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Rajasthan : विश्वप्रसिद्ध केवलादेव घना पक्षी विहार को 20 सालों में भी नहीं मिल पाया पूरा पानी

जल संसाधन विभाग केवलादेव के लिए पानी सप्लाई की दीर्घकालीन योजना पर काम कर रहा है। जल्द ही इसके लिए प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है। पिछले 20 सालों में भी घना पक्षी विहार को अधिकतर समय पूरा पानी नहीं मिल पाया है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 15 Oct 2020 01:22 PM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2020 01:22 PM (IST)
Rajasthan : विश्वप्रसिद्ध केवलादेव घना पक्षी विहार को 20 सालों में भी नहीं मिल पाया पूरा पानी
राजस्थान के भरतपुर में स्थित विश्वप्रसिद्ध केवलादेव घना पक्षी विहार

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान के भरतपुर में स्थित विश्वप्रसिद्ध केवलादेव घना पक्षी विहार में हर साल पर्याप्त पानी पहुंचाने के लिए योजना बनाने की कवायद शुरू हो गई है। जल संसाधन विभाग केवलादेव के लिए पानी सप्लाई की दीर्घकालीन योजना पर काम कर रहा है। जल्द ही इसके लिए प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है। पिछले 20 सालों में भी घना पक्षी विहार को अधिकतर समय पूरा पानी नहीं मिल पाया है।

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पानी पहुंचाने और पक्षी विहार में आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। गहलोत ने कहा कि घना पक्षी उद्यान जैव विविधता की दृष्टि से दुनिया का महत्वपूर्ण संरक्षित क्षेत्र है। पूरी दुनिया से दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी यहां विचरण के लिए आते हैं। ऎसे में इस पार्क के महत्व को बनाए रखने और यहां प्रचुर मात्रा में पानी की उपलब्धता के लिए वन, जल संसाधन और जलदाय विभाग सभी समुचित विकल्पों पर विचार कर प्रभावी कार्य योजना बनाएं।

सीएम ने कहा कि यह यूनेस्को वर्ल्ड हैरिटेज साइट होने के साथ-साथ रामसर साइट भी है। पर्यटन के साथ-साथ पक्षियों पर रिसर्च के लिए भी इस उद्यान का अपना महत्व है। इस पार्क के संरक्षण और संवर्धन को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए सीएम ने कहा कि समय रहते पानी उपलब्ध कराने के लिए गंभीर प्रयास किया जाना बेहद जरूरी है। इसके सभी विकल्प तलाशे जाएं।वन पर्यावरण विभाग की प्रमुख सचिव श्रेया गुहा ने बताया कि घना के लिए हर साल 550 एमसीएफटी पानी की आवश्यकता रहती है।

उद्यान में पक्षियों और पारिस्थिति की संतुलन को बनाए रखने के लिए पानी की यह मात्रा प्राप्त होना जरूरी है। वर्तमान में उपलब्ध स्रोतों से पिछले 20 सालों में पार्क को अधिकतर समय पूरा पानी नहीं मिल सका है। इसका असर यहां की जैव विविधता पर पड़ रहा है। 


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