Move to Jagran APP

लघुकथा: संतोष का धन

पंडित जी ने पत्नी की और एक नजर से देखा फिर बिना किसी जवाब के वो घर से चल दिए शाम को वो जब वापिस लौटकर आये तो भोजन के समय थाली में कुछ उबले हुई चावल और पत्तियां देखी यह देखकर उन्होंने अपनी पत्नी से कहा भद्रे ये स्वादिष्ट शाक जो है वो किस चीज से बना है??

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 05 Dec 2016 03:31 PM (IST)Updated: Mon, 05 Dec 2016 03:38 PM (IST)
लघुकथा: संतोष का धन

पंडित श्री रामनाथ शहर के बाहर अपनी पत्नी के साथ रहते थे एक जब वो अपने विद्यार्थिओं को पढ़ाने के लिए जा रहे थे तो उनकी पत्नी ने उनसे सवाल किया कि आज घर में खाना कैसे बनेगा क्योंकि घर में केवल मात्र एक मुठी चावल भर ही है?

loksabha election banner

पंडित जी ने पत्नी की और एक नजर से देखा फिर बिना किसी जवाब के वो घर से चल दिए शाम को वो जब वापिस लौटकर आये तो भोजन के समय थाली में कुछ उबले हुई चावल और पत्तियां देखी यह देखकर उन्होंने अपनी पत्नी से कहा भद्रे ये स्वादिष्ट शाक जो है वो किस चीज से बना है?? मैंने जब सुबह आपके जाते समय आपसे भोजन के विषय में पूछा था तो आपकी दृष्टि इमली के पेड़ की तरफ गयी थी मैंने उसी केपतों से यह शाक बनाया है पंडित जी ने बड़ी निश्चितता के साथ कहा अगर इमली के पत्तों का शाक इतना स्वादिष्ट होता है फिर तो हमें चिंता करने की कोई आवश्यकता ही नहीं है अब तो हमे भोजन की कोई चिंता ही नहीं रही।

जब नगर के राजा को पंडित जी की गरीबी का पता चला तो राजा ने पंडित को नगर में आकर रहने का प्रस्ताव दिया किन्तु पंडित ने मना कर दिया तो राजा हैरान हो गया और स्वयं जाकर उनकी कुटिया में उनसे मिलकर इसका कारण जानने की इच्छा हुईे राजा उनकी कुटिया में गया तो राजा ने काफी देर इधर उधर की बाते की लेकिन वो असमंजस में था कि अपनी बात किस तरह से पूछे लेकिन फिर उसने हिम्मत कर पंडित जी से पूछ ही लिया कि आपको किसी चीज का कोई अभाव तो नहीं है न??

पंडित जी हंसकर बोले यह तो मेरी पत्नी ही जाने इस पर राजा पत्नी की और आमुख हुए और उनसे वही सवाल किया तो पंडित जी की पत्नी ने जवाब दिया कि अभी मुझे किसी भी तरीके का अभाव नहीं है क्योंकि मेरे पहनने के वस्त्र इतने नहीं फटे कि वो पहने न जा सकते और पानी का मटका भी तनिक नहीं फूटा कि उसमें पानी नहीं आ सके और इसके बाद मेरे हाथों की चूडिय़ा जब तक है मुझे किसी चीज का क्या अभाव हो सकता है ?? और फिर सीमित साधनों में भी संतोष की अनुभूति हो तो जीवन आनंदमय हो जाता है

राजा बड़ी श्रद्धा से उस देवी के सामने झुक गये।

साभार: Guide2india.org


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.