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Coronavirus: राजस्थान में कोटा के गांवों में बन रहे 'गेहूं बैंक', आपदा के वक्त आएंगे काम

Coronavirus. दान किए गए गेहूं से गेहूं बैंक बनाया जा रहा है जो आपदा के समय गांव के जरूरतमंद लोगों के काम आएगा।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Tue, 14 Apr 2020 02:57 PM (IST)Updated: Tue, 14 Apr 2020 02:57 PM (IST)
Coronavirus: राजस्थान में कोटा के गांवों में बन रहे 'गेहूं बैंक', आपदा के वक्त आएंगे काम
Coronavirus: राजस्थान में कोटा के गांवों में बन रहे 'गेहूं बैंक', आपदा के वक्त आएंगे काम

मनीष गोधा, जयपुर। Coronavirus. कोरोना वायरस संक्रमण ने लोगों को एक बार फिर से पुरानी परंपराओं पर काम करना सिखा दिया है। कुछ ऐसा ही कोटा के कनवास उपखंड में नजर आ रहा है। यहां गांव के लोग कटाई के बाद कुछ गेहूं अपनी पंचायत को दान कर रहे हैं। इस दान किए गए गेहूं से 'गेहूं बैंक' बनाया जा रहा है, जो आपदा के समय गांव के जरूरतमंद लोगों के काम आएगा। अब तक यहां के पांच गांवों में 114 क्विंटल गेहूं इकठ्ठा हो चुका है। कोटा राजस्थान में सबसे ज्यादा गेहूं उत्पादन करने वाले जिलों में गिना जाता है। अभी कटाई चल रही है और किसान मंडी में अपना गेहूं बेचने के लिए ला रहे हैं।

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इसी को देखते यहां के उपखंड अधिकारी राजेश डागा ने यह पहल की कि कटाई के बाद कुछ गेहूं दान में देने की पुरानी परंपरा को जीवित किया जाए और गांव में गेहूं बैंक बनाए जाएं। इसके लिए उन्होंने सरपंचों से संपर्क किया। उन्हें प्रेरित किया और पिछले एक सप्ताह में पांच गांवों में 114 क्विंटल गेहूं एकत्र हो चुका है। पांच गांवों में बन चुकी बैंक डागा ने बताया कि हमारी अपील का असर हुआ और अब तक पांच गांव में हम गेहूं बैंक बना चुके हैं। इस उपखंड में 95 गांव है और हमारा प्रयास रहेगा कि हर गांव में इस तरह के गेहूं बैंक बने। उन्होंने बताया कि यह गेहूं गांव की पंचायत के अधीन रहेगा और पूरा प्रबंधन गांव वाले ही करेंगे। गांव में सरपंच, ग्राम सेवक, किसान संघ के प्रतिनिधियो आदि की एक समिति गठित की गई है। यह समिति देखेगी कि आपदा के समय किसे कितने गेहूं की जरूरत है। समिति द्वारा संबंधित व्यक्ति को गेहूं दिया जाएगा। यह प्रक्रिया साल भर चलेगी। बाद में गेहूं बच जाता है तो समिति ही तय करेगी कि इसका क्या किया जाए।

बाचेड़ी गांव ने दिया 40 क्विंटल गेहूं

बैंक में अभी तक सबसे ज्यादा 40 क्विंटल गेहूं अकेले बाचेड़ी गांव ने दिया है। अन्य गांवों में भी प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद है हर गांव में औसतन 10 से 15 क्विंटल गेहूं जमा हो जाएगा। इससे स्थानीय स्तर पर ही लोगों की मदद की जा सकेगी और कोई भूखा नहीं रहेगा। इसी मॉडल से सांगोद तहसील में भी गेहूं बैंक का प्रयास शुरू हुआ है। जल्द ही इसे लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट जिला कलेक्टर को सौंपी जाएगी।

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