय अगर आपसे पुरानी बीमारियों के बारे में पूछा जाता है तो पूरी ईमानदारी से उनका जिक्र जरूर करें। अगर वे बीमारियां पहले से ही उसकी कवरेज सूची में शामिल होंगी तो पॉलिसी के चार साल पूरे होने के बाद पुरानी बीमारी भी उसी पॉलिसी में अपने आप कवर हो जाएगी।
इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय ग्राहकों के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि बाद में कहीं उसका क्लेम रद्द न कर दिया जाए। इस समस्या से बचने के लिए अपनी पॉलिसी किसी ऐसी विश्वसनीय कंपनी से ही ख्ारीदें, जिसके क्लेम भुगतान का रिकॉर्ड बहुत अच्छा रहा हो। आप चाहें तो आइआरडीए (इंश्योरेंस रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी) की वेबसाइट पर बीमा कंपनियों के क्लेम संबंधी रिकॉर्ड आसानी से देख सकते हैं। जिस तरह रिजर्व बैंक सभी बैंकों की कार्य प्रणाली पर निगरानी रखता है, उसी तरह आइआरडीए यानी इरडा बीमा कंपनियों की गतिविधियों पर नजर रखती है।
फैमिली फ्लोटर पॉलिसी
अपने लिए ऐसी हेल्थ पॉलिसी का चुनाव करें, जिसमें पूरे परिवार को कवरेज मिले क्योंकि परिवार के सभी सदस्यों के लिए अलग पॉलिसी लेने का ख्ार्च बहुत ज्य़ादा आएगा। हालांकि, स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में माता-पिता को शामिल करने से उनकी उम्र के अनुसार प्रीमियम की दरें कुछ ज्य़ादा जरूर होती हैं, फिर भी उनके लिए अलग पॉलिसी लेने की तुलना में यह विकल्प सस्ता पडता है।
जानकारी है ज्ारूरी
किसी भी इलाज से पहले हॉस्पिटल के रिसेप्शन से उपचार के सामान्य रेट की जानकारी जरूर हासिल करें। फिर उसे बाद में बताएं कि आपका मेडिकल इंश्योरेंस है। कई बार ऐसा भी होता है कि मेडिकल इंश्योरेंस का पता चलते ही हॉस्पिटल अपनी फीस बढा देते हैं या मरीज को ढेर सारी अनावश्यक जांचें बता कर उनसे ज्य़ादा से ज्य़ादा पैसे वसूलने की कोशिश करते हैं। इंश्योरेंस से पेमेंट होने की बात सोचकर बेिफक्र न हों।
यह न भूलें कि आख्िार आपकी पॉलिसी से ही ये पैसे काटे जा रहे हैं, जो भविष्य में आपके काम आ सकते हैं।
कैसे काम करता है कैशलेस
कैशलेस पॉलिसी लेने पर मरीज को अस्पताल में भर्ती होने से पहले कुछ भी ख्ार्च करने की जरूरत नहीं होती। हां, उस वक्त मरीज के पास बीमा कार्ड और पहचान-पत्र होना जरूरी है। इसका फायदा दो तरह से अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में मिलता है।
प्लैंड एडमिशन : अगर मरीज को कोई ऐसा ऑपरेशन करवाना हो, जिसके लिए डॉक्टर ने उसे पहले से तारीख्ा दी है तो ऑपरेशन के 3-4 दिन पहले जरूरी कागजात के साथ औपचारिकताएं पूरी कर लेनी चाहिए। इस प्रक्रिया के दौरान इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए :
अपने टीपीए के नेटवर्क में आने वाले ऐसे हॉस्पिटल का चुनाव करना चाहिए, जो घर के नजदीक हो और वहां इलाज की अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हों।
हेल्थ इंश्योरेंस कार्ड मरीज के पास होना चाहिए। प्री ऑथराइज्ड फॉर्म के उस हिस्से को भरें, जिसे इंश्योरेंस होल्डर को भरना होता है। यह फॉर्म हॉस्पिटल के इंश्योरेंस डेस्क से प्राप्त करें। इसे टीपीए की वेबसाइट से भी डाउनलोड किया जा सकता है।
भरे हुए फॉर्म को हॉस्पिटल के इंश्योरेंस डेस्क पर देना होता है, जिसकी जांच के बाद हॉस्पिटल की ओर से उसे टीपीए को ई-मेल कर दिया जाता है।
आपके फॉर्म के अप्रूव होते ही टीपीए ऑथराइजेशन लेटर और ट्रीटमेंट के लिए अप्रूव्ड अमाउंट भेज देता है।
फॉर्म जमा करके इंतजार करने के बजाय हर आधे घंटे में फॉलोअप करना जरूरी होता है, ताकि मरीज का इलाज जल्द से जल्द शुरू हो जाए।
इमर्जेंसी एडमिशन : इसमें प्लैंड एडमिशन की तरह पहले से फॉर्म भरने की कोई जरूरत नहीं होती है। ऐसे में डॉक्टर उपचार को प्राथमिकता देते हैं।
हॉस्पिटल में मरीज का हेल्थ इंश्योरेंस कार्ड दिखा कर उसे अस्पताल पहुंचाने वाला कोई करीबी व्यक्ति भी उसका फॉर्म भर सकता है।
इस तरह के मामलों में हॉस्पिटल की इंश्योरेंस डेस्क अमूमन कैशलेस की प्रक्रिया को फास्ट ट्रैक में प्रोसेस करती है, ताकि इलाज में देरी न हो।
क्या है जिप्सा
कैशलेस क्लेम लेते समय अकसर यह सुनने में आता है कि अमुक ख्ार्च जिप्सा की गाइडलाइंस के अनुसार कवर नहीं होता। ऐसे में आपके मन में यह सवाल उठता होगा कि जिप्सा क्या है? जिप्सा यानी जनरल इंश्योरेंस पब्लिक सेक्टर एसोसिएशन ऑफ इंडिया देश की 4 सरकारी बीमा कंपनियों का वह ग्रुप है, जो देश भर में फैली अपनी सभी शाखाओं से कैशलेस क्लेम के लिए देश के 4,000 से भी ज्य़ादा लिस्टेड अस्पतालों में होने वाले 42 मेडिकल प्रोसीजर्स के मानक तय करता है। अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो कैशलेस मेडिक्लेम के वक्त मरीज के मेडिकल बिल में जो भी रेट लगे होते हैं, उन्हें जिप्सा ही तय करती है।
क्या नहीं है शामिल
इंश्योरेंस कैशलेस होने के बाद भी हॉस्पिटल के कुछ ख्ार्चों का भुगतान मरीज को ख्ाुद ही करना पडता है, जो इस प्रकार हैं-हॉस्पिटल की रजिस्ट्रेशन या एडमिशन फीस, एंबुलेंस चार्ज, अटेंडेंट के खाने का ख्ार्च, पर्सनल हाइजीन से जुडी चीजें और सर्विस चार्ज। इसके अलावा ऑक्सीजन मास्क, डायपर, नेब्युलाइजर, पट्टी या टेप जैसी चीजें दवा की श्रेेणी में नहीं आतीं। इसलिए इन पर होने वाले ख्ार्च का भार मरीज को ही उठाना पडता है। कैशलेस मेडिक्लेम की स्थिति में जिस रोज मरीज को अस्पताल से छुट्टी दिलानी हो, उस दिन सुबह से ही डिस्चार्ज की प्रक्रिया शुरू करवा दें। अस्पताल के टीपीए डेस्क से प्रक्रिया का फॉलोअप लेते रहें क्योंकि इसमें लगभग तीन-चार घंटे लग जाते हैं और इस देर के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें।
रिजेक्शन से बचें
अकसर लोगों को यह शिकायत होती है उनका मेडिक्लेम रिजेक्ट हो गया। इससे बचने के लिए इन बातों का ध्यान रखें :
प्री-ऑथराइजेशन फॉर्म में दी गई अधूरी जानकारी से कैशलेस मेडिक्लेम रिजेक्ट हो सकता है।
अगर पॉलिसी की पूरी रकम को पहले ही क्लेम कर लिया हो तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को कैशलेस का फायदा नहीं मिल पाता। ऐसी असुविधा से बचने के लिए कैशलेस के अलावा एक और टॉपअप प्लैन लेना फायदेमंद होता है। लगभग 12,500 की वार्षिक किस्त देने पर नए टॉपअप प्लैन के जरिये व्यक्ति को 3 लाख तक का कवरेज मिल जाता है।
हॉस्पिटल के टीपीए डेस्क पर मौजूद रिप्रेजेंटेटिव्स के अनुसार कुछ कैशलेस पॉलिसियों में पुराने रिकॉर्ड भी मांगे जाते हैं और उनके न होने पर कैशलेस का अप्रूवल रिजेक्ट हो जाता है।
अगर आप इन बातों का ध्यान रखेंगे तो बिना किसी परेशानी के मेडिक्लेम के अंतर्गत दी जाने वाली सारी सुविधाओं का पूरा फायदा उठा पाएंगे।
स्त्रियों के लिए हेल्थ पॉलिसी
वैसे तो बाजार में उपलब्ध प्रत्येक पॉलिसी दूसरी से अलग होती है। फिर भी ज्य़ादातर में स्त्रियों को दी जाने वाली प्रमुख सुविधाएं इस प्रकार हैं :
कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन
अस्पताल में भर्ती होने से पहले या भर्ती के होने के दौरान आने वाला ख्ार्च अधिकृत केंद्रों पर हेल्थ चेकअप की लागत मैटरनिटी बेनिफिट, जो अस्पताल में भर्ती होने का ख्ार्च भी कवर करता है डिलिवरी से पहले और बाद में बाद होने वाले ख्ार्च का भुगतान नवजात शिशुओं के उपचार और वैक्सीनेशन पर होने वाले ख्ार्च इत्यादि का कवर ऐसी पॉलिसी, जो स्त्री के माता-पिता या ससुराल के आश्रितों को भी कवर करे
आजकल स्वास्थ्य बीमा में स्त्रियों की गंभीर बीमारियों जैसे स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और स्पॉन्डिलाइटिस के उपचार के लिए भी कवरेज मिलता है। कोई भी अकेली स्त्री सिंगल कवर के तहत स्वास्थ्य बीमा में अपने बच्चों और माता-पिता को भी शामिल कर सकती है।
सखी फीचर्स
(फ्यूचर जनरली इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के प्रमुख श्रीराज देशपांडे से बातचीत पर आधारित)