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पेड़ लगाने का प्रण

घर के सामने लगे एक पेड़ को कटने से बचाने वाले एक व्यक्ति ने नीम के पेड़ लगाने का ले लिया संकल्प.. मैं करीब 35 वर्ष से लखनऊ में रहता हूं। मेरा पैतृक निवास कानपुर का ग्राम घेमऊ है। तीन वर्ष पूर्व की बात है, जब एक घटना ने मुझे पर्यावरण की सुरक्षा के लिए नीम के पेड़ लगाने के लिए प्रेरित कर दिया। एक दिन मेरे पैतृक गांव से

By Edited By: Published: Sat, 16 Aug 2014 02:11 PM (IST)Updated: Sat, 16 Aug 2014 02:11 PM (IST)
पेड़ लगाने का प्रण

घर के सामने लगे एक पेड़ को कटने से बचाने वाले एक व्यक्ति ने नीम के पेड़ लगाने का ले लिया संकल्प..

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मैं करीब 35 वर्ष से लखनऊ में रहता हूं। मेरा पैतृक निवास कानपुर का ग्राम घेमऊ है। तीन वर्ष पूर्व की बात है, जब एक घटना ने मुझे पर्यावरण की सुरक्षा के लिए नीम के पेड़ लगाने के लिए प्रेरित कर दिया। एक दिन मेरे पैतृक गांव से एक लड़के का फोन आया कि आपके दरवाजे के सामने लगा सौ वर्ष पुराना नीम का पेड़ काटा जा रहा है। उसने बताया कि आपके भाई व ताऊजी के लड़के ने मिलकर नीम का पेड़ एक लकड़ी ठेकेदार को बेच दिया है और पेड़ की एक डाल काटी जा चुकी है।

मैंने कहा कि वह नीम का पेड़ तो मेरे बाबा का लगाया हुआ है, जिसे मैं किसी भी कीमत पर काटने की अनुमति नहीं दे सकता। उसी पेड़ के नीचे मेरे घर के पशु भी बांधे जाते हैं। उसके कटने की बात सुनकर मुझे बड़ा दुख हुआ। उस लड़के ने कहा पेड़ आज ही कट जाएगा, आपको रोकना हो तो जल्दी आ जाइए। मुझे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। घर पहुंचने में लगभग चार घंटे का समय लगता, इसलिए मैंने सोचने-समझने के बाद उस लड़के से कहा कि वह थाने में पुलिस को सूचना देकर नीम का पेड़ कटने से रुकवा दे, बाद में मैं पहुंच जाऊंगा। लड़के ने ऐसा ही किया। लगभग आधे घंटे में पुलिस गांव में आ गई। ठेकेदार पुलिस को देखकर भाग गया। मेरे भाई भी खेतों की ओर चले गए, मौके पर मेरे ताऊजी के पुत्र मिले, जिन्हें पुलिस ने पकड़कर बंद कर दिया। कटी हुई नीम की लकड़ी को पुलिस ट्रैक्टर ट्राली में भरकर थाने ले गई।

पेड़ इतना विशाल था कि उसकी एक डाल काटने से कोई खास फर्क नहीं पड़ा। वह नीम का पेड़ कटने से बच गया। मैंने अपने भाई को अदालत में हाजिर कराकर उनकी जमानत स्वयं करवाई। गांव वालों ने मेरी बहुत प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि आपकी वजह से नीम का पेड़ कटने से बच गया। पुलिस में इस घटना की सूचना देने से मेरे ताऊजी का परिवार नाराज हो गया और हमसे तथा हमारे परिवार से बोलना बंद कर दिया। मुझे बड़ा दुख हुआ।

उसी दिन से मेरे मन में विचार आया कि क्यों न मैं नीम के पेड़ों को पूरे गांव में लगवाऊं। इस तरह से ही मैं पर्यावरण संरक्षण में कुछ योगदान कर पाऊंगा। अपनी माताजी को चारो धाम की यात्रा कराने के पश्चात मैंने नीम के पेड़ लगाने की शुरुआत अपनी मां से करवाई। उसके पश्चात लखनऊ में एक मंत्री के सहयोग से 51 नीम के पेड़ लगवाने का मौका मिला। फिर लखनऊ के बक्शी का तालाब क्षेत्र में भी 51 नीम के पेड़ लगवाए। मेरे इष्ट-मित्र मेरा सहयोग करते रहे। इस तरह मंदिर, पार्क, विद्यालयों और सड़क के किनारे अनेक स्थानों पर नीम के पेड़ लगवाए।

मेरी हजारों नीम के पेड़ लगवाने की योजना है। इस काम में मेरे मित्र भी मदद को हमेशा तत्पर रहते हैं। मैंने फॉरेस्ट विभाग से नीम के पेड़ खरीद कर अपने घर पर रखे हैं और मैं मुफ्त में पेड़ लगाने को देता हूं।

(आर. पी. कटियार, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)


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