Weather Rajasthan: राजस्थान में बरस रही आग, भीषण गर्मी ने बढ़ाई लोगों की परेशानियां, सड़कें भी हुईं सुनसान
पूरा राजस्थान भीषण गर्मी की चपेट में हैं। भीषण गर्मी के बीच तापमान और बढ़ने की चेतावनी के बाद धौलपुर जिले के दो दर्जन गांवों के लोगों ने पशुओं के साथ पलायन करना शुरू कर दिया है। बारिश शुरू होने के बाद यह वापस अपने गांवों में लौट आएंगे।
राजस्थान (जेएनएन)। पूरा राजस्थान इन दिनों भीषण गर्मी की चपेट में है। चुरू में इसकी वजह से गलियां सुनसान हो गई है जिससे लाकडाउन जैसे हालात बन गए हैं। पारा चढ़ने से जनजीवन प्रभावित हो रहा है। राहत के लिए तरस रहे लोगों का पलायन जारी है। राजस्थान में पड़ रही भीषण गर्मी के बीच तापमान और बढ़ने की चेतावनी के बाद धौलपुर जिले के दो दर्जन गांवों के लोगों ने पशुओं के साथ पलायन करना शुरू कर दिया है।
पलायन करने वाले सभी लोगों को बारिश होने का इंतजार है। जिन गांवों के लिए लोग पलायन कर रहे हैं उनमें पानी की भी भारी किल्लत बनी हुई है। छोटे तालाब और कुएं सूख गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हर साल गर्मी का मौसम शुरू होते ही उन्हें पानी की किल्लत से जूझना पड़ता है। ऐसे में तीन से चार महीनों के लिए यमुना नदी और पार्वती बांध के आसपास अस्थाई छप्पर डालकर रहने लग जाते हैं। जहां पानी मिलता है, वहीं ठिकाना बना लेते हैं।
राजस्थान में भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे इलाकों जैसे जैसलमेर और बाड़मेर जिलों में रविवार को दोपहर में तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। पिछले तीन दिन से रेत के धोरों में तापमान 47 से 49 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में तापमान और बढ़ने की चेतावनी जारी की है।
जयपुर स्थित मौसम केंद्र के अनुसार राज्य में इस समय चल रही ‘लू’ का दौर अभी जारी रहेगा। हालांकि पश्चिमी राजस्थान के ऊपर एक परिसंचरण तंत्र बना हुआ है पर हवाओं में नमी नहीं होने की वजह से आंधी-बारिश की संभावना काफी कम है।
इन गांवों के लोग कर रहे पलायन
धौलपुर जिले के गौलारी, झल्लूकी, बल्लापुरा, अहीर की गुरहाकी, गोलीपुरा, मथाया, डोमपुरा, नाहरपुरा, महुआ की झोर, चंदनपुरा, कोटला, डांगरीपुरा, जारहेला, धौरीमाटी और बिजलपुरा सहित दो दर्जन गांवों के लोग पलायन कर रहे हैं। इन गांवों के लोगों का मुख्य धंधा पशुपालन ही है। एक तो गर्मी दूसरा गर्मी के मौसम में पशुओं के साथ-साथ खुद को पीने का पानी नहीं मिल पाने के कारण ग्रामीण हर साल पलायन करते हैं।
इस बार तो अप्रैल के दूसरे सप्ताह से ही लोगों का पलायन शुरू हो गया था। इन गांवों में ज्यादातर घरों के बाहर ताले लगे हुए हैं। कुछ कच्चे घरों के मालिकों ने पत्थरों से अस्थाई रूप से दरवाजे बन्द कर दिए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गर्मी से भी परेशान हैं और उस पर पानी की कमी। इस क्षेत्र में न तो कोई बड़ा जलाशय है और न ही पानी का दूसरा स्त्रोत है। छोटे-छोटे तालाब अप्रैल की शुरूआत में ही सूख गए थे।