नाज है अपनी उपलब्धियों पर
अमृता सादगी की प्रतिमूर्ति हैं। वे इंडस्ट्री में ग्यारह साल पुरानी हैं। करियर के सफर में उन्होंने ढेर सारे उतार-चढ़ाव देखे हैं। उनकी पहली फिल्म अब के बरस थी। सात साल पहले विवाह उनके करियर की मील का पत्थर साबित हुई।
अमृता को अपनी उपलब्धियों पर नाज है। कहती हैं कि मुझे बहुत खुशी होती है, जब लोग मेरी तुलना जया बच्चन से करते हैं। लागों को मुझमें गर्ल नेक्स्ट डोर की छवि दिखती है। मैं इसे लेकर कॉन्शियस भी हूं। कोई ऐसी फिल्म या किरदार नहीं चुनती, जिससे मेरी इस छवि को चोट पहुंचे। लोगों ने मुझे विवाह में ढेर सारा प्यार दिया। वह प्यार व सम्मान मेरी इसी छवि के चलते मयस्सर हुआ। मस्ती व वेलकम टु सज्जनपुर में भी सीधी-सादी युवती के रोल में ही लोगों को स्वाभाविक लगी। आज इंडस्ट्री में ऐसी कोई हीरोइन नहीं है, जिसमें लोग जया बच्चन का अक्स ढूंढ पाएं। हालांकि लोगों के कहने पर मैंने उस इमेज से निकलने की कोशिश की, पर सफल नहीं रही।
काम बोलता है
मुझे ज्यादातर प्रदर्शन केंद्रित रोल मिलते रहे। डांस व सॉन्ग वाले रोल कम मिले। हमारे दर्शकों को अभिनेत्रियां नाचते और गाते हुए ज्यादा भाती हैं। वे लंबी पारी भी खेलती हैं। शॉर्ट कट में भी मेरा परफॉर्मेस ही था। उसमें गाने नहीं थे। बावजूद इसके कि मैं अच्छी डांस र हूं। मेरी इस प्रतिभा को फराह खान ने नोटिस किया था। मैं हूं ना में उन्होंने मेरी उस स्किल को बखूबी एक्सपोजर दिया। यह डांस नंबर का ही जादू है कि अभिनेत्रियां उसके सहारे नोटिस हो रही हैं, फिल्म में भले उनकी भूमिका न हो। यहां तक कि प्रियंका चोपडा जैसे कद की हीरोइन भी। मेरे केस में वैसा नहीं हुआ। मेरा ट्रैक रिकॉर्ड रहा है कि काम के लिए शुरू से अब तक लोग मुझे एप्रोच करते रहे हैं। मैं पैसे कमाने या इंडस्ट्री में बने रहने के लिए एक सीमा से ज्यादा हाथ-पैर नहीं मारती। मैं किसी से काम नहीं मांगती।
नो बोल्ड सीन
मैं बोल्ड सीन नहीं कर सकती, जबकि आज की नवोदित से लेकर स्थापित तक यह सब जमकर कर रही हैं। मैंने इंडस्ट्री में यह सोच कर कदम नहीं रखा कि यहां बने रहने के लिए कुछ भी करूंगी। मेरी ख्वाहिश है कि लोग मुझे अलग किस्म की भूमिकाओं के लिए याद रखें।
करियर में लंबा गैप
कुछ चूक भी हुई, जरा सा किस्मत भी दगा दे गई। तीन साल पहले तीन फिल्में शूट होनी थी। साइनिंग एमाउंट भी मिल गया था। एबी कॉर्प की लेजेंड ऑफ कुणाल, टिप्स की नील नितिन मुकेश के साथ, जिसे वापस केन घोष डायरेक्ट करने वाले थे व बेला भंसाली के संग भी फिल्म करने वाली थी। उन सब को डेट देने के बाद श्याम बेनेगल आए वेलडन अब्बा के लिए। उनके बाद इरॉज की फिल्म थी आ देखें जरा। उन तीनों फिल्मों को मैं साइन नहीं कर पाई और जिन्हें साइन किया था, वे मंदी के चलते बन ही नहीं पाई। तो साल 2010 में जो मेरा प्रोफेशनल कैलेंडर था, उसको अचानक बडा झटका लगा। एक लंबा गैप मेरे करियर में हो गया। इस साल से दोबारा मेरा करियर सही ट्रैक पर आता दिख रहा है। आगे एक रोमैंटिक थ्रिलर कर रही हूं।
अमित कर्ण