अगर हो एलर्जी
एलर्जी एक बेहद आम समस्या है। किसी को खाने की चीज से, किसी को किसी खास महक से तो किसी को पालतू जानवरों से एलर्जी हो सकती है।
एलर्जी की कुछ और भी वजहें हैं। क्यों होती है एलर्जी, कौन होते हैं इसके ज्य़ादा शिकार और इससे कैसे हो बचाव, बता रही है सखी।
अब भी घर में साफ-सफाई का कार्यक्रम चलता, नेहा बीमार हो जाती। धूल नाक में चली जाती तो उसकी सांसें तेज चलने लगतीं और नाक और आंखों से पानी आने लगता। पहले तो उसे समझ में नहीं आया कि उसे आखिर क्या हो जाता है लेकिन डॉक्टर से जांच कराने पर पता चला कि उसे एलर्जी है।
क्या है एलर्जी जब हमारा शरीर किसी चीज को लेकर ओवर-रिएक्ट करता है तो उसे एलर्जी कहते हैं। एलर्जी किसी खाने की चीज, पालतू जानवर, मौसम में बदलाव, किसी फूल-फल-सब्जी के सेवन, खुशबू, धूल, धुआं, दवा यानी किसी भी चीज से हो सकती है। इस स्थिति में हमारा इम्यून सिस्टम कुछ खास चीजों को स्वीकार नहीं कर पाता और नतीजा रिएक्शन के रूप में दिखता है। एलर्जी में शरीर पर लाल चकत्ते निकलते हैं, नाक और आंखों से पानी बहता है, जी मिचलाता है, उल्टी होती है, सांस तेज चलती है और बुखार भी हो सकता है। एलर्जी खतरनाक नहीं होती है लेकिन ध्यान न देने पर समस्या गंभीर भी हो सकती है।
एलर्जी के कारण कुछ लोगों को मूंगफली, दूध, अंडा आदि खाने से एलर्जी हो सकती है। जिस चीज से एलर्जी है, उसे खाने के बाद जी मिचलाने, शरीर में खुजली होने या पूरे शरीर पर दाने और चकत्ते निकलने जैसी समस्याएं हो सकती है। आमतौर पर कुछ खाने के बाद 10 मिनट से लेकर आधे घंटे के अंदर तक एलर्जी के लक्षण उभरने लगते हैं।
धूल : धूल के कणों में माइक्रोब्स होते हैं जो हमारे आसपास मौजूद रहते हैं। माइक्रोब्स ज्य़ादा ह्यूमिडिटी में पनपते हैं। इनसे होने वाली एलर्जी में आमतौर पर छींकें, आंख और नाक से पानी बहने जैसी दिक्कत हो सकती है।
कीडे का काटना : कीडे के काटने पर स्किन एकदम लाल होकर फूल जाती है। कभी-कभी उलटी, चक्कर और बुखार भी हो सकता है।
रबड : रबड से बनी किसी भी चीज (ग्लव्स, कॉण्डोम, मेडिकल इक्विपमेंट आदि) के इस्तेमाल से जलन, नाक बहने, घबराहट और खुजली जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
खुशबू : खुशबू भी कई लोगों के लिए एलर्जी की वजह हो सकती है। परफ्यूम, खुशबू वाली मोमबत्तियां, कई तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट्स आदि की खुशबू से सिरदर्द या जी मिचलाने आदि की समस्या हो सकती है।
पालतू जानवर : पालतू जानवर भी कई लोगों की एलर्जी का कारण होते हैं। जानवरों के बाल, उनके मुंह से निकलने वाली लार या रूसी आदि से कई लोगों को गंभीर परेशानियां हो जाती हैं।
घास : कई बार घास, पेड और फूल भी एलर्जी का कारण होते हैं। इनके संपर्क में आने पर खुजली, आंखों में जलन, लगातार छींक आदि की समस्या हो सकती है।
मौसम : कुछ लोगों को किसी खास मौसम से भी एलर्जी होती है। मौसम बदलने पर इन लोगों को गले में खराश, बुखार, नाक बहने और आंखों में जलन जैसी समस्याएं होती हैं। ऐसे में कोशिश करें कि ज्य़ादा से ज्य़ादा घर के अंदर रहें। तापमान में तेज बदलाव से बचें, यानी एकदम ठंडे से गर्म या गर्म से ठंडे वातावरण में न जाएं।
पॉलेन : पॉलेन यानी फूलों के पराग कणों से भी लोगों को एलर्जी होती है। पेड-पौधों और घास-फूस के संपर्क में आने पर ये बारीक कण नाक और गले में चले जाते हैं और दिक्कत की वजह बनते हैं। जिस मौसम में पॉलेन आते हैं, उस दौरान घर से बाहर कम निकलें। घर की खिडकियां बंद रखें। एसी या पंखे में रहें और कूलर का इस्तेमाल न करें। घर में एयर प्यूरिफायर लगवाएं। घर से बाहर निकलना हो तो आंखों पर चश्मा और नाक पर मास्क लगाकर बाहर निकलें।
मेटल : कुछ लोगों को गोल्ड या सिल्वर ऑक्सीडाइज्ड़ ज्यूलरी से एलर्जी होती है तो कुछ को लेदर या सिंथेटिक कपडों से। ऐसा होने पर इन चीजों के कॉन्टैक्ट में आने के बाद खुजली हो सकती है। ऐसे लोग इन चीजों के इस्तेमाल से बचें। अगर कभी पहनना ही पडे और खुजली होने लगे तो उस जगह पर स्टेरॉयड बेस्ड क्रीम लगाएं।
दवा : किसी खास दवा से भी काफी लोगों को एलर्जी होती है। उसे जारी रखने से परेशानी बढ सकती है।
एलर्जी किसको ज्य़ादा बच्चों में एलर्जी की आशंका बडों से कहीं ज्य़ादा होती है। बच्चा अगर बहुत ज्य़ादा थकान का शिकार होता हो, उसे सर्दी-जुकाम बना रहता हो या नाक में खुजली होती हो तो उसे एलर्जी हो सकती है। इसी तरह बुजुर्गों में भी एलर्जी की समस्या काफी आम है क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो जाता है। बदलते मौसम में उनका खास खयाल रखना चाहिए। कई बार एलर्जी खानदानी भी होती है। माता-पिता को अगर धूल या किसी और चीज से एलर्जी हो तो बच्चों को एलर्जी होने की आशंका बढ जाती है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि दोनों की एलर्जी का स्वरूप एक जैसा ही हो। मां को अगर धूल से एलर्जी की वजह से स्किन रैशेज पडते हों तो बच्चे को खुशबू से एलर्जी होने की वजह से छींकें आ सकती हैं।
कैसे बचें हमारे देश में लोगों को एलर्जी के बारे में कम जानकारी है। अकसर लोगों को पता ही नहीं चलता कि वे बार-बार बीमार पड रहे हैं तो उसकी वजह खाना या मौसम भी हो सकता है। दरअसल, अगर किसी चीज को लेकर शरीर में रिएक्शन दिखे तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए और दोबारा उस चीज के इस्तेमाल से बचना चाहिए। बच्चों के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए उन्हें धूल-मिट्टी और धूप में खेलने दें। इससे उन्हें बीमारियों से लडऩे में मदद मिलेगी। उन्हें बारिश में भींगने या स्विमिंग पूल में जाने दें। हां, धूल-मिट्टी में खेलने के बाद उनके हाथ-पैर अच्छी तरह धुलवाना न भूलें।
किसी को धूल और धुएं से एलर्जी हो तो घर से बाहर निकलने से पहले उन्हें नाक पर रुमाल या मास्क का प्रयोग करना चाहिए। बचाव ही एलर्जी का इलाज है।
जिन लोगों को ठंड से एलर्जी हो, वे ठंडी और खट्टी चीजों जैसे अचार, इमली, आइसक्रीम आदि खाने से बचें।
जिन्हें धूल या गंदगी से एलर्जी हो, उन्हें समय-समय पर चादर, तकिए के कवर और परदे भी बदलते रहना चाहिए। कारपेट यूज न करें या फिर उसे कम से कम 6 महीने में ड्राईक्लीन करवाते रहें।
अगर किसी दवा से एलर्जी है तो उसे खाने से बचना चाहिए। जब भी डॉक्टर को दिखाने जाएं तो उन्हें इस एलर्जी के बारे में जरूर बताएं।
एलर्जी के लिए टेस्ट 1. प्रिक टेस्ट : किसी भी चीज से एलर्जी का शक हो तो उसका सटीक कारण जानने के लिए प्रिक टेस्ट करवाया जाता है। प्रिक टेस्ट के जरिये 60 तरह की एलर्जी की जानकारी मिल जाती है। 2. ब्लड टेस्ट : ब्लड टेस्ट से भी एलर्जी की जांच होती है। हालांकि इसे बहुत सटीक नहीं माना जाता।