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अब धूप में भी त्वचा मुस्कुराए

मौसम गर्म और त्वचा नरम है। लेकिन क्या आपने सूर्य की नुकसानदेह अल्ट्रावायलट किरणों से बचाने के लिए त्वचा को सुरक्षा कवच पहना दिया है? अगर नहीं तो देर किस बात की, सखी के साथ जानें त्वचा को धूप से बचाने के नायाब उपाय।

By Edited By: Published: Sat, 10 May 2014 11:19 AM (IST)Updated: Sat, 10 May 2014 11:19 AM (IST)
अब धूप में भी त्वचा मुस्कुराए

सनस्क्रीन क्रीम, जेल, सन ब्लॉक, एसपीएफ, ब्रॉड स्पेक्ट्रम, सनशील्ड.. यह नाम आपने जरूर सुने होंगे। शायद आप यह भी जानती हों कि ये सभी त्वचा को यूवी प्रोटेक्शन देते हैं, लेकिन इनमें क्या अंतर है, ये किन जरूरतों को पूरा करते हैं और कितने फायदेमंद हैं, यह जानना भी जरूरी है। त्वचा को धूप से बचाने के लिए बाजार में तमाम तरह की सनस्क्रीन क्रीम उपलब्ध हैं, लेकिन आपके लिए कौन सी बेस्ट है, बता रहे हैं कॉस्मेटिक सर्जन डॉ. मोहन थॉमस।

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कोई भी मौसम हो यूवी किरणों का प्रभाव हर त्वचा पर पडता है। कई बार धूप से बचने के साधारण उपाय अपनाने के बाद भी त्वचा प्रभावित हो जाती है। एक शोध से पता चला है कि उम्र से पहले त्वचा पर पडने वाली लकीरें, झुर्रियां, त्वचा का कैंसर, त्वचा की रंगत पर प्रभाव, त्वचा का फटना, बडे रोमछिद्र और झाइंयों का एकमात्र सबसे बडा कारण यूवी किरणें होती हैं। जरूरत से ज्यादा धूप में रहने से न सिर्फत्वचा पर कालापन आ जाता है, बल्कि त्वचा के स्वास्थ्य से जुडी कुछ गंभीर समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। भारत की 85 प्रतिशत स्त्रियां त्वचा की टैनिंग समस्या से जूझती हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि त्वचा को सुरक्षा कवच पहनाने के लिए क्या उपाय अपनाए जाएं।

क्या है एसपीएफ नंबर

अल्ट्रावायलेट बी किरणों के कारण होने वाले सनबर्न यानी सूरज की किरणों से त्वचा को झुलसने से बचाने के लिए आमतौर पर एसपीएफ यानी सन प्रोटेक्शन फैक्टर का इस्तेमाल किया जाता है। मतलब साफ है सनस्क्रीन में एसपीएफ की मात्रा जितनी ज्यादा होगी त्वचा को अल्ट्रावायलेट बी किरणों से होने वाला नुकसान उतना कम होगा। मसलन अगर आपके सनस्क्रीन में एसपीएफ की मात्रा 15 है तो त्वचा को 15 गुना ज्यादा सन प्रोटेक्शन मिलता है। वहीं अगर आप सनस्क्रीन का इस्तेमाल किए बगैर तेज धूप में निकलती हैं तो त्वचा झुलसने की आशंका 15 गुना बढ जाती है। इतना ही नहीं सनस्क्रीन या सनब्लॉक क्रीम का इस्तेमाल नहीं करने पर 20 मिनट के भीतर ही त्वचा झुलस सकती है। वहीं अगर सनस्क्रीन लगाकर बाहर निकलती हैं तो आप 300 मिनट तक बिना किसी परेशानी के तेज धूप में घूम-फिर सकती हैं। एक और बात ध्यान रखनी चाहिए कि एसपीएफ सिर्फअल्ट्रावायलेट बी किरणों से त्वचा की रक्षा करता है, अल्ट्रावायलेट ए किरणों पर यह असरदार नहीं होता।

कितने हैं असरदार

कई तरह के रंगों वाले और खुशबूदार सनस्क्रीन बाजार में उपलब्ध हैं। इतना ही नहीं कई सनस्क्रींस में त्वचा के इलाज से जुडी तमाम दवाइयां भी मौजूद हैं, लेकिन अगर इससे जुडे वैज्ञानिक पहलू और इसके इस्तेमाल के तरीकों पर गौर करें तो सनस्क्रीन न तो खुशबूदार होना जरूरी है, न ही उसमें कोई रंग या कोई प्रिजर्वेटिव मिला होना, तभी यह फायदेमंद होता है। सनस्क्रीन में अल्ट्रावायलेट ए और अल्ट्रावायलेट ब्रॉड स्पेक्ट्रम की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए। किसी भी सनस्क्रीन में कम से कम एसपीएफ 15 का होना अनिवार्य माना गया है। इनमें जिंक ऑक्साइड और टाइटेनियम डाइऑक्साइड नाम के द्रव्य होने जरूरी हैं ताकि अल्ट्रावायलेट ए रेडिएशन से त्वचा की रक्षा हो सके। इतना ही नहीं, सनस्क्रीन खरीदते समय यह ध्यान रखना जरूरी है कि वह चिपचिपी और नॉन-कॉमेडोजेनिक हो।

क्या रखें ध्यान

बाजार से सनस्क्रीन खरीदते समय एसपीएफ की मात्रा के अलावा कई और अहम बातों पर गौर करना भी जरूरी है। मसलन-

- त्वचा की किस्म।

- कितनी बार और कितनी मात्रा में सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए।

- धूप में किस तरह की गतिविधि के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना है।

- त्वचा सनस्क्रीन को किस मात्रा में सोखती है।

कैसे करें इस्तेमाल

पानी के संपर्क में आने या पसीने की वजह से एसपीएफ युक्त सनस्क्रीन का असर खत्म होने लगता है। इससे अल्ट्रावायलेट किरणें त्वचा को आसानी से नुकसान पहुंचाती हैं। इसके लिए बेहद जरूरी है कि सनस्क्रीन की मोटी परत त्वचा पर लगाई जाए, जैसे केक पर आइसिंग की जाती है।

संवेदनशील त्वचा के लिए

जिनकी त्वचा संवेदनशील है, उन्हें हाइपोएलर्जेनिक द्रव्य से युक्त सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए। पर ये खुशबूदार न हो ध्यान रखना भी जरूरी है। टाइटेनियम डाइऑक्साइड व जिंक ऑक्साइड नाम के खनिज अल्ट्रावायलेट ए और अल्ट्रावायलेट बी किरणों का मुकाबला कर त्वचा की रक्षा करते हैं।

कील-मुंहासे युक्त त्वचा

ऐसी त्वचा के लिए ऑयल फ्री सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल करना बेहतर होगा। मसलन एसपीएफ 50 युक्त ऑयल फ्री सेंसिटिव सनस्क्रीन। इसमें एवोबेनजोन और ऑक्सिबेनजोन नामक रसायन होता है।

ऑयली त्वचा

अगर त्वचा बहुत ज्यादा ऑयली है तो चिपचिपी सनस्क्रीन से परहेज करें। तेलरहित सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।

रूखी त्वचा

अगर त्वचा रूखी है तो ग्लिसरीन और एलोवेरा युक्त सनस्क्रीन या लोशन का इस्तेमाल करें। अगर सनस्क्रीन स्प्रे या जेल के रूप में इस्तेमाल करती हैं तो इसे तुरंत रोक दें, ये त्वचा को और रूखी बनाते हैं।

तरह-तरह के सनस्क्रीन

फिजिकल सनस्क्रीन : इसमें जिंक ऑक्साइड और टाइटेनियम डाइऑक्साइड होता है। सूरज की नुकसानदेह किरणों को रोकने में यह प्रभावी साबित होता है। जिन लोगों को केमिकल सनस्क्रीन से एलर्जी होती है, उन्हें फिजिकल सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए।

केमिकल सनस्क्रीन : यह अल्ट्रावायलेट ए और अल्ट्रावायलेट बी किरणों को पूरी तरह से सोख लेते हैं। इसमें एवोबेनजोन और बेनजोफिनन होते हैं। कुछ नए सनस्क्रींस में अतिरिक्त मॉलिक्यूल यानि मेरॉक्सी भी मौजूद होता है। ब्रॉड स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन में फिजिकल और केमिकल दोनों तरह के सनस्क्रीन होते हैं और ये बाजार में उपलब्ध भी हैं।

जेल सनस्क्रीन : यह जेल की तरह होती है, त्वचा इसे आसानी से सोख लेती है। स्विमिंग करने वाले और कील-मुंहासों से परेशान रहने वाले इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

क्रीम युक्त सनस्क्रीन : यह बच्चों और बुजुगरें के लिए बेहतर है। इससे त्वचा का रूखापन भी दूर हो जाता है।

सनस्क्रीन लोशन : यह पूरे शरीर में आसानी से लगाया जा सकता है। स्विमिंग करने वाले और आमतौर पर धूप में निकलने वालों के लिए यह बेहद फायदेमंद है। एक बार अच्छे से त्वचा पर लगा लेने के बाद पूरे दिन ये नुकसानदेह किरणों से बचाता है। इससे बार-बार या नियमित अंतराल पर लगाने की भी जरूरत नहीं पडती।

स्प्रे सनस्क्रीन : यह पीठ और जांघों पर लगाने के लिए बेहतर है। लेकिन कभी भी इसे सीधे चेहरे पर न लगाएं।

टिंटेड सनस्क्रीन : रोजाना मेकअप करने और गहरे रंग का मेकअप पसंद करने वाली स्त्रियां इसका इस्तेमाल कर सकती हैं। इस सनस्क्रीन को लगाने के बाद भडकीले मेकअप की जरूरत नहीं होती। बाजार में यह कई तरह के रंगों में भी उपलब्ध है।

पाउडर सनस्क्रीन (मिनरल सनस्क्रीन): जिन लोगों को केमिकल सनस्क्रीन से एलर्जी है या जिन्हें क्रीम या लोशन का चिपचिपापन पसंद नहीं, उनके लिए पाउडर सनस्क्रीन बेहतर ऑप्शन है।

इला श्रीवास्तव


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