महिलाओं की सुरक्षा करेंगी 'शी'
पिछले दिनों चेन्नई के श्रीरामास्वामी मेमोरियल यूनिवर्सिटी की छात्रा मनीषा मोहन ने अपने दो सहयोगियों रिंपी त्रिपाठी तथा निलाद्री बासू बाल के साथ मिलकर 'शी' (सोसायटी हारनेसिंग सिस्टम) नामक एक ऐसे इनरवेयर का निर्माण किया है, जो महिलाओं की सुरक्षा में मददगार सिद्ध होगा। इस वस्त्र को
पिछले दिनों चेन्नई के श्रीरामास्वामी मेमोरियल यूनिवर्सिटी की छात्रा मनीषा मोहन ने अपने दो सहयोगियों रिंपी त्रिपाठी तथा निलाद्री बासू बाल के साथ मिलकर 'शी' (सोसायटी हारनेसिंग सिस्टम) नामक एक ऐसे इनरवेयर का निर्माण किया है, जो महिलाओं की सुरक्षा में मददगार सिद्ध होगा। इस वस्त्र को पहनने वाली महिला को गलत इरादे से छूने वाले व्यक्ति को 3800 वोल्ट का करंट लगेगा यानी झटके से वह दूर जा गिरेगा। इस दौरान महिला को उस स्थान से भागने का मौका मिल सकेगा।
चंडीगढ़ में पली-बढ़ी मनीषा कहती हैं, 'भले ही मैं एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कर रही हूं, लेकिन दिल्ली में हुए भयानक रेप केस और उसके बाद निरंतर ऐसी घटनाओं ने इतना विचलित किया कि मेरे मन में आया कुछ तो ऐसा बनाना चाहिए जिससे महिलाओं की सुरक्षा का इंतजाम हो सके। बस इसी विचार ने मुझे इलेक्ट्रॉनिक्स पढ़ने पर मजबूर किया और ऐसा इनरवेयर बनाने के लिए प्रेरित किया।'
मनीषा कहती हैं कि यूं तो अन्य कई प्रोडक्ट हैं, जिनका प्रयोग आजकल आत्मरक्षा के लिए किया जा रहा है, लेकिन पेपर स्प्रे, फोन, पेन नाइफ आदि के इस्तेमाल से पहले उन्हें निकालने का समय या इस्तेमाल करने का मौका आपको मिलता है या नहीं, यह तय नहीं होता। यदि कोई महिला उन्हें अपने बचाव के लिए पर्स से निकाल भी ले या हाथ में लेकर भी चले तो भी हमलावर इन्हीं वस्तुओं को सबसे पहले छीनकर दूर फेंक सकता है। हमने जो अंडरशर्ट तैयार की है, उसे पहनकर घर से निकलते समय उसमें लगे एक बटन को ऑन कर लिया जाए तो वह पहनने वाले के लिए एक कवच का काम करेगी। यह इनरवेयर गलत इरादे से छूने वाले को ही करंट का झटका देगा। इसमें लगे विशेष सेंसर जबरन किये गए स्पर्श को पहचान सकते हैं।
मनीषा कहती हैं कि हमने इस बात का विशेष ध्यान रखा है, क्योंकि महिलाओं को तो बच्चों को भी उठाना होता है, किसी अपने को गले भी लगा सकती हैं। इसलिए इनरवेयर में लगे विशेष सेंसर उन पर पड़ने वाले दबाव के स्तर को पहचानते हुए तथा कितने समय में कितनी बार दबाव पड़ा? इसे समझते हुए ये सेंसर काम करेंगे। साथ ही इसमें जीपीएस व जीएसएम सिस्टम भी लगा है, जिससे तुरंत 100 नंबर पर पुलिस को तथा महिला के घरवालों को एमरजेंसी मैसेज चला जाएगा, जो यह भी बताएगा कि वह किस स्थान पर है?'
चंडीगढ़ के सेक्रेड हार्ट स्कूल से अपनी शुरुआती पढ़ाई करने वाली मनीषा के पिता कृष्णा मोहन पंजाब यूनिवर्सिटी में भूगोल विभाग में प्रोफेसर हैं, जबकि मां निशी मोहन ने हिंदी में डाक्ट्रेट की है, लेकिन हाउसवाइफ हैं। मनीषा का कहना है कि मेरी मां अक्सर महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर लिखती हैं और मुझसे बात भी करती हैं। मां के विचारों ने भी मुझे महिलाओं के लिए कुछ करने को प्रेरित किया।
मनीषा कहती हैं कि मेरे साथ राजस्थान में मोदी स्कूल से पढ़ी रिंपी तथा डीपीएस कोलकाता के स्टूडेंट रहे निलाद्री के सहयोग के बिना यह कर पाना कठिन था। इस आविष्कार के लिए भारत सरकार की ओर से मनीषा को टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन अवार्ड से सम्मानित किया गया है। यही नहीं मनीषा जल्द ही कैलिफोर्निया स्थित सिलिकॉन वैली भी जाने वाली हैं, जहां विभिन्न प्रतिनिधियों के साथ वह विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श में हिस्सा लेंगी।
हर महिला को अपनी सुरक्षा के लिए बेफिक्र करने का सपना देखने वाली मनीषा का कहना है कि पूरे विश्व में भारत में सबसे ज्यादा युवा इंजीनियर बनते हैं, लेकिन यदि वे अपनी इनोवेशन्स को केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित रखेंगे तो कोई फायदा नहीं। उन्हें समाज के लिए कुछ करने की ठानकर आविष्कार करने को अपनी ड्यूटी समझना चाहिए। साथ ही लोगों को किसी मुद्दे के लिए सड़कों पर उतर आने या नारेबाजी करने से ज्यादा उसके समाधान के लिए कुछ सार्थक प्रयास करना चाहिए।