कार्ब अच्छे भी हैं
जैसे-जैसे जीवनशैली निष्क्रिय होती जा रही है, खानपान से कई पोषक तत्व बाहर होते जा रहे हैं। इनमें से एक है कार्बोहाइड्रेट। आजकल लो कार्ब डाइट का ख़्ाूब प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। तो क्या सारे कार्ब बुरे हैं और इन्हें डाइट में शामिल नहीं किया जाना चाहिए? ऊर्जा के
जैसे-जैसे जीवनशैली निष्क्रिय होती जा रही है, खानपान से कई पोषक तत्व बाहर होते जा रहे हैं। इनमें से एक है कार्बोहाइड्रेट। आजकल लो कार्ब डाइट का ख्ाूब प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। तो क्या सारे कार्ब बुरे हैं और इन्हें डाइट में शामिल नहीं किया जाना चाहिए? ऊर्जा के सबसे बडे स्रोत कार्ब का डाइट में होना क्यों ज्ारूरी है और कौन से कार्ब सेहत के लिए अच्छे हैं, जानें।
कार्बोहाइड्रेट्स की अजीब कहानी है। कुछ लोग इसे पसंद करते हैं तो कुछ को ये नहीं भाते। कार्ब को डाइट में शामिल किया जाए या नहीं, किया जाए तो कितनी मात्रा में किया जाए, इसे लेकर भी बहस कभी ख्ात्म नहीं होती। न्यूट्रिशनिस्ट और डाइटीशियंस की राय भी अलग-अलग होती है। कुछ लोग कहते हैं कि ऊर्जा और मांसपेशियों के निर्माण के लिए कार्ब ज्ारूरी है तो कुछ इसे शरीर में अतिरिक्त चर्बी जमा करने का स्रोत मानते हैं। क्या कार्ब बुरे हैं? इसे लें या नहीं, इस पर सोचने से पहले कुछ ज्ारूरी बातें जान लें।
सारे कार्ब बुरे नहीं
कुछ कार्ब अच्छे भी होते हैं। हर कार्ब में प्रति ग्राम लगभग चार कैलरी होती हैं। कुछ शोधों में कहा गया है कि एक वयस्क व्यक्ति काब्र्स से अपनी कुल कैलरीज्ा का 40 से 60 प्रतिशत तक ग्रहण करता है और इसमें भी कॉम्प्लेक्स काब्र्स और नैचरल शुगर की भूमिका महत्वपूर्ण है। अच्छे काब्र्स का अर्थ है कि उनमें अनिवार्य पोषक तत्वों, जैसे फाइबर, प्रोटीन, हेल्दी फैट्स, विटमिंस और मिनरल्स की प्रचुर मात्रा होती है। अच्छे कार्ब में ये गुण होते हैं-
1. डाइट में शामिल कार्बोहाइड्रेट्स कई समस्याओं जैसे हार्ट डिज्ाीज्ा से बचाव में सहायक हैं।
2. काब्र्स पूरे दिन काम करने की ऊर्जा बनाए रखते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि इनसे मेटाबॉलिज्म में वृद्धि होती है।
3. व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों के साथ काब्र्स का सही संतुलन मांसपेशियों के लिए अच्छा होता है।
4. कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट का सेवन करने से देर तक भूख नहीं लगती और पेट भरे होने का एहसास बना रहता है। इससे व्यक्ति खाना कम खाता है।
5. यह कोलेस्ट्रॉल स्तर को सुचारु बनाए रखता है। बुरे कोलेस्ट्रॉल को घटाता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढाता है।
चुनें सोच-समझ कर
कार्बोहाइड्रेट शरीर के लिए बेहद ज्ारूरी हैं और इनके बिना शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल सकता। लेकिन कुछ काब्र्स शरीर के लिए नुकसानदेह हैं, ख्ाासतौर पर तब, जबकि व्यक्ति दिन के 10-12 घंटे निष्क्रिय होकर बिताता हो। बुरे काब्र्स वे हैं, जिनमें शुगर की मात्रा अधिक है। ऐसे काब्र्स शरीर को भरा महसूस नहीं कराते। शुगर से भरपूर ड्रिंक्स जैसे सोडा, पेस्ट्रीज्ा, कुकीज्ा, डोनट्स, कैंडीज्ा, सिरप्स, चिप्स या क्रैकर्स ऐसी ही चीज्ों हैं। भारतीय किचन में सबसे ज्य़ादा इस्तेमाल होने वाली तली-भुनी चीज्ों, सफेद चावल, ब्रेड एवं मैदा भी बुरे काब्र्स में आता है। ये शरीर को इस तरह नुकसान पहुंचाते हैं-
1. वज्ान तेज्ाी से बढता है। ख्ाासतौर पर ऐक्टिव लाइफस्टाइल नहीं है तो ऐसे काब्र्स फैट जमा करने के अलावा कुछ नहीं करते। जब इस फैट का इस्तेमाल नहीं होता तो यह शरीर के ख्ाास हिस्सों में स्टोर होने लगता है।
2. शुगर का अत्यधिक सेवन रक्त में ग्लूकोज्ा का स्तर बढा सकता है। कई बार इन्हें टाइप टू डायबिटीज्ा से भी जोड कर देखा जाता है।
3. बुरे काब्र्स व्यक्ति को सुस्त बनाते हैं। ऊर्जा के ये स्रोत तभी फायदेमंद हैं, जब उतनी ही कैलरीज्ा शारीरिक गतिविधियों या व्यायाम के माध्यम से ख्ार्च की जा सकेें।
4. सिंपल काब्र्स तुरंत ऊर्जा स्तर बढाते हैं, मगर जैसे ही ये शरीर से बाहर निकलते हैं, ऊर्जा भी ख्ात्म हो जाती है।
5. ऐसे काब्र्स को कम करने से शरीर से फैट भी कम होता है, लेकिन एक बार इन्हें डाइट से बाहर करने के बाद दोबारा डाइट में शामिल किया जाए तो वज्ान पहले से भी अधिक तेज्ाी से बढ सकता है।
कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स
कई लोग मानते हैं कि कॉम्प्लेक्स कार्ब शरीर के लिए अच्छा है और सिंपल या रिफाइंड कार्ब बुरा। लेकिन इसके भी कुछ अपवाद हैं। सारे कॉम्प्लेक्स काब्र्स शरीर के लिए फायदेमंद नहीं होते और सारे सिंपल काब्र्स शरीर के लिए बुरे नहीं होते।
अमेरिकन डायबिटीज्ा एसोसिएशन के अनुसार, ख्ाासतौर पर ऐसे स्टार्च वाले खाद्य पदार्थ पचने में ज्य़ादा समय लेते हैं, जिनमें फाइबर और प्रोटीन की भरपूर मात्रा हो। इससे व्यक्ति को देर तक भूख नहीं लगती।
हेल्दी कॉम्प्लेक्स काब्र्स में व्होल ग्रेन जैसे रागी, रोस्टेड ग्रेन, बाजरा, ओट्स, किनुआ या स्टार्ची सब्ज्िायां जैसे मक्का, सोयाबीन, मटर, बींस, आलू आदि आते हैं।
सिंपल काब्र्स
ज्य़ादातर सिंपल काब्र्स में शुगर होती है। जैसे सिरप्स, कैंडीज्ा, कुकीज्ा, सोडा। हालांकि फ्रूट्स और डेयरी प्रोडक्ट्स में नैचरल शुगर होती है, जोकि हेल्दी सिंपल काब्र्स के स्रोत हैं।
फलों में फाइबर, विटमिन और मिनरल्स प्रचुर मात्रा में होते हैं, जबकि डेयरी प्रोडक्ट्स कैल्शियम और प्रोटीन के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। नियमित डाइट में नैचरल शुगर को शामिल करना स्वस्थ रहने के लिए ज्ारूरी है। इसके बेहतरीन स्रोत हैं फ्रूट्स।
ये हैं अच्छे कार्ब
लो-कार्ब डाइट का इन दिनों काफी प्रचार हो रहा है। इस कारण रोटी या चपाती को डाइटिंग में कई बार नज्ारअंदाज्ा किया जाता है, लेकिन सामान्य डाइट में यह ज्ारूरी है। नियमित खाने में साबुत अनाज को प्राथमिकता दें। गेहूं में मक्का, सोयाबीन या चना मिला कर मोटा पिसवाएं। मक्का को इन दिनों बुरा कार्ब माना जाने लगा है, मगर रीअल मक्का हेल्दी व्होल ग्रेन है। इसमें भरपूर फाइबर, विटमिन सी, एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए फायदेमंद हैं। आटे में मिलाएं या सैलेड में, ये सेहत के लिए फायदेमंद है। आजकल बाज्ाार में व्होल ग्रेन आटा उपलब्ध है। जिन लोगों को गेहूं से एलर्जी हो, वे किनुआ को डाइट में शामिल कर सकते हैं। यह ग्लूटिन फ्री होने के साथ ही प्रोटीन का हेल्दी स्रोत भी है।
केले को वज्ान बढाने वाला फल माना जाता है। इसके शुगर कंटेंट और कार्ब के कारण इसे डाइटिंग में बुरा समझा जाता है। लेकिन यह बेहतरीन पोर्टेबल ब्रेकफस्ट हो सकता है, ख्ाासतौर पर बच्चों के लिए। इसमें विटमिन बी6, मैग्नीज्ा, पोटैशियम और फाइबर की प्रचुर मात्रा होती है।
व्हाइट ब्रेड, व्हाइट राइस, व्हाइट पास्ता...जैसे बुरे काब्र्स की लिस्ट में कई बार भारतीय सब्ज्ाी का राजा समझा जाने वाला आलू भी शामिल हो जाता है। मगर नए शोध बताते हैं कि आलू भी सेहत के लिए फायदेमंद हैं। पोटैशियम और विटमिन सी के अलावा इसमें फाइबर का तत्व होता है।
ब्रेकफस्ट में फ्लेक्स का अपना महत्व है। आजकल व्होल ग्रेन वाले सीरियल्स बाज्ाार में उपलब्ध हैं। ये दिन की शुरुआत करने के लिए सही हैं, लेकिन इनके इंग्रीडिएंट्स ज्ारूर पढें और ध्यान रखें कि व्होल ग्रेन सीरियल्स में फाइबर की प्रचुर मात्रा हो। इनमें प्रति सर्विंग 10 ग्राम से ज्य़ादा शुगर न हो।
बच्चों के लिए कार्ब
बच्चों को संतुलित मात्रा में हर तरह के काब्र्स देने ज्ारूरी हैं। हड्डियों और मांसपेशियों के विकास का समय यही होता है। उनकी डाइट में फाइबर, कार्ब, फैट, प्रोटीन, विटमिंस, मिनरल्स और सभी पोषक तत्व होने चाहिए। ओट्स में सब्ज्िायां मिला कर हेल्दी ब्रेकफस्ट बनाया जा सकता है। फ्लेक्स, पोहा भी बच्चों को दिया जा सकता है। बच्चे अंकुरित अनाज ज्य़ादा पसंद नहीं करते। इसलिए उन्हें नाश्ते में स्प्राउट्स, टोफू, सैलेड या पनीर वाले सैंडविच के अलावा सब्ज्िायां भर कर परांठे दिए जा सकते हैं।
कार्ब से पहले लें प्रोटीन
न्यूयार्क (यूएस) वेल कॉर्नेल मेडिकल कॉलेज में हुए अध्ययन के अनुसार अलग-अलग तरह के खाद्य पदार्थों को किस ऑर्डर में खाया जाता है, इसका पोस्ट-मील ग्लूकोज्ा लेवल और इंसुलिन स्तर पर प्रभाव पडता है। यह अध्ययन डायबिटीज्ा की समस्या से ग्रस्त लोगों के लिए बडा कारगर है। डायबिटिक लोगों के लिए खाने के बाद ग्लूकोज्ा स्तर को सामान्य रखना बडी चुनौती होता है। इससे पहले कुछ ऐसे अध्ययन आए थे, जिनमें कहा गया था कि कार्ब लेने से पहले प्रोटीन और सब्ज्िायां खाने से पोस्ट-मील ग्लूकोज्ा स्तर ठीक रहता है। रिसर्चर्स ने पाया कि कार्ब से पहले प्रोटीन और सब्ज्िायां देने पर पोस्ट मील ग्लूकोज्ा स्तर में 30 प्रतिशत से ज्य़ादा कमी देखी गई। इंसुलिन स्तर भी सामान्य रहा। पैनलिस्ट का दावा है कि किसी खाद्य पदार्थ को 'मत खाओ कहने के बजाय 'इसके पहले यह खाओ वाला तरीका ज्य़ादा कारगर है। डाइट से कार्ब को पूरी तरह निकालना सही विकल्प नहीं है। इसलिए कार्ब से पहले प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ और हरी सब्ज्िायां खाना ज्ारूरी है।
इंदिरा राठौर
(इति भल्ला, चीफ डाइटीशियन, पारस हॉस्पिटल गुडग़ांव से बातचीत पर आधारित)