ट्रेंड के आसमां पर चमकी भारतीय कारीगरी
कांथा वर्क और चिकनकारी वाली साडि़यों को आउटडेटेड समझ कर रिजेक्ट करने की गलती मत कीजिएगा। परंपरागत भारतीय फैब्रिक्स और एंब्रॉयडरी वाले परिधान इस सीजन का सबसे बड़ा ट्रेंड बन कर उभरे हैं। सखी ने इस ट्रेंड के बारे में फैशन डिजाइनर्स से जाना।
असम के हर घर में मेखला चादर नामक परिधान बुनने की परंपरा है। मेखला यहां का पारंपरिक परिधान है जिसे यहां की स्त्रियां निवि स्टाइल में ड्रेप करके पहनती हैं। असम की यह परंपरा इस साल ऑटम विंटर विल्स इंडिया फैशन वीक 2013 के रैंप पर नजर आई। असम की मेखला चादर की तरह लखनऊ, भागलपुर और पंजाब के पारंपरिक फैब्रिक और वर्क का जलवा मिलान और पेरिस फैशन वीक में दिखा। भारतीय बुनकरों के हाथों का जादू देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के फैशन प्रेमियों को खासा रास आ रहा है।
कंफर्ट फैक्टर
मक्का सिल्क, कॉटन मलमल, चंदेरी, खंड और मूंगा सिल्क जैसे भारतीय फैब्रिक जहां देखने में बेहद एलीगेंट लगते हैं, वहीं ये बेहद आरामदायक भी होते हैं। बुनकरों के बनाए इन ऑर्गेनिक परिधानों का त्वचा पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। यही वजह है कि इनकी लोकप्रियता दिन पर दिन बढती जा रही है। बैंबू बेस्ड फैब्रिक्स को भी लोग बेहद पसंद कर रहे हैं। फैशन डिजाइनर मधु जैन ने अपने लेटेस्ट कलेक्शन में मुगलकाल की रानी नूरजहां के पसंदीदा फैब्रिक मसलिन के परिधान डिजाइन किए हैं।
देसी एंब्रॉयडरी
भारतीय फैब्रिक्स के साथ ही भारतीय एंब्रॉयडरी का प्रयोग भी इन दिनों कंटेंपरेरी वेयर्स में नजर आ रहा है। फैशन डिजाइनर कृतिका डावर बताती हैं, इन दिनों बनारसी, बाटिक और टाई एंड डाई जैसी भारतीय कारीगरी की तकनीकों को कंटेंपरेरी वेयर्स में दर्शा रहे हैं। इसी तरह लहरिया, अजरक, कश्मीरी कलमकारी और जरदोजी जैसी एंब्रायडरीज का चलन भी जोरों पर है। पश्चिम बंगाल का कांथा वर्क और आंध्र प्रदेश का इक्कट वर्क भी लोगों को खासा लुभा रहा है।
परिधान देसी, कट विदेशी
इन दिनों भारतीय फैब्रिक्स और एंब्रॉॅयडरी को कंटेंपरेरी सिलुएट्स में पेश करने का चलन जोरों पर है। इसकी सबसे बडी वजह यह है कि परंपरागत भारतीय कारीगरी की जीवंतता कंटेंपरेरी परिधानों के लुक को भी जीवंत बना देती है। फैशन डिजाइनर मधु जैन कहती हैं, एंब्रायडरी का जितना चलन भारत में है, उतना दुनिया के किसी देश में नहीं है। यही वजह है कि अब विदेशी डिजाइनर तक भारत के फैब्रिक्स और एंब्रायडरी पर शोध कर उन्हें अपने कलेक्शन का हिस्सा बना रहे हैं।
अनूठे प्रयोग
भारतीय फैब्रिक्स और एंब्रायडरी को लेकर प्रयोग भी भरपूर हो रहे हैं। हाल ही में डिजाइनर कृतिका डावर ने अपने नए कलेक्शन में परंपरागत मुगल मोटिफ को डिजिटल प्रिंट्स के माध्यम से दर्शाया। इन दिनों बाटिक प्रिंट वाले परिधानों पर जरदोजी का काम भी बहुत पसंद किया जा रहा है।
इन्हें भाए इंडियन फैब्रिक
- फैशन डिजाइनर परोमिता बनर्जी- खादी, जामदानी और मलखा कॉटन
- फैशन डिजाइनर रुचिका सचदेवा- खादी, कॉटन और सिल्क
- फैशन डिजाइनर उर्वशी- हैंडलूम ऑर्गेनिक क ॉटन
- फैशन डिजाइनर अंजू मोदी- चंदेरी, बनारसी, फुलकारी
- फैशन डिजाइनर निदा महमूद- भागलपुरी सिल्क, वेस्ट बंगाल सिल्क, क्रेप, कॉटन
ज्योति द्विवेदी
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