खेती बाड़ी किसान यूनियन ने किया बन्द का ऐलान, रखी अपनी मांगे, व्यापारियों ने बंद को लेकर जताई नाराजगी, पुलिस को सौंपा ज्ञापन
Rajasthan Farmer Protest खेती बाड़ी किसान यूनिनय ने ये रखी है मांगे- लोकतांत्रिक तरीके से शान्तिपूर्वक आन्दोलन कर रहे किसानों की मांगों को मंजूर कर संसद द्वारा पारित तीन केन्द्रीय कृषि उपभोक्ता कानून को वापस लिया वे जाए।
जोधपुर, जागरण संवाददाता। जोधपुर बन्द का आहवान राजस्थान खेती बाड़ी किसान यूनियन जोधपुर ने आन्दोलित किसानों द्वारा 8 दिसम्बर को भारत बन्द के आहवान का समर्थन करते हुए मंगलवार को जोधपुर बन्द रखने का ऐलान किया है। यूनियन के जिला संयोजक भंवरलाल चौधरी ( सरपंच जानादेसर ) ने बताया कि आन्दोलित किसानों की मागों के समर्थन में मंगलवार को जोधपुर बन्द रखा जायेगा।
चौधरी ने बताया कि देश के विभिन्न प्रदेशों में केन्द्र से पारित तीन केन्द्रीय कृषि उपभोक्ता कानून का लाखों किसान विरोध कर रहे है। केन्द्र सरकार समय रहते ऐसे काले कानूनों को तत्काल वापस ले अन्यथा आन्दोलन को और तेज किया जायेगा। चौधरी ने बताया कि केन्द्र सरकार वार्ता के नाम पर छल कपट से किसान आन्दोलन में फूट डालने पर आमदा है। लेकिन हिन्दुस्तान के तमाम किसान संगठन सरकार के बहकावों में नहीं आने वाले है। यूनियन के प्रदेश संयोजक सोहनलाल डारा ने बताया कि केन्द्र के तीनों कृषि उपभोक्ता कानून किसान उपभोक्ता को कुचलने तथा जमीन जंगल छिनने का एक अचूक हथियार है।
डारा ने बताया कि केन्द्र सरकार की हठधर्मिता के कारण आन्दोलित किसानों ने मजबूर होकर 8 दिसम्बर को भारत बन्द का आवहान किया है। डारा ने किसान, उपभोक्ता, छात्र, मजदूर, कर्मचारी सामाजिक एवं व्यापारिक संगठनों से अपील की है कि 8 दिसम्बर को जोधपुर बन्द रखकर आन्दोलित किसानों की मांगों का सामर्थन किया गया है ।
जोधपुर कर्मचारी महासंघ का बंद को समर्थन
राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के जिला अध्यक्ष शंभू सिंह मेड़तिया ने बताया कि राज्य कर्मचारी लंबे समय से पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ लंबे समय से आंदोलनरत है । लेकिन सरकार इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं कर रही है। हाल ही में केंद्र सरकार किसानों के खिलाफ अध्यादेश लाने पर जो किसान आंदोलन चल रहा है उसके तहत भारत बंद के आह्वान में कर्मचारी महासंघ शामिल होगा और जोधपुर के बाजार बंद में शामिल होगा। सभी कर्मचारी किसानों के समर्थन में वह पुरानी पेंशन की बहाली की मांग को लेकर प्रदर्शन करते हुए बाजारों की ओर कूच करेंगे।
व्यापारियों ने किया है बन्द का विरोध, पुलिस को सौंपा ज्ञापन
जोधपुर के त्रिपोलिया बाजार मोती चोक व्यापार संघ द्वारा किसानों द्वारा किये जा रहे बन्द के विरोध में सदर बाजार थानाधिकारी बंशीलाल को ज्ञापन सौंप कर बाजार खुला रखने की अपील की। संघ के अध्यक्ष दीपक सोनी व् सचिव दिलीप जैन ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते व्यापारियों को वैसे ही बहुत आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। बमुश्किल से थोड़ा बहुत व्यापार शुरू हुआ है। ऐसे में कोई भी ये नही चाहता की बाजार बंद हो।
खेती बाड़ी किसान यूनिनय ने ये रखी है मांगे :
1. लोकतांत्रिक तरीके से शान्तिपूर्वक आन्दोलन कर रहे किसानों की मांगों को मंजूर कर संसद द्वारा पारित तीन केन्द्रीय कृषि उपभोक्ता कानून को वापस लिया वे जाए।
2. किसान संगठनों से खुली चर्चा कर किसान उपभोक्ता के हित में नये कानून बनाये जाए।
3. केन्द्र द्वारा मंजूर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू की जाए। समस्त फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाए तथा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे खरीद किये जाने पर अपराध घोषित किया जाए।
4. व्यापारियों का पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किया जाए। किसान एवं व्यापारियों के करार विवाद निपटारों हेतु स्वतंत्र कृषि न्यायालय की घोषणा की जाए।
5. देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ( CDS ) द्वारा जवानों / सेवानिवृत जवानों की पेंशन कटौती के प्रपोजल को वापस लिया जावें क्योंकि इस प्रपोजल से सेवानिवृत जवानों के आर्थिक / सामाजिक जीवन पर विपरित प्रभाव पड़ेगा तथा आने वाली युवा पीढी सेना में जाने से कतराएगी।
6. कार्बन केडिट क्योटो ( जापान ) प्रोटाकॉल (UNFCCC ) के तहत किसानों के लिए ट्री केडिट योजना , ग्रीन सिटी अभियान प्रारम्भ किया जावें ताकि केडिट योजना के तहत किसानों तथा अन्य गौस्वामीयों को जमीन पर पेड पौधे लगाने के लिये अतिरिक्त वित्तीय प्रोत्साहन मिल सके अर्थात् भारत पर्यावरण के अनुकूल प्राकृतिक कृषि को बढावा देकर 50 से 60 अरब डॉलर का कार्बन केडिट हासिल कर सकता है। ( कार्बन सोखों और पैसे कमाओ हरदा मध्यप्रदेश , सिरसा हरियाणा पायलट प्रोजेक्ट )
7. किसानों को पानी और बिजली निःशुल्क दी जाए।
8. किसानों के कर्जे एक मुश्त माफ किये जाए।
9. किसानों को जीवन बीमा के तहत 10 लाख रू . तक की सुरक्षा दी जाए।
10. किसान संगठनों के साथ चर्चा कर किसान और कृषि भूमि से संबंधित कानूनों की समीक्षा कर संशोधन किया जाए।
11. भविष्य में किसान और कृषि भूमि से संबंधित कोई कानून बनाने से पहले किसान संगठनों से खुली चर्चा की जाए ।