फैशन इंडस्ट्री लीड कर रही हैं लड़कियां
पिछले 10 वर्षो से फैशन वीक्स और रैंप शोज का चर्चित चेहरा हैं सोनालिका सहाय। पहले एयर होस्टेस रह चुकीं सोनालिका मॉडलिंग के साथ ही अब ऑनलाइन रिटेल में भी आ गई हैं। इन वर्षो में कितनी बदली फैशन की दुनिया और क्या है इसका भविष्य, इस पर उनका नजरिया।
मुझे मॉडलिंग की दुनिया में लगभग 10 वर्ष हो रहे हैं। तब भी फैशन इंडस्ट्री में प्रोफेशनल लोग थे, मगर डिजाइनर्स कम थे। यह वह दौर था, जब फैशन वीक्स शुरू हो चुके थे और लोगों में फैशन को लेकर जागरूकता बढ रही थी। पिछले कुछ वर्षो से इंडियन फैशन इंडस्ट्री लगातार आगे बढी है। अब ऑनलाइन स्टोर्स, रीटेल और फैशन ब्लॉगर्स के आने से नई क्रांति आ चुकी है। लोग फैशन डिजाइनर्स को जानने लगे हैं। विदेशों में भी भारतीय डिजाइनर्स को सराहना मिल रही है। मीडिया की भूमिका भी इसमें अहम है। ऑनलाइन फैशन इंडस्ट्री का बहुत विस्तार हुआ है।
मेंस फैशन ट्रेंड
मॉडलिंग ऐसा फील्ड है, जहां हमेशा से लडकियां लीड करती रही हैं। हालांकि पिछले कुछ वर्षो से मेंस फैशन का ट्रेंड शुरू हुआ है। पहले मेंस फैशन शो सीमित थे। लिहाजा पुरुष मॉडल्स का मार्केट भी धीमी रफ्तार से आगे बढा। मगर अब आम भारतीय पुरुष भी हाइ-एंड फैशन को लेकर जागरूक हो रहे हैं। वे डिजाइनर ड्रेसेज की मांग कर रहे हैं। इसलिए पुरुष मॉडल्स की जरूरत भी बढी है। फिर भी इस क्षेत्र में जितनी लडकियां हैं, उस अनुपात में पुरुष अभी बहुत कम हैं। अभी भी यह अनुपात 80 : 20 का ही है।
संघर्ष यहां भी है
हर फील्ड की तरह यहां भी शुरुआत में सभी को संघर्ष करना पडता है। वैसे यहां लोग 20-21 की उम्र के बाद ही आते हैं। मैं समझती हूं, सही-ग्ालत समझने के लिए यह परिपक्व उम्र है। एक-दो वर्ष मैंने भी संघर्ष किया है। तब अनुभव व एक्सपोजर नहीं था, प्रोफेशनल समझदारी कम थी। कुटूर गार्मेट्स के लिए काम का अनुभव जरूरी होता है। इंडस्ट्री को समझने में 1-2 साल तो लगते हैं। हालांकि मैं भारत आने से पहले सिंगापुर और हांगकांग में मॉडलिंग कर चुकी थी। इसलिए यहां माइग्रेशन में परेशानी नहीं हुई। अब तो देश में कई मॉडलिंग एजेंसीज हैं। इसलिए मॉडलिंग में आने वाले यंगस्टर्स के लिए राहें अपेक्षाकृत आसान हैं।
मॉडल के अधिकार
वार्डरोब मैल्फंक्शन जैसी घटना मेरे साथ नहीं हुई। हर शो से पहले पहले ड्रेस की फिटिंग और फिनिशिंग चेक की जाती है। फिर भी अपवादस्वरूप ऐसी घटनाएं हो जाती हैं। यदि ड्रेस में समस्या है, जिप खराब है या नेकलाइन में प्रॉब्लम है तो मॉडल के पास यह अधिकार सुरक्षित है कि वह उस शो को करने से मना कर दे। वह बैकस्टेज ही इस प्रॉब्लम को सुलझाए, ऑनस्टेज न जाए। अब डिजाइनर्स इस बारे में बहुत सतर्क रहते हैं। यह उनकी साख का मामला भी है।
शो से पहले नर्वस होती हूं
इतने वर्षो से शोज कर रही हूं, लेकिन हर बार स्टेज पर जाने से पहले नर्वस होती हूं। वैसे कोशिश करती हूं कि भावनाएं नियंत्रित रहें। भारत में मेरा पहला शो तरुण तहिल्याणी का था। आउटफिट भी कुटूर था। उस समय मॉडल विवेका बाबाजी ने मेरी बहुत मदद की। इससे आत्मविश्वास बढा। कई बार शो के बाद दर्शकों से मिलने वाले कमेंट्स भी उत्साहवर्धन करते हैं और भविष्य में बेहतर करने की प्रेरणा देते हैं। एक बार कोलकाता में शो के बाद एक बुजुर्ग दंपती ने मेरी बहुत सराहना की। फैशन के बारे में उनका उत्साह व जानकारी देख कर बहुत अच्छा लगा।
तसवीर बदल रही है
भारतीय फैशन इंडस्ट्री ने आज इंटरनेशनल मार्केट में मजबूत साख बना ली है। पहले 2-4 डिजाइनर्स की ही इंडस्ट्री में पैठ थी। मगर अब उभरते डिजाइनर्स ने स्थापित डिजाइनर्स के सामने चुनौतियां खडी कर दी हैं। इनके पास नए आइडियाज हैं। इससे कॉम्पिटीशन टफ हो गया है। हमारे पास अब विदेशों से भी डिमांड्स आ रही हैं। आम लोग फैशन में दिलचस्पी लेने लगे हैं। वर्ल्ड मार्केट खुला है, जिससे प्रतिस्पर्धा बढी है। अगले 5-7 सालों में फैशन इंडस्ट्री की तसवीर पूरी तरह बदल जाएगी।