शादी एक अनिवार्य बंधन है: रजा मुराद-शाहरुख रजा
रज़्ा मुराद का नाम सुनते ही हिंदी फिल्मों का विलेन दिखाई देने लगता है। निजी ज़्िांदगी में विलेन नहीं, हास्य-बोध से भरपूर पति हैं रज़्ा। शाहरुख़्ा रज़्ा मुराद से इनकी अरेंज्ड मैरिज हुई जो किसी विलेन से शादी नहीं करना चाहती थीं। मगर शादी हुई और छोटी-मोटी त़करारों के साथ इनके दांपत्य जीवन में बहार है। इस बार मिलें इस सहज-सरल दंपती से।
हिंदी फिल्मों में विलेन की भूमिका निभाने वाले रज्ा मुराद असल ज्िांदगी में अलग हैं। शादी, परिवार और संबंधों में उनकी गहरी आस्था है। वर्ष 1982 की 2 मई को शाहरुख्ा रज्ा मुराद से इनका विवाह हुआ। तब से अब तक दोनों सुखी गृहस्थ-धर्म निभा रहे हैं। मिलते हैं इनसे।
पाक रिश्ता है यह
रज्ा : शादी एक पाक बंधन है। हर मजहब में इसके मायने एक से हैं। शादी हमें बहुत कुछ सिखाती है और जीवन को अनुशासित बनाती है। इससे ज्िाम्मेदारी पैदा होती है। इस रिश्ते की सफलता तभी है, जब इसमें अहं के लिए कोई जगह न हो। हमसफर के प्रति समझदारी और सम्मान भाव हो। एक-दूसरे की नज्ार में कभी न गिरें। प्यार समय के साथ या तो घटता है या बढता है या फिर चुइंगम की तरह हो जाता है, जहां रिश्ते की मिठास ख्ात्म हो जाती है..। लेकिन हर स्थिति में इस रिश्ते में सीखने को बहुत-कुछ मिलता है। पार्क में कई बुज्ाुर्ग जोडे मिलते हैं। उनके जीवन में सेक्स भले ही ख्ात्म हो गया हो, लेकिन एक-दूसरे का साथ उनके लिए ज्ारूरी बन चुका है।
शाहरुख्ा : एक-दूसरे के लिए प्यार, यकीन और समझदारी का नाम ही शादी है। शादी का मतलब अपना हक जताना नहीं, बल्कि एक-दूसरे का साथ देना है, बिना किसी शक या संदेह के। इसके साथ ही दूसरे की प्राइवेसी का भी सम्मान करना ज्ारूरी है। पति को चाहिए कि वह पत्नी को पूरी आज्ादी दे।
बंधन है शादी में
रज्ा : शादी बंधन ही तो है। जब साथी के साथ सात फेरे लेते हैं, तभी एक बंधन कायम हो जाता है। बंधन न हो तो फिर शादी नहीं, लिव-इन-रिलेशन कहा जाएगा। बंधन ज्ारूरी भी है। हमारे यहां निकाह का अर्थ है कॉन्ट्रेक्ट। यह एक-दूसरे का साथ देने का बंधन ही है। यह नहीं होगा तो इंसानों और जानवरों में क्या फर्क रहेगा!
शाहरुख्ा : मैं इनकी बातों से सहमत हूं। जब तक इंसान में ज्िाम्मेदारी और मर्यादाओं का पालन करने की नीयत नहीं होगी, तब तक वह व्यवस्थित नहीं हो सकता। शादी इस मामले में बडा रोल निभाती है।
शादी को सहेजे रखना ज्ारूरी
रज्ा : इन दिनों ट्रेंड चल पडा है कि लोग अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए शादी से बचते हैं। महत्वाकांक्षा बुरी चीज्ा नहीं है। इसके बिना ज्िांदगी की गाडी नहीं चल पाती, न आप अपने कंफर्ट ज्ाोन में पहुंच पाते हैं, मगर इसे पूरा करने के लिए सोते-जागते सपने देखते रहने से कुछ नहीं होता। यह सब सपना ही रह जाता है। मैं आईएएस बनना चाहता हूं, यह मेरा सपना नहीं-सोच है। लेकिन कोई कहे कि मुझे रात में सपना आया कि मुझे एक बडी फिल्म मिली है तो भाई साहब.. सपने से तो मिल गई फिल्में। आज तो महत्वाकांक्षाएं बदल चुकी हैं। घर चलाना है, घर ख्ारीदना है। बीवी को शादी के बाद भी नौकरी करनी है..। मैंने कभी बीवी को नौकरी करने से नहीं रोका, मगर उन्होंने परिवार को अधिक समय देना ठीक समझा।
शाहरुख्ा : मुझे लगता है कि आज की पीढी जल्दबाज्ा है। रिश्तों के मामले में जल्दी नतीजों तक पहुंच जाती है, जो ग्ालत है। रिश्तों को हमेशा सहेजने की कोशिश की जानी चाहिए। रिश्ता तभी तोडें, जब इसके अलावा आपके पास दूसरा विकल्प न हो। इसके लिए महत्वाकांक्षा नहीं, आज के दौर के लोगों की मानसिकता ज्िाम्मेदार है।
तकरार हो मगर प्यार से
रज्ा : (पत्नी की ओर इशारा करते हुए) इनमें भी जल्दबाज्ाी है। ये तुरंत किसी नतीजे पर पहुंच जाती हैं। इनका तर्क रहता है कि जो काम करना है, उसे तुरंत कर देना चाहिए। मेरी फिलोसॉफी है कि इंसान को पूरा वक्त लेना चाहिए।
शाहरुख्ा : मेरी कोशिश रहती है कि घर का माहौल ठीक रहे। इन्हें जो अच्छा लगे, वही किया जाए। लेकिन इनकी जो बात मुझे सबसे ज्यादा अखरती है, वह है इनकी सुस्ती। जब तक झिंझोडा न जाए, ये कोई काम नहीं करते। हर काम को करने में ख्ासा समय लगा देते हैं और दलील यह देते हैं कि जैसे हीरो फिल्म के आख्िार में सब कुछ ठीक कर देता है, मैं भी वैसा ही कर देता हूं।
लिव-इन ग्ालत ट्रेंड है
रज्ा : जब कोई सामाजिक बंधन ही नहीं है तो रिश्ते की प्रासंगिकता क्या है? सबसे बुरा असर ऐसे रिश्तों में बच्चों पर पडता है। बच्चे मां-बाप के प्यार से महरूम रह जाते हैं। जब तक आप साथ हैं, तब तक सब ठीक है। एक घटना का ज्िाक्र करूं। फिल्म जंज्ाीर के बाद अमिताभ और जया जी सफलता का जश्न मनाने विदेश जाना चाहते थे, लेकिन स्व. हरिवंश राय बच्चन जी ने रोक दिया। उन्होंने कहा, पहले शादी करो, फिर साथ जाओ या रहो। मुझे हिंदू शादियों में एक बात अच्छी लगती है कि विवाहित स्त्रियां सिंदूर लगाती हैं, मंगलसूत्र पहनती हैं। इससे उनका वैवाहिक स्तर पता चलता है।
शाहरुख्ा : मैं लिव-इन के पक्ष में नहीं हूं। यह ग्ालत ट्रेंड को बढावा देता है। कम से कम ज्िाम्मेदार इंसान ऐसा कतई नहीं करेगा। ऐसे रिश्तों से इंसान हर चीज्ा को फॉर ग्रांटेड लेना शुरू कर देता है। इससे भविष्य में उसके लिए बडी मुश्किलें खडी हो सकती हैं।
थोडा ब्रीदिंग स्पेस हो
रज्ा : एक दूसरे की इज्ज्ात करना, जज्बात की कद्र करना, ऐसी बात न करना, जिससे पार्टनर के दिल को ठेस पहुंचे..ये सब शादी में ज्ारूरी है। अच्छा-बुरा वक्त सब पर आता है। बुरे वक्त में भी साथ निभाएं, व्यवहार में बदलाव न लाएं। अंतिम बात है, एक-दूसरे को स्पेस देना। इतनी रात तक तुम कहां रहे? किससे बातें कर रहे थे?.., ऐसी बातों से शादी में मुश्किलें पैदा होती हैं। ब्रीदिंग स्पेस होना चाहिए। यह स्वाभाविक है कि एक छत के नीचे साथ रहेंगे तो क्लेश भी होगा, लेकिन इससे प्यार कम नहीं हो जाता। यह ऐसी चीज्ा है, जिससे इंसान एक-दूसरे की ग्ालतियां माफ कर देता है। प्यार है तो दिल में गुंजाइश बनी रहती है। न हो तो छोटी सी ग्ालती भी माफी के काबिल नहीं होती।
शाहरुख्ा : स्पष्टता, समझदारी, साझेदारी और संवाद.. दांपत्य में ज्ारूरी हैं। बातचीत रहेगी तो ग्ालतफहमियां दूर होंगी। यदि आप तुनकमिज्ाज हैं तो झगडे की स्थिति से बचें, तनाव हो तो आगे बढ कर इसे ख्ात्म करने के लिए पहल करें। एक-दूसरे के प्रति प्रेम और भरोसा वैवाहिक जीवन को ख्ाुशनुमा बनाता है। पति-पत्नी दोनों कामकाजी हैं तो दोनों की काम में हिस्सेदारी होनी चाहिए।
विलेन की बीवी रहती है ख्ाुश
रज्ा : सलेब्रिटी की ढेर सारी मुश्किलें होती हैं। उन्हें हर जगह अटेंशन मिलता है। मैं मज्ाकिया हूं, मगर स्त्रियों से मेरी बातचीत एक सीमा से आगे नहीं बढती। पहले मेरी बीवी को बुरा लगता था। अब तो ये मुझसे कभी-कभार कहती हैं कि तुम्हारी गर्लफ्रेंड का फोन आया था। एक बात बता दूं कि विलेन की बीवियां हीरो की बीवियों के मुकाबले ज्यादा ख्ाुश रहती हैं। उन्हें पता है कि विलेन को कोई लडकी ज्यादा भाव नहीं देने वाली। हीरो पर लडकियां लपकती हैं, विलेन से दूर भागती हैं।
शाहरुख्ा : हां, पहले बहुत मुश्किल होती थी निभाने में। मैं छोटे शहर की थी, दूसरी बात यह थी कि फिल्म इंडस्ट्री में कई लडकियां इनसे शादी करना चाहती थीं। वे इनसे मिलने आतीं तो मुझे बुरा लगता। तब इन्होंने समझाया कि अगर इनसे ही शादी करनी होती तो तुमसे क्यों करता! इनकी सारी सहेलियां मुझसे जलती थीं। फिर धीरे-धीरे मुझमें भी समझदारी आई।