Rajasthan: हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा, वाहनों की धुलाई ड्राई वॉश तकनीक से क्यों नहीं हो रही
Rajasthan राजस्थान हाईकोर्ट को जनहित याचिका में बताया कि गया कि विभिन्न कंपनियों के सर्विस सेंटर्स पेट्रोल पंपों सरकार के मोटर गैराज व अन्य स्थानों पर वाहनों की धुलाई के करने के लिए बड़ी मात्रा में पानी का उपयोग किया जाता है।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को पानी की कमी को लेकर नोटिस दिया है। कोर्ट ने दोनों सरकारों को दो सप्ताह का समय देते हुए पूछा है कि राजस्थान में पानी की कमी को देखते हुए वाहनों की धुलाई ड्राई वॉश तकनीक से क्यों नहीं की जा रही है। जस्टिस महेंद्र गोयल और संगीत लोढ़ा ने यह आदेश सेवा फाउंडेशन की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिए हैं। जनहित याचिका में हाईकोर्ट को बताया कि गया कि विभिन्न कंपनियों के सर्विस सेंटर्स, पेट्रोल पंपों, सरकार के मोटर गैराज व अन्य स्थानों पर वाहनों की धुलाई के करने के लिए बड़ी मात्रा में पानी का उपयोग किया जाता है। प्रत्येक कार की धुलाई के लिए कम से कम औसतन 125 लीटर तक पानी का इस्तेमाल होता है। भारी वाहनों के लिए इससे ज्यादा पानी का उपयोग होता है।
याचिका में कोर्ट से आग्रह किया गया कि राज्य में बढ़ते पानी के संकट को ध्यान में रखते हुए ड्राई वॉश तकनीक के जरिए वाहनों की सफाई करवाने को लेकर आदेश दिया जाना चाहिए। इसे अनिवार्य किया जाए। राज्य में पेयजल संकट हमेशा रहता है। राज्य में देश का 10 फीसद भूभाग है, जबकि देश का मात्र एक फीसदी ही पानी है। ऐसे हालात में वाहनों की धुलाई के लिए पानी का उपयोग बंद होना चाहिए। कोर्ट से ड्राई वॉश तकनीक को अनिवार्य करने की गुहार की गई। ड्रॉई वॉश तकनीक में वाहनों पर विशेष फोम लगाकर कपड़े से वाहन को साफ किया जाता है। इससे पानी की तरह ही वाहन की सफाई हो जाती है।
गौरतलब है कि इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने एक देश में कहा कि था वरिष्ठ चिकित्सक सीएमएचओ को लंबे समय तक कार्य-व्यवस्थार्थ पदस्थापित नहीं रखा जा सकता है। हाईकोर्ट ने बीकानेर सीएमएचओ के कार्य-व्यवस्थार्थ पदस्थापन के आदेश को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने डॉ. सुकुमार कश्यप को सीएमएचओ बीकानेर पद पर कार्य करते रहने के आदेश दिए। कोर्ट की एकल पीठ के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने यह राहत दी। याचिकाकर्ता डॉ. सुकुमार कश्यप की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने रिट याचिका पेश की। इसमें बताया कि याचिकाकर्ता वर्ष 1989 से मेडिकल ऑफिसर पद पर नियुक्त हुआ था। करीब 30 वर्षों से चिकित्सक पद पर कार्यरत है। राज्य सरकार के नियमानुसार 20 वर्षों का अनुभव वाला चिकित्सक ही सीएमएचओ पद पर नियुक्त होने के लिए उपयुक्त है।